एक भारत, श्रेष्ठ भारत का वास्तविक स्वरूप उद्घाटित करता है ‘शिल्पग्राम उत्सव’ - राज्यपाल

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Published on : 21 Dec, 19 15:12

उदयपुर, राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि हमारी लोक कलाएँ, शिल्प परंपराएँ,  खान-पान, पहनावा, आभूषण यहां तक कि हमारे आचार और विचार हमें एक सूत्र में बांधे रखने में सक्षम हैं। ‘शिल्पग्राम उत्सव भी समृद्ध कला विरासत और संस्कृति के माध्यम से भारत की एकता और श्रेष्ठता को विश्व पटल पर रख कर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का वास्तविक स्वरूप प्रकट करने का श्रेष्ठ माध्यम है।
राज्यपाल श्री मिश्र ने यह उद्गार उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए।  
उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध वैविध्यपूर्ण कला विरासत को आम जनता तक पहुंचाने, कलाकारों और शिल्पकारों को कला प्रदर्शन करने के साथ शिल्पकार का शिल्प उत्पादों के खरीददारों से सीधा सम्पर्क करवाने के उद्देश्य से आयोजित ‘शिल्पग्राम’ उत्सव का आयोजन एक नये कलेवर के साथ हो रहा है। जिसमें लोक, शास्त्रीय और उप शास्त्रीय कलाओं व शिल्प कला के कलाकार आमंत्रित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि उत्सव, त्यौहार और पर्व भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। ये ही ऐसे अवसर हैं जब लोग एक साथ एक जगह एकत्र हो कर आपसी प्रेम, सद्भाव और भातृत्व भाव से नृत्य, संगीत, गायन, वादन से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं।
राज्यपाल ने शिल्पग्राम उत्सव के दौरान होने वाली सृजनात्मक गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार की युवा प्रतिभा लोक कला पुरस्कार को पहली बार उत्सव में शामिल किया गया है। उत्सव में लोक कला प्रदर्शनों एवं शिल्प के अतिरिक्त आम जनता की भागीदारी में अभिवृद्धि के लिये बंजारा रंगमंच पर ‘‘हिवड़ा री हूक’’ तथा ‘‘सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी’’ का भी आयोजन होगा। उन्होंने उत्सव के दौरान रोजाना सम्पूर्ण भारत से 800 लोक कलाकारों की कला प्रस्तुतियों व 400 शिल्पकारों की शिल्पकलाओं के प्रदर्शन की भी जानकारी दी।
समारोह में प्रदेश के कला व संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला ने कहा कि मेवाड़ के कण-कण में इतिहास और क्षण-क्षण में प्रेरणा है। यहां हर एक नई सुबह की शुरूआत संगीत के साथ होती है और शाम भी संगीत के साथ। यहां हर त्यौहार, उत्सव, मेलों में वैविध्यपूर्ण संस्कृति का अनूठा दर्शन होता है। उन्होंने कहा कि लोककलाओं के संरक्षण एवं उन्हें बढ़ावा देने की दृष्टि से शिल्पग्राम का विशेष योगदान रहा है। यहां देश के विभिन्न कोनों से आए लोककलाकार अपनी संस्कृति का दिक्दर्शन कराते है। उन्होंने लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के योगदान को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि प्रदेश की सरकार इस संस्थान के विकास में पूर्ण योगदान देगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं उदयपुर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मेवाड़ की संस्कृति और कला पूरे देश में ही नहीं अपितु विश्वभर में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। लोककलाओं को सहेजने एवं उन्हें एक अनूठी पहचान दिलाने का श्रेय इस शिल्पग्राम को ही जाता है। उन्होंने कहा कि शिल्प्रग्राम के विकास में केन्द्र सरकार की और से हर संभव सहायता दी जाएगी। इस अवसर पर उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा एवं चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी.जोशी भी मौजूद थै।
कार्यक्रम के दौरान प्रभारी निदेशक सुधांशु सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया।
नगाड़ा बजाकर किया शिल्पग्राम उत्सव का आगाज:
इससे पूर्व राज्यपाल श्री मिश्र और अतिथियों ने मुक्ताकाशी रंगमंच पर श्रीगणेश छवि के सम्मुख दीप प्रज्वलन करने के बाद नगाड़ा बजाते हुए शिल्पग्राम उत्सव का रंगारंग आगाज़ किया।
लोककलाविज्ञ याज्ञिक को डॉ. कोमल कोठारी सम्मान:  
शिल्पग्राम उत्सव के शुभारंभ समारोह में राज्यपाल ने राजस्थान के लोककला मर्मज्ञ पद्मभूषण डॉ. कोमल कोठारी की स्मृति में केन्द्र के सदस्य राज्यों में लोक कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए गुजरात के लोक कला विज्ञ हसुमुख व्रजलाल याज्ञिक कोे लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार प्रदान किया। राज्यपाल व कला-संस्कृति मंत्री ने याज्ञिक को पुष्पगुच्छ भेंट करने के बाद शॉल ओढ़ाकर तथा 2.51 लाख रुपये नकद राशि, रजत पट्टिका व प्रशस्तिपत्र भेंट कर यह सम्मान प्रदान किया।


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