जिला कलक्टर ने किया ’कुपोषण से जंग-पौष्टिक आहार के संग’ अभियान का आगाज

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Published on : 08 Dec, 19 07:12

जिला कलक्टर ने किया ’कुपोषण से जंग-पौष्टिक आहार के संग’ अभियान का आगाज

उदयपुर, उदयपुर जिले के सुदूर आदिवासी अंचल में जिला प्रशासन के सहयोग से नारायण सेवा संस्थान द्वारा ’कुपोषण से जंग-पौष्टिक आहार के संग’ अभियान का आगाज शनिवार को जिला कलक्टर श्रीमती आनन्दी ने किया। कलक्टर ने जिले के चिन्हित गांवों में जाने वाली टीमों और वितरण सामग्री के वाहनों को कलेक्ट्री परिसर से झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, विष्णु शर्मा हितेषी, भगपान लाल गौड सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
2 दिनों में 800 परिवारों को देंगे पोषण सामग्री
संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि अभियान के तहत दो दिनों में कोटड़ा, सायरा व झाड़ोल-फलासिया पंचायत समितियों के 26 गांवों में करीब 800 मासूम कुपोषित बच्चों, माताओं व अन्य परिजन को मल्टीविटामिन युक्त पौष्टिक आहार के किट वितरित किए जाएंगे।
यह होगा किट में
प्रत्येक किट में 15 दिन की राशन सामग्री के रूप में आयरन व अन्य पौष्टिक तत्वों से युक्त 10 किलो आटा, 2 किलो छिलके वाली मुंग दाल, 2 किलो चावल, 1 किलो शक्कर, 1 किलो आयोडिन युक्त नमक, 1 किलो सोयाबिन तेल व बिस्किट शामिल है। इस कार्य में 70 सेवाभावी लोगों का जुटा दल अपना विशेष सहयोग देगा।
शिविर प्रभारी एवं संस्थान निदेशक श्रीमती वन्दना अग्रवाल ने कहा कि आज पिपलवाड़ा (फलासिया) में 28, कड़ा (झाड़ोल) में 33, भानपुरा (सायरा) में 19, उखलियात (कोटड़ा) में 50 किट वितरित किए गए। कुपोषितजनों की स्वास्थ्य जांच करने के बाद पौष्टिक आहार दिया गया। यह किट पाकर जरूरतमंद के चेहरों पर खुशी देखने को मिली। संस्थान द्वारा हर 15 दिन के बाद फॉलोअप शिविर लगाकर कुपोषितों को पौष्टिक आहार किट दिया जाएगा।
आज यहां लगेंगे शिविर
अभियान के तहत 8 दिसम्बर को कोटड़ा पंचायत समिति के गांव बेकरिया, ढेडमरिया, बड़ली, महाड़ी, मामेर, वागावत, खजूरिया, सायरा पं.समिति के ढूंढी, वेसमा, फलासिया के आम्बीवाड़ा, बिच्छीवाड़ा, अम्बासा, पानरवा, नेवज व झाड़ोल पंचायत समिति के झाड़ोल, मगवास, थोबावाड़ा, चंदवास व गोरण गांवों शिविर आयोजित किए जाएंगे।जिले के सर्वांगीण विकास को लेकर सदैव तत्पर, जुझारू एवं ऊर्जावान जिला कलक्टर श्रीमती आनन्दी ने इस बार जिले को कुपोषण से मुक्त करने की बीडा उठाया है। कलक्टर के एक अभिनव प्रयास के तहत मावली तहसील में कुपोषण के खिलाफ छेडी जंग आज की तारीख में राज्य में मिसाल कायम कर रही है। ब्लॉक मावली में सामुदायिक कुपोषण निवारण अभियान के तहत एमटीसी में भर्ती 12 अति कुपोषित बच्चों मे से 10 बच्चों ने वनज बढ़ोतरी हुई । इस सफलता के बाद सामुदायिक कुपोषण निवारण अभियान को वृहत स्तर पर जिले की कोटडा, झाडोल ,फलासिया, सलुम्बर झल्लारा, गोगुन्दा ,सायरा, सेमारी, सराडा, लसाडिया, खैरवाडा, गिर्वा,कुराबड, ऋषभदेव में चलाया जा रहा है। कलक्टर ने इस अभियान से जुड़े सभी विभागों को इस दिशा में प्रभावी प्रयास करते हुए शत-प्रतिशत लक्ष्यों को पूर्ण करने के निर्देश दिए है।
यू होता है कुपोषित बच्चों का चिन्हीकरण :-
अभियान के नोडल प्रभारी व आईसीडीएस उपनिदेशक महावीर खराड़ी ने बताया कि विभिन्न तहसीलो में आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा, स्वच्छ परियोजना के कार्यकर्ता, राजीविका के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं तथा गैर सरकारी संगठन-आजिविका ब्यूरो, आदिवासी विकास मंच, जतन सेवा संस्था, सेवा मन्दिर आदि द्वारा टीम बनाकर घर-घर जा बच्चो का वजन, लम्बाई व एमयूएसई टेप से जांच कर कुपोषित व अति कुपोषित श्रेणी में बच्चो का चिन्हीकरण किया जाता है। इसके बाद एएनएम व कार्यकर्ता सर्वे पूर्ण करने का प्रमाण पत्र व चिन्हीत बच्चो की सूची विभाग के माध्यम से जिला कलक्टर कार्यालय तक पहुंचाई जाती है। जहां कलक्टर द्वारा इन सूचियों की जांच कर अन्तिम रूप दिया जाता है।
