भाषा ही मनुष्य को आपस में जोड़ती है - प्रो. सारंगदेवोत

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Published on : 14 Dec, 19 05:12

पाँच दिवसीय सतत पुर्नवास शिक्षा का समापन

भाषा ही मनुष्य को आपस में जोड़ती है - प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुर  (डॉ. घनश्यामसिंह भीण्डर)। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी विश्वविद्यालय) के संघटक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी सायंकालीन महाविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ रिहैबिलिटेशन साइंसेज तथा भारतीय पुर्नवास परिषद्, भारत सरकार, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में "Ensuring inclusion of people with Disability in independent living program" विषय पर पाँच दिवसीय सतत् पुर्नवास शिक्षा कार्यक्रम के समापन के मुख्य अतिथि जय नारायण व्यास विवि जोधुपर के पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत ने कहा दिव्यांग बच्चों को नये कौशलों को सिखाने के लिए अलग-अलग तकनीकियों को प्रयोग विशेष शिक्षकों द्वारा किया जाता है। उन्हें निपुण बनाने में विशेष शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। दिव्यांग बच्चों के लिये किया जाना वाला प्रत्येक कार्य उनके लिए लाभकारी होता है। सहायक तकनीकी लोगों को कार्य करने के लिए सक्षम करने में अधिक स्वतन्त्रता को प्रोत्साहित करती है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि भाषा सीखने की तकनीक और इसे सरल रूप में समझना केवल भाषा शिक्षण से ही समझा जा सकता है। भाषा की वजह से आज हम सभी एक दूसरे को सुन व समझ पा रहे है। आये हुए सभी शिक्षकों को भाषा शिक्षण की तकनीकि तथा उसके उपागमों को बेहद आसान बनाते हुए तथा इसके नये स्वरूपों को तलाशते हुए दिव्यांग बच्चों की भाषा को और सुधारने का प्रयास करें। सहायक उपकरण दिव्यांग बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार और उनकी आजादी की भावना को बनाये रखने में मदद करता है। समन्वयक डॉ. सत्यभूषण नागर ने बताया की पाँच दिनों में विभिन्न वक्ताओं ने दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने तथा उनके स्वतन्त्र जीवन के महत्व को तथा सांस्कृतिक विविधता वाले समाज में विकलांगता के समावेश की बात बताई तथा विद्यार्थियों के स्कूल संबंधित कार्यों में प्रायोगिक दृष्टिकोण व चुनौतियों को समझाया। डिप्टी रजिस्ट्रार रियाज हुसैन, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. दिलीप सिंह चौहान ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन भावना राणा ने किया। पाँच दिवसीय सतत् पुर्नवास शिक्षा कार्यक्रम में प्रदेश के सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के कार्यकर्ता तथा डिपार्टमेंट ऑफ रिहैबिलिटेशन साइंसेज के विद्यार्थी को सर्टिफिकेट प्रदान किये गये।


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