बलात्कार को संसद में साम्प्रदायिक रूप देने वाली कांग्रेस माफी मांगे : विहिप

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Published on : 08 Dec, 19 07:12

बलात्कार को संसद में साम्प्रदायिक रूप देने वाली कांग्रेस माफी मांगे : विहिप

विश्व हिन्दू परिषद्(विहिप) ने देश में बढती बलात्कार की घटनाओं पर रोष व्यक्त करते हुए इस विषय को संसद में साम्प्रदायिक रूप देने वाली कांग्रेस से माफ़ी माँगने को कहा है. विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महा-सचिव डॉ सुरेन्द्र जैन ने आज कहा कि देश में बलात्कार की बढती हुई धटनाओं पर संपूर्ण देश दुखी है और अपराधियों को कठोरतम दंड देने की मांग कर रहा है. परंतु, पीड़िताओं की क्रूर हत्या पर राजनीति करना इस क्रूर अपराध से कम क्रूर अपराध नहीं है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता श्री अधीर रंजन चौधरी का यह कथन, "एक ओर मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही थी और दूसरी ओर सीता को जिंदा जलाया जा रहा था", घोर निंदनीय और आपत्तिजनक है। इन दोनों विषयों में कोई साम्य ना होने के बावजूद जिस तरह इनको जोड़ा गया, वह उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है। उनका यह बयान न केवल सीता माता का अपमान है वल्कि इस विषय पर देश की सम्वेदनाओं को भी आघात पहुंचाता है.

डॉ जैन ने यह भी कहा कि भारत में बढ़ते हुए बलात्कार जैसे संवेदनशील विषय पर लोकसभा में हुई चर्चा को कुछ सांसदों ने जिस तरह से सांप्रदायिक व राजनैतिक रंग देने की कोशिश की है, उस पर विश्व हिंदू परिषद चिंता व्यक्त करती है। सांसदों के वक्तव्य व व्यवहार उन सांसदों की मानसिकता को स्पष्ट करते हैं। राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के विषय पर तो इन लोगों की राम विरोधी मानसिकता पहले से ही स्पष्ट थी परंतु बलात्कार जैसे घिनौने विषय पर भी कोई राजनीति कर सकता है, यह किसी सभ्य समाज में अकल्पनीय है।

विश्व हिंदू परिषद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से यह मांग करती है कि वे स्पष्ट करें कि क्या अधीर रंजन चौधरी का बयान व व्यवहार कांग्रेस के चिंतन के अनुकूल है। यदि नहीं तो उन्हें इस बयान के लिए संपूर्ण देश, विशेषकर महिलाओं से, क्षमा याचना करनी चाहिए और अधीर रंजन चौधरी पर कठोरतम कार्यवाही करनी चाहिए। वे स्वयं एक महिला है और महिलाओं से संबंधित इस संवेदनशील विषय पर उनको अपनी स्थिति अति शीघ्र स्पष्ट करनी चाहिए।

विहिप ने सरकार से भी मांग की है कि वह इन घटनाओं में कठोरतम सजा एवं सन्तों व महा-पुरुषों से चर्चा कर संस्कार देने वाली उचित व्यवस्था का निर्माण करे.


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