कुपोषण के खिलाफ जनजागरण :-
बच्चों के चिन्हीकरण के पश्चात् गांव में जनजागरण का कार्य जिला मुख्यालय पर स्थित नर्सिंग कॉलेज के छात्र/छात्राएं की टीम द्वारा प्रत्येक राजस्व गांव में जा कर ग्राम पंचायत कार्मिकां के सहयोग से प्राजेक्टर पर कुपोषण से सम्बन्धित डाक्यूमेंन्ट्री दिखा कर ग्रामीणो के साथ कुपोषण व स्वच्छता पर चर्चा की जाती है, एवं चिन्हींत बच्चां के परिजनो को पंचायत मुख्यालय पर लगने वाले 15 दिवसीय एमटीसी (कुपोषण निवारण केन्द्र) में ले जाकर उपचार करवाने हेतु प्रेरित किया जाता है।
क्या है एमटीसी
खराडी ने बताया की एमटीसी कुपोषित व अति कुपोषित बच्चो को कुपोषण के चक्र से बाहर निकालने के लिए सीएसी/पीएससी/ जिला मुख्यालय पर स्थापित होती है। जिसमें कुपोषित बच्चो को शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा निर्धारित डाईट व आवश्यक दवाईयां दी जाती है। इन एमटीसी केन्द्रो को अस्थाई रूप से 15 दिवस के लिये ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थापित कर इन कुपोषित बच्चों का उपचार चिकित्साधिकारी, नर्सिंग छात्रों की देखरेख में किया जाता है। जहां पर सम्बन्धित पंचायत समिति के विकास अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी की निगरानी में सफल आयोजन किया जा रहा है।
15 दिवसीय एमटीसी का स्वरूप :-
एमटीसी के प्रथम दिवस के दिन चिन्हीत बच्चों की चिकित्साधिकारी द्वारा गहन जांच कर उन बच्चो को चयनित किया जाता है जिन्हे एमटीसी में भर्ती किया जाना है। जो बच्चें गम्भीर अति कुपोषण का शिकार होते है उन्हे तुरन्त ही 108 के माध्यम से इस अभियान में सहयोग कर रहे गीतांजली अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। जहां चिकित्सक द्वारा इन बच्चों की पुनः गहन जांच की जाती है। जांच में रेफर किये गये बच्चों में गम्भीर रोग व शारीरिक विकृतिजैसे :-ह्दय मे छेद, पैरों का टेढ़ापन, चर्मरोग, नाक कान गले के रोगो का पता चला , जिसका गीतांजली अस्पताल द्वारा सरकार की विभिन्न योजना के माध्यम से निःशुल्क उपचार भी किया जा रहा है। वहीं ग्राम पंचायत पर स्थापित एमटीसी पर प्रथम तीन दिवस तक बच्चों को अल्प प्रोटीन युक्त मानक भोजन एफ 75 (दुध, शक्कर, खाद्य तेल, चावल के मुरमुरे के आटे का मिश्रण) तथा आवश्यक दवाईयों को नर्सिंग छात्रो की देखरेख में आईसीडीएस विभाग की आंगनवाडी कार्यकर्ता/ आशा/सहायिका व स्थानीय एएनएम के माध्यम से दिया जाता है। चौथे व पांचवे दिन प्रोटिन की मात्रा बढाकर मानक भोजन एफ 100 चिन्हीत बच्चों को दिया जाता है। छठे दिन से आखिरी 15 वें दिन तक बच्चों को एफ 100 के साथ विभिन्न हरी सब्जी युक्त खिचडी, मुंग दाल का हलवा दिया जाता है। इसी के साथ एमटीसी में भर्ती बच्चो का प्रतिदिन वजन व एमयूएसी टेप का रिकार्ड दर्जकर जिला स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम में भेजा जाता है। जिसके द्वारा प्रतिदिन की प्रगति से जिला कलक्टर को अवगत कराया जाता है।
एमटीसी के बाद भी तीन माह तक फोलोअप
इस अभियान की सत्तता को सुनिश्चित करने एवं यह निर्धारित किया गया की एमटीसी की समाप्ति के बाद भी तीन माह तक एमटीसी में भर्ती किये गये बच्चो का प्रत्येक 15 दिन के अन्तराल में चिकित्साधिकारी द्वारा जांच कर वजन व एमयूएसी टेप द्वारा रिकार्ड दर्ज किये जायेगें।
इन फोलोअप केम्पों में नारायण सेवा संस्थान की ओर से इन बच्चों के परिजनो को निःशुल्क र्फोटीफाईड आटा एवं अन्य खाद्य सामग्री उपलब्घ करवाई जाएगी ताकि ये बच्चें पुनः कुपोषण के चक्र में नही आ सकें।


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