5 साल 7 बार छूटे ना टीका एक भी बार से मिशन इंद्रधनुष का आगाज़

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Published on : 05 Dec, 19 14:12

मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम चार चरणों में होगा

5 साल 7 बार छूटे ना टीका एक भी बार से मिशन इंद्रधनुष का आगाज़

'5 साल 7 बार छूटे ना एक भी बार 'जन्म के समय से लेकर 5 साल तक सात बार बच्चों को टीकाकरण किया जाए, इस उद्देश्य के साथ सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम का आगाज़ सोमवार को हुआ।
जिले के समस्त खंड में सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 के चार चरण 2 दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक, प्रत्येक माह चार चरण में आयोजित किए जाने हैं 
प्रथम चरण 2 दिसंबर 2019 से, द्वितीय चरण 6 जनवरी 2020 से, तृतीय चरण 3 फरवरी 2020 तथा चतुर्थ चरण 2 मार्च 2020 से प्रारंभ होगा। हर चरण 7 दिन का होगा। इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य टीकाकरण कार्ड हर लाभार्थी बच्चे व गर्भवती मां को मिले ताकि कोई भी टीकाकरण से ना वंचित रहे। नियमित टीकाकरण से वंचित गर्भवती महिलाएं एवं बच्चों, लेफ्ट आउट, ड्रॉपआउट व टीकाकरण का प्रतिरोध करने वाले परिवार का सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 में टीकाकरण करना सबसे प्रमुख उद्देश्य है।
 साथ ही सघन मिशन इंद्रधनुष के द्वारा गुणवत्ता सुधार व दीर्घकालिक लाभ लेते हुए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ़ किया जाएगा तथा कमजोर एवं वंचित टीकाकरण क्षेत्रों में इस कार्यक्रम के द्वारा टीकाकरण दर में सुधार लाना संभव होगा। संचार माध्यम से नियमित टीकाकरण के लिए समुदाय में टीकाकरण मांग को बढ़ाना तथा वैक्सीन के प्रति विश्वास जगाना भी संभव है।
  जहां महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ए.एन.एम का पद 3 माह या इससे अधिक लंबे समय से रिक्त चल रहा हो, ए.एन.एम लंबे अवकाश पर हो, दुर्गम क्षेत्र तथा छोटी-छोटी ढाणियों या ऐसे उपकेंद्र जहां पर टीकाकरण का कवरेज उपलब्धि न्यून है, शहरी क्षेत्रों में उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां पर कच्ची बस्ती, राजमार्ग के किनारे रेलवे ट्रैक के किनारे झुग्गियां बना कर रहे लोग, निर्माण स्थल, ईंट -भट्टे व श्रमिक बस्तियां बनी हुई हों या ऐसे क्षेत्र जहां लोग टीकाकरण नहीं करवाते हैं, वहां टीकाकरण सत्रों का चयन किया गया है। 
  इस प्रकार बड़ी सादड़ी, बेगूं, भदेसर, भोपाल सागर, चित्तौड़गढ़, डूंगला, गंगरार, कपासन, निंबाहेड़ा व रावतभाटा तथा दो अर्बन जगहों पर 70 स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां 545 बच्चों 135 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाएगा।
    जन्म के समय बीसीजी, ओपीवी-0, हेपेटाइटिस बी (जन्म के समय खुराक), 6 सप्ताह में ओपीवी-1, पेंटावेलेंट-1, रोटा-1, एफ -आई पीवी-1, 10 सप्ताह में ओपीवी-२, पेंटावेलेंट-२, रोटा-२, 14 सप्ताह में ओपीवी-३, पेंटावेलेंट-३, रोटा-३, एफ-आईपीवी-२,पीसीवी-२, 9 माह में  एम आर-1, विट ए, पीसीवी-बू, 16 से 24 माह के अंदर डीपीटी-बू-1,ओपीवी-बू, एम आर-२, विट ए,5 वर्ष डीपीटी-बू-२, 10 वर्ष टीटी, 16 वर्ष में टीटी, विटामिन ए को प्रत्येक 6 महीने में 5 वर्ष तक की आयु तक दिया जाना तय किया गया है। इस प्रकार सरकार ने 11 तरह के टीकों को इस कार्यक्रम में सम्मिलित किया है। सरकार प्रत्येक बच्चे पर ₹30000 तक मूल्य वाले टीके इस अभियान में सम्मिलित कर चुकी है।
  रूबेला रोटा वायरस आदि के टीके लगाना बच्चों को अति आवश्यक है। रोटा वायरस के टीकाकरण के अभाव में बच्चों को दस्त आदि लगने से जान भी जा सकती है। रूबेला टीकाकरण से महिलाओं व बच्चों को बहुत फायदा हुआ है अन्यथा पहले गर्भवती महिलाओं से गर्भस्थ शिशुओं को यह रोग हो जाने पर मंदबुद्धि बच्चे पैदा होने की संभावना होती थी। मीज़ल्स, रूबेला आदि बीमारियों का ग्राफ टीकाकरण प्रोग्राम से काफी नीचे आया है। पोलियो के लिए भी अभी सर्विलेंस सिस्टम काम कर रहा है। बच्चों को लकवा होने की स्थिति में स्टूल टेस्ट करने के लिए अहमