झीलों पर पहला हक मछली, मेंढक, मगरमच्छ का

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Published on : 19 Jan, 20 15:01

झीलों पर पहला हक मछली, मेंढक, मगरमच्छ का

उदयपुर, झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण सोसायटी के तत्वावधान में रविवार को झील श्रमदान व  संवाद  का आयोजन हुआ। 

संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों व तालाबो पर पहला हक मछली, मेंढक, मगरमच्छ का है।  देशी प्रवासी पक्षी झीलों के किनारों, टापुओं के असली मालिक है।  मेहता ने कहा कि इन हकदारों व मालिकों से ही झीलें जिंदा रहती है। लेकिन, जलीय जीव व पंछियों पर गंभीर संकट है। मेहता ने कहा कि उदयपुर की झीलों में  महाशीर मछली के संरक्षण के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद कोई प्रभावी कार्य नही हो रहा है।

जलीय खरपतवारों के नियंत्रण में कार्प मछलियों की उपयोगिता रेखांकित करते हुए झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पिछोला जलीय खरपतवार के झंझाल में उलझ गया है । जैविक विधि से जलीय खरपतवार पर नियंत्रण हो सकता है ।मछलियों का ठेका रद्द कर  ग्रासकार्प मछली  झील में बढ़ानी  चाहिए ताकि बिना लागत खरपतवार नियंत्रण हो सके ।

गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों में सभी लाभदायक मूल प्रजाति की मछलियां उचित मात्रा में सदैव बनी रहे , ये जिम्मेदारी मत्स्य विभाग की है। साथ ही यह भी जरूरी है कि तिलपिया जैसी विदेशी प्रजाति की मछलियां झीलों में अपना साम्राज्य स्थापित नही करे।

पर्यावरण प्रेमी कुशल रावल, रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि जलीय जीवों की उपस्थिति झील के पर्यावरण तंत्र के स्वस्थ होने का सूचक होता  है।।इनकी  कमी होना यह साबित कर रहा है कि झीलों पर मानवीय कुठाराघात बढ़ रहा है।

 

द्रुपद सिंह व मोहन सिंह चौहान ने कहा कि देशी प्रवासी पक्षियों का शिकार भी एक बड़ी समस्या है। इसको रोकने के लिए  नागरिको व पुलिस को मिलकर कार्य करना होगा।

 

इस अवसर पर बारी घाट पर श्रमदान कर घरेलू कचरे, शराब की बोतलों व प्लास्टिक पॉलिथीन को झील से बाहर निकाला गया। श्रमदान में सुधीर पालीवाल, द्रुपद सिंह, मोहन सिंह, रमेश चंद्र , कुशल रावल , तेज शंकर , नंदकिशोर, धारित्र, अनिल व स्थानीय युवाओं ने भाग लिया। 


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