महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह

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Published on : 23 Dec, 19 04:12

शैक्षणिक श्रेष्ठता और अद्यतन शोध समय की आवश्यकता - राज्यपाल

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह

उदयपुर / महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह रविवार को सुखाडि़या विश्वविद्यालय के विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहे माननीय राज्यपाल एवम् कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को नमन करते हुए सभी स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले एवम् उपाधि प्राप्त  छात्र छात्राओं को बधाई दी। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए कुलपति द्वारा अनेक दिशाओं में उठाए गए कदमों की प्रशंसा करते हुए कृषि विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत युवाओं से तकनीकी उत्कृष्टता के साथ जिम्मेदारी का निर्वहन करने की अपेक्षा जताई। उन्होंने दीक्षा प्राप्त विद्यार्थियों से अपनी शैक्षणिक श्रेष्ठता और अद्यतन शोध को समय की आवश्यकता बताते हुए राष्ट्र की प्रगति, प्रदेश के कृषि विकास के लिए ईमानदारी से अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन का आव्हान भी किया।
छात्राओं ने कृषि क्षेत्र में भी वर्चस्व स्थापित किया:
राज्यपाल ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में कृषि जैसे श्रम साध्य क्षेत्र में भी छात्राएं किसी से कम नहीं है। आज प्रदत्त स्वर्ण पदकों में से पीएचडी के 2 स्वर्ण पदक छात्रों को और 2 छात्राओं को मिले परन्तु स्नातक और स्नातकोत्तर के कुल 35 में से 19 स्वर्ण पदक और कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्राप्त कर छात्राओं ने अधिक पदक प्राप्त पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है।  उन्होंने कहा कि 20 वर्ष पूर्व महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के रूप में जो बीज बोया गया था उसने आज वट वृक्ष का रूप धारण कर लिया है, मैं अपेक्षा करता हूं कि इस वृक्ष की छत्रछाया में आप सभी पुष्पित व पल्लवित हो।
देश के कृषि विकास में योगदान दें विद्यार्थी:
राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं से भी द्विगुणित गति से कार्य करने और देश के कृषि विकास में अहम योगदान प्रदान करने की अपेक्षा जताई। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती जीरो बजट की होगी इस पर हमारे कृषि वैज्ञानिकों को और शोध करने की आवश्यकता है जिससे वर्ष 2022 तक हम कृषकों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर पाएंगे। उन्होंने खेती में पानी के कम से कम व समझदारी पूर्ण उपयोग, मृदा स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर खेती करने और खेती में मानवीय कौशल प्रतिभा, श्रम और यंत्रीकरण के युक्ति पूर्ण सामंजस्य कि बात भी कही। साथ ही उन्होंने कृषि के आधुनीकीकरण पर बल देते हुए आर्टीफिसियल इंटेलीजेंस व रोबोटिक्स जैसे नवाचारों के उपयोग पर ध्यान देने हेतु दिशानिर्देश दिये।
पंजाब सिंह को डॉक्टर ऑफ साईंस की मानद उपाधि:
समारोह में आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक एवं सचिव कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलाधिपति डॉक्टर पंजाब सिंह  को दीक्षांत समारोह में उनकी अनुपस्थिति में डॉक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया। प्रो. पंजाब सिंह अपरिहार्य कारण से समारोह में उपस्थित नहीं हो सके।
समारोह  के अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के पूर्व अध्यक्ष एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ. अमर सिंह  फरोदा ने अपने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि कि हमारे कृषि वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से हमारे देश का खाद्यान्न उत्पादन 284 मिलियन टन तथा प्रदेश का 22.8 मिलियन टन हो गया है । बागवानी फसलों में भी हमारे देश का उत्पादन 314.7 मिलियन टन है। राजस्थान  ने कुल तिलहन उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत की भागीदारी भी निभाई है। परन्तु डेयरी, पशुपालन, मछली व बागवानी उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण,  संवर्धन,  जैविक खेती इत्यादि में उल्लेखनीय कार्य करने की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम, लगन से सीखने और नवाचार अपनाने की सलाह भी दी।
