" मुश्किल बहुत आएंगी, बस ये सोचदुनिया को तुझे कुछ कर दिखाना है"-निशा

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Published on : 13 Jan, 20 09:01

राष्ट्रीय युवा दिवस पर युवा सम्मेलन, स्वामी जी को विश्वास था कि देश ऊपर ऊठेगा

" मुश्किल बहुत आएंगी, बस ये सोचदुनिया को तुझे कुछ कर दिखाना है"-निशा

कोटा (डॉ. प्रभात कुमार सिंघल)  | भारत इन्टीग्रेशन मिशन के अंतर्गत राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में स्वामी विवेकानन्द जयंती को युवा दिवस के रुप मे मनाया गया । इस अवसर पर “चेनेलाईजींग युथ पॉवर फॉर नेशन बिल्डींग” विषय पर एक “ युवा सम्मेलन”  आयोजित किया ।सभी का स्वागत करते हुए डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव मण्डल पुस्तकालयाध्यक्ष ने कहा कि आज हमारा देश स्वतंत्र होने के बावजूद अनगिनत समस्याओं से जूझ रहा है। बेकारी, गरीबी, शिक्षा, प्रदुषण एवं अन्न-जल तथा मँहगाई की समस्या से देश की जनता प्रभावित है। ऐसी विपरीत परिस्थिती में भी स्वामी विवेकानंद जी को विश्वास था कि, हमारा देश उठेगा, ऊपर उठेगा और इसी जनता के बीच में से ऊपर उठेगा।

इस अवसर पर शोधार्थी निशा गुप्ता ने स्वामी विवेकानंद जी पर एक पत्र वाचन किया जिसमे उन्होने बताया कि – बच्चे झगड रहे थे मोहल्ले के , न जाने किस बात पर ।  सूकून इस बात का था , न मन्दिर का जिक्र था न मस्जिद का ।  निशा ने कहा कि – हिम्मत मत हार ए मन अभी तो बढने जाना है , राह पर अभी चला है तू , अभी मंजिल को पाना है । मुश्किले बहुत सी आयेंगी , अभी तो राह मे पगले , बस ये सोच दुनियां को तुझे कर दिखाना है ।

मुख्यवक्ता सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि स्वामी विवेकानद का भारतीय पुनर्जागरण के अग्र महापुरुषों मे महत्वपुर्ण स्थान है । मुख्य अतिथी धर्मराज शर्मा ने अंग्रेजी आलोचक क्रिटीक की बात को उद्दवत करते हुये कहा कि  स्वामी जी  ईश्वरीय शक्ति प्राप्त युवा वक्ता है । तथा उनका व्यक्तित्व सभी विशवधालयों के प्रोफेसर के ज्ञान को एकत्र कर भी लिया जाये तो उनसे विशाल है ।

   अध्यक्षता कर रहे ममुकुट लडडा ने कहा कि स्वामी जी कर्मयोग , सामाजिक एकता , स्त्री उत्थान , वैश्विक एकता , सरवधर्म सम्भाव , जातिवाद का खंडन , अस्पृश्यता की निंदा , भारतीय संस्क़्रति मे गहन आस्था आदि अनेको रुपों मे भारत ही अन्हि अपितु विश्व का भी मार्गदर्शन करते हुउए एक अडीग प्रकाश स्तंभ की आज तक निभा रहे है । विशिष्ठ अतिथी पंचौली ने कहा कि - देश को सम्पन्न बनाने के लिए पैसे से ज्यादा हौसले की, ईमानदारी की और प्रोत्साहन की जरूरत होती है। स्वामी जी के अमृत वचन आज भी देशवासियों को प्रोत्साहित करते हैं। उनमें चिंतन और सेवा का संगम था।

कार्यक्रम का प्रबन्धन आयोजन श्री अजय सक्सेना एवं  श्री नवनीत शर्मा द्वारा किया गया। कार्यकृम कें अंत में आगंतुक अतिथीयों का आभार कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन ने प्रदान किया । 


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