उदयपुर। पहले जहां लॉ कॉलेज या किसी वकील के कार्यालय में सेकडों किताबें, न्याय से जुडी किताबें आदि होती थी, वहीं अब कंसेप्ट बदल गया है। अब मोबाइल पर एक क्लीक से किसी भी कोर्ट का न्याय, बहस आदि संबंधित जानकारियां उपलब्ध हो जाती है। लॉ के स्टूडेंटृस को भी वर्तमान दौर में अपडेट होना होगा। अब स्टूडेंटस को किताबी ज्ञान के साथ साथ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कंसेप्ट को भी जोडना होगा। यह बात बुधवार को राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी कॉलेज में इलहाबाद उच्च न्यायालय प्रयागराज के मुख्य न्यायाधिश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने कही। अवसर था, विधि विभाग भवन लोकार्पण और नवीन भवन शिलान्यास समारोह का। न्यायमूर्ति माथुर ने कहा कि विधि को लेकर वर्तमान में विभाजन का वातावरण है। रष्टीय आंदोलन कभी पूर्ण नहीं हो सकता है, क्योंकि राष्ट नियमित आगे बढ रहा है और आंदोलन भी। इसके लिए विधि शिक्षा ही ऐसा माध्यम से है जो इससे संबंधित ज्ञान उपलब्ध करवाता है। इससे पूर्व जस्टिस माथुर, हाईकोर्ट जोधपुर के जस्टिस डॉ पुष्पेंद्रसिंह भाटी, हाईकोर्ट जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर, पूर्णिया विवि के वीसी प्रो राजेश सिंह, कुल प्रमुख बीएल गुर्जर व कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत आदि ने नए विधि भवन का लोकार्पण किया तथा उसके बाद नए भवन का भूमि पूजन किया।
व्याख्यानमाला में अध्यक्षता करते हुए जस्टिस डॉ पुष्पेंद्रसिंह भाटी ने कहा कि लॉ स्टूडेंटस के लिए टेक्नोलॉजी से जुडे रहना काफी कारगर रहेगा। क्योंकि, यह टेक्नोलॉजी ही उन्हें आगे लेकर जाएगी। वर्तमान में हर व्यक्ति मोबाइल का गुलाम है। जरूरत है उसके यूज करने की। लॉ कॉलेज के स्टूडेंटस को चाहिए कि वे अपने पसंद के विषयों पर तर्क वितर्क करें व इंटरनेट की इस दुनिया में नया खोजने का प्रयास करें। कार्यक्रम के बाद विधि, समाज और विधि शिक्षा पर हुए व्याख्यान के शुरूआत में कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि विधि और न्याय के बीच जहाँ अटूट संबन्ध है वही यह भी उतना ही सही है कि हमेशा इस संबन्ध मे हर स्थिति मे जबकी के समय से वह स्थिति बहुत जटिल एवं पेचीदा बन कर आयी हो इस संबन्ध को नही निभाया जा सकता है, यह तो न्यायाधीश कितनी पैनी दृष्टि है, विधि को समझने के लिये उसकी बारीकियों को जोडने और मोडने की योग्यता के और उसके लॉ और न्याय के प्रति एक भविष्य आत्मक रखने की आवश्यकता है। पूर्णिया विवि के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कहा कि वर्तमान में विधि और विज्ञान का तालमेल होना बहुत जरूरी है। उदयपुर के इस विधि कॉलेज में भी ऐसे प्रयास होने चाहिए कि यहां भी दिल्ली जयपुर आदि से वरिष्ठ अधिवक्ताओं को बुलाया जाए तथा उनसे स्पेशल लेक्चर करवाए जाए। वर्तमान में जनरल लॉ का कंसेप्ट बदल गया है, इस लिहाज से अब आईटी के साथ अन्य प्रोफेशनल कोर्से को भी जोडा जा सकता है। हाईकोर्ट जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने कहा सामाजिक बुराईयों को समाप्त करने के लिए कानून का उपयोग जरूरी है। कानून सामाजिक व्यवस्था का साधन है इससे समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त किया जा सकता है। विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं के प्रति सजग व जागरूक रहना होगा तथा उपेक्षित व पिछडे लोगों को न्याय दिलाने में सहयोग करना होगा। उन्होंने कहा की विद्यार्थी कक्षाओं में प्राप्त ज्ञान का उपयोग लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए करें। वहीं बार काउसिल ऑफ इंडिया के सदस्य सुरेश श्रीमाली ने कहा कि वर्तमान में कई इ्रंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने की कगार पर है।कहा कि आश्चर्य होता है कि पूर्व में लॉ कॉलेज एक कमरे में ही संचालित होते थे, लेकिन अब कई बडे इंफ्रास्टक्चर तैयार कर लिए गए हैं। जहां लॉ के भी कई विषयो में स्पेशलिस्ट कोर्स करवाए जाते है। इस अवसर पर कुल प्रमुख बीएल गुर्जर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया व डीन प्रो कला मुणेत ने धन्यावाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक, अधिवक्ता, विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता, डीन डायरेक्टर व लॉ कॉलेज के छात्र छात्राएं उपस्थित थे। विधि विभाग के जर्नल तथा विधि दर्शन का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। संचालन डॉ. हीना खान ने किया। हाईकोर्ट जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर तथा हाईकोर्ट जयपुर के अधिवक्ता प्रतिक माथुर ने एक प्रिन्टर 5 कम्प्युटर 312 लॉ जनरल ऑरिजनल भारत का संविधान हिन्दी अंग्रेजी तथा मनुपात्रा ऑनलाइन सॉफ्टवेयर पुस्तकालय को भेट की।