सर्दी के के तीखे तेवर के बीच खरीददारी

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Published on : 29 Dec, 19 02:12

कथक संग घूमर, भांगडा और बिहू से अभिभूत कला रसिक, सर्दी के के तीखे तेवर के बीच खरीददारी

सर्दी के के तीखे तेवर के बीच खरीददारी

उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ’’शिल्पग्राम उत्सव-२०१९‘‘ के अष्टम दिवस पर एक ओर जहां कडाके की सर्दी के के बावजूद लोक कलाओं की अप्रतिभ रोशनी और ऊष्मा से गुलजार हुआ शिल्पग्राम का रंमंच वहीं हाट बाजार में कलात्मक वस्तुओं की बिक्री अपनी रंगत में आई है।

कला और शिल्प के प्रोत्साहन तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से निहित शिल्पग्राम उत्सव में शनिवार को रंगमंच पर मानो भारत एकत्र हो गया हो। हिम प्रदेश लद्दाख और कश्मीर, चायक के बागानों, उत्तर के मैदानों, पांच नदियों वाले प्राांत और थार की धरती ने लोक कलाओं के सत्र ने भारत की भौगोलिक दूरियों को लोक गायन, वादन और नर्तन से पाट दिया हो। एक ओर जहां दिनभर हाट बाजार में देश के कोने-कोने से आये शिल्पकारों की कलात्मक वस्तुओं के क्रय-विक्रय का दौर जारी रहने के साथ-साथ अब अपनी पूरी रंगत में है।

उदयपुर शहर तथा आसपास के जिलों व ग्राम्यांचल के कई लोग शिल्पग्राम उत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने आ रहे हैं। शिल्पग्राम में प्रवेश के साथ ही झुण्ड में लोग हाट बाजार में खरीददारी में मशगूल हो जाते हैं। हाट बाजार के वस्त्र संसार में विभिन्न प्रकार के वस्त्र, वस्त्र निर्मित डेकोरेटिव्स, परिधान, सूती, सिल्क और कशीदा युक्त साडयाँ, बेडशीट, कुशन कवर, कश्मीरी शॉल, टोपियाँ, जूट के बेग्स, वॉल पीस, लकडी की नक्काशीदार घडयाँ, पारपरिक चित्रकारी आदि के साथ-साथ आभूषण, फूलदान के साथ-साथ नख से शिख तक श्रृंगार के आभूषण, लाख की चूडी, गर्म व सूती जैकेट्स, कॉटन के ड्रेस मटीरियल आदि के शिल्पकार दिनभर अपने उत्पाद बेंचने में व्यस्त रहे। हाट बाजार में ही भपंग कलाकारों, मशक बैण्ड के कलाकारों व नर्तकों ने आगंतुकों के लिये अपनी कला का प्रदर्शन किया।

बंजारा रंगमंच पर ही दिन में कई छुपे कलाकार अपनी कला के प्रदर्शन के लिये पहुंचे जिन्हे बारी-बारी से गीत, कविता, नृत्य, शेरो शायरी आदि प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। वहीं संगम सभागार में लगी चित्र प्रदर्शनी को लोगों ने बडे चाव से देखा।

शाम ढलने के साथ ही लद्दाख के जब्रो से रंगमंचीय कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसके बाद हरियाणा का घूमर नृत्य जिसमें कलाकारों ने ’’म्हनै दमडी दिलाए दो रै नणदी के बीरा...‘‘ गीत पर अपने नर्तन से समां बांधा वहीं असम में बिहू पर्व पर किया जाने वाला बिहू नृत्य पर दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का अभिवादन किया।

आठवी सांझ में जम्मी कश्मीर के रौफ नृत्य में गीत ’’बुम्बरो बुम्बरो....‘‘ को दर्शकों ने खूब दाद दी। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल का नटुवा में कलाकारों ने हेरतअंगेज करतब दिखाये। शनिवार को ही कनाडा से आये कलाकारों ने ऊषा गुप्ता के नेतृत्व में अपनी प्रस्तुति ’’खोज‘‘ में कथक नृत्य का प्रदर्शन जोशपूर्ण और पारंपरिक ढंग से किया। प्रस्तुति में तबले के साथ पदाघातों के सवाल जवाब में दर्शकों को खूब आनन्द आया। इस मौके पर मयूर नृत्य में मयूर बन कर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों और राधाजी के साथ रास खेलना दर्शकों के लिये आनन्दायी अनुभूति रहा।

शिल्पग्राम उत्सव के नवमें दिन जहां एक ओर दिन भर हाट बाजार चलेगा वहीं शाम को रंगमंच पर लोक वाद्य यंत्रों की ’’झंकार‘‘ मुख्य आकर्षण होगा।


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