कठपुतली नाटिका रामायण का भावपूर्ण मंचन

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Published on : 26 Jan, 20 08:01

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर में कठपुतली नाटिका रामायण का मंचन हुआ।

कठपुतली नाटिका रामायण का भावपूर्ण मंचन

उदयपुर  भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर एवं संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में गणत्रंत दिवस की पूर्व संध्या पर कठपुतली नाटिका रामायण का मंचन हुआ ।
उन्होने बताया कि देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य का संदेश लोक नाटक सत्यवादी हरीश चन्द्र देखकर ही लिया तथा वह सत्यवादी हरीश चन्द्र के चरित्र से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होने सत्य को ही अपने जीवन का सार बना लिया। महात्मा गांधी जी एक आस्थिक व्यक्ति थे तथा भगवान राम में उनकी गहरी आस्था थी, वह भारत में सत्य और आस्था का समनव्य देखना चाहते थे। इसी कारण सभी जाति, धर्म के बीच समनव्य कि भावना से कार्य करते थे। यह वर्ष महात्मा गांधी जी के 150 वें जन्म वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। अतः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भगवान राम पर आधारित नाटिका का मंचन उन्हे एक सच्ची श्रृद्धाजंली है।
रामायण कठपुतली नाटिका रामायण धार्मिक ग्रंथ पर आधारित घटनाओं का संक्षिप्त कथासार है। नाटिका मेें  भगवान श्री राम के द्वारा राजा जनक द्वारा रचे गये स्वंयवर में माता सीता से विवाह हेतु अयोद्धया जाना । अयोद्धया की जनता द्वारा राम के राज्याभिषेक में खुशी मनाना । उक्त घोषणा की सूचना पर कैकयी मंथरा संवाद और उसके बाद कैकयी द्वारा राजा दशरथ से भगवान श्री राम के लिए 14 वर्षो का वनवास और भरत के लिए राज्य का वचन मांगना। उक्त वचन को पूर्ण करने के लिये भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता माता 14 वर्ष के वनवास के लिए जाते है। वनवास के दोरान लंका के राजा रावण की बहन सुरपणखंा ने जब राम और लक्ष्मण दोनों भाईयों को देखा तो उसने शादी करने की ठान ली और शादी का प्रस्ताव लेकर व सर्वप्रथम श्री राम के पास गयी तो राम ने आदर पूर्वक निवेदन किया कि मैं तो शादी-शुदा हूॅ तूम मेरे भाई लक्ष्मण से शादी का प्रस्ताव रखों, जब सुरपणखंा लक्ष्मण के सम्मुख शादी का प्रस्ताव रखती है तो लक्ष्मण उसे अस्वीकार कर चला जाता है तो सुरपणखा द्वारा पुनः प्रयास किया जाता है तो क्रोध में आकर लक्ष्मण द्वारा सुरपणखां की नाक काट दि जाती है। इस घटना का जब लंका के राजा रावण को पता लगा तो उसने छल पूवर्क सीता माता का अपहरण कर शादी का प्रस्ताव रखा जिसे माता सीता ने अस्वीकार कर दिया । सीता माता के अपहरण से श्री राम और लक्ष्मण काफी दुखीः हो जाते है वह सीता माता को वन- वन ढूंढते है परन्तु अन्त में हनुमान द्वारा सीता माता का पता लगाया जाता है । उसके पश्चात भगवान श्री राम और रावण के बीच युद्ध होता है ओर रावण का वध कर भगवान श्री राम विजयी होते है। 
 


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