वैदिक विश्व विद्यालय राष्ट्र विकास की दिशा में अनुष्ठान व आत्मज्ञान का पयार्य होगा-डॉ लड्ढा

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Published on : 23 Jan, 20 09:01

ramprasad mundra

वैदिक विश्व विद्यालय राष्ट्र विकास की दिशा में अनुष्ठान व आत्मज्ञान का पयार्य होगा-डॉ लड्ढा

बाल कल्याण समिति अध्यक्ष डॉ सुशील लड्ढा ने कहा कि उत्तरी भारत का प्रथम वैदिक विश्वविद्यालय राष्ट्र विकास की दिशा में अनुष्ठान का ज्ञान और आत्म ज्ञान का पयार्य होगा। डॉ लड्ढा बुधवार को वैदिक विश्व विद्यालय के प्रशासनिक भवन में प्रथम वसंतोत्सव के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि बसंत की तरह पुष्पित व पल्लवित होने का यहां के बटुकों को सौभाग्य मिलेगा तथा वे वेद ज्ञान प्राप्त कर लुप्त होती वैदिक संस्कृति को पुनर्जिवित करने में अहम भूमिका निभाएंगे। युवा पीढी जब यहां से ज्ञान लेकर समाज में जाएगी तो इस विश्व विद्यालय का भी मान बढेगा। उन्होंनें वसंतोत्सव के शुभारम्भ की घोषणा के साथ ही परिसर में स्थापित ज्योतिर्विज्ञान प्रयोगशाला का मोलीबंधन खोलकर शुभारम्भ करते हुए वहां प्रदर्शित ज्योतीश सम्बन्धी चार्ट को बहुउपयोगी बताया। इस मौके पर ज्योतीश विभाग के सहायक आचार्य डॉ मृत्युंजय कुमार तिवारी ने सुर्य सीधांत, गृह दृष्टि विचार, गृहो के महाभुत एंव गुण, रंग एंव दिशाओं के साथ ही चिकित्सकीय ज्योतीश के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बसंत का वर्णन ऋगवेद, रामायण और पुराणों में भी मिलता है। बसंत के आगमन से उर्जा का संचार होने से इसे ऋतुराज कहा गया है। उन्होंने मातृ शक्ति की विवेचना करते हुए बताया कि पृथ्वी, गार्गी, मेत्रैयी और तीनो देवियों के बिना संसार का सृजन सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य को दही बेचने वाली ने परित कर उन्हें शंकराचार्य बनने का अवसर दिया। चेयरपर्सन कैलाश मूंदडा ने विश्व विद्यालय के प्रथम सत्र के दौरान आयोजित वसंतोत्सव को मुर्त रूप लेते स्वप्न का प्रतिक बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह विश्व विद्यालय पूर्णता की भव्य अनुभूति कराकर विश्व के वैदिक मानचित्र पर अपनी अनूठी छाप छोडेगा। विश्व विद्यालय के कुल सचिव डॉ मधुसुधन शर्मा ने कहा कि वसंतोत्सव आयोजन की अवधारणा नई उर्जा व नये संचार के साथ आयोजन को सफल बनाना है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से बटुकों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का सौभाग्य मिलेगा। कार्यक्रम के दौरान संस्थान अध्यक्ष राजेंद्र श्रीवास्तव, विश्व विद्यालय के शोध विभागाध्यक्ष आदि मौजूद थे। संयोजक डॉ तिवारी ने बताया कि प्रथम दिन निबंध, धावन एंव लंफन प्रतियोगिता, द्वितीय दिवस श्लोकांताक्षरी, आपात कंदु क्रीडा, तृतीय दिवस सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, पिच्छ कंदुक, पुष्प खंजिका क्रीडा व पटलान क्रीडा प्रतियोगिता के साथ ही अंतिम दिन वेद पाठ प्रतियोगिता व शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता के साथ ही २५ जनवरी को समापनोत्सव मनाया जायेगा। प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा वेदिक विश्व विद्यालय के अधिष्ठाता ठाकुर श्री कल्लाजी व सरस्वती की पूजा अर्चना की गई। वही न्यासियों द्वारा आगंतुक अतिथियों का वैदिक परम्परा से स्वागत किया गया।

 


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