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह राठौड़ ने अपने प्रतिवेदन में विश्वविद्यालय की विगत एक वर्ष की उपलब्धियों से सदन को अवगत करवाया।  
इन्हें मिली दीक्षा, उपाधियां और स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह में 13 स्नातक, 20 स्नातकोत्तर एवं 4 पीएचडी के  पात्र विद्यार्थियों को संबंधित विषय में प्रथम स्थान हासिल करने पर माननीय राज्यपाल महोदय ने स्वर्ण पदक प्रदान किए। इसके अतिरिक्त समुदाय एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय की छात्रा सुश्री कविता भट्ट को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया तथा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के 2 विद्यार्थियों को जैन इरिगेशन स्वर्ण पदक प्रदान किए। दीक्षांत समारोह में 900 विद्यार्थियों को दीक्षा दे कर उपाधियां प्रदान की गई । इनमें से 687 विद्यार्थियों को स्नातक 148 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर और 65 विद्यार्थियों को विद्यावाचस्पति की डिग्री प्रदान की गई। इन विद्यार्थियों में से क्रमशः  27.5प्रतिषत, 48.6 प्रतिषत और 40 प्रतिषत  स्नातक, स्नातकोत्तर और विद्यावाचस्पति की छात्राएं हैं, इस प्रकार उपाधि प्राप्त करने वाली छात्राओं की कुल हिस्सेदारी 38.5 प्रतिषत रही।
स्नातक स्तर पर कृषि संकाय में 194,  इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय में 390,  समुदाय एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय में 21, डेयरी एवं खाद्य विज्ञान तकनीकी संकाय में 56 और मातस्यकी संकाय की 26 उपाधियां सम्मिलित है। इसी प्रकार स्नातकोत्तर उपाधियों में कृषि संकाय की 61 इंजीनियरिंग संकाय की 60, सामुदायिक एवम् व्यावहारिक विज्ञान की 22 और मात्स्यकी संकाय की पांच उपाधियां सम्मिलित है।
पीएचडी की उपाधियों में से 25 उपाधियां कृषि संकाय की 22 उपाधिया इंजीनियरिंग संकाय की 2उपाधियां मातस्यकी की एवं 16 उपाधियां सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय के विद्यर्थियों की प्रदान कि गई।
दीक्षांत समारोह के संयोजक अभियांत्रिकी महविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ अजय कुमार शर्मा ने बताया कि  दीक्षांत समारोह में भाग लेने वाले विद्यार्थियों , अभिभावकों एवम् सभी अधिकारियों ने ड्रेस कोड पालन करते हुए समारोह में  पारंपरिक श्वेत परिधान सफेद कुर्ते पजामे अथवा पेंट शर्ट, जोधपुरी कोट, सफेद धोती कुर्ते और महिलाओं ने श्वेत साड़ी, सलवार सूट इत्यादि पहनकर समारोह को गरिमापूर्ण बना दिया।  
कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव श्रीमती कविता पाठक एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ सुनील इंटोदिया ने किया। मीडिया प्रभारी डॉ सुबोध शर्मा ने बताया कि समारोह सादगी और शांति पूर्ण रहा। इस अवसर पर छात्र छात्राओं का उत्साह चरम पर था, प्रोग्राम के बाद सभी ने डिग्री और मेडल के साथ अपने अध्यापकों, अभिभावकों और अतिथियों के साथ फोटो खिंचवाए।
उन्होंने बताया कि समारोह में राजस्थान के विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति- प्रो. आर. पी. सिंह, प्रो.जे, एस. संधु, प्रो. बी. आर. चौधरी,  प्रो. डी. सी. जोशी, अनेक पूर्व कुलपति, प्रबंध मंडल सदस्य, वित्त नियंत्रक, डॉ संजय सिंह, पूर्व व वर्तमान निदेशक, अधिष्ठाता,  ओएसडी, अभिभावक, प्राध्यापक एवं  छात्र छात्राएं इत्यादि  मौजूद थे। समारोह का प्रारंभ अकादमिक शोभायात्रा के आगमन के पश्चात, देवी सरस्वती की पूजा, राष्ट्रगान तथा कुलगीत के गायन के साथ और समापन राष्ट्रगान से हुआ।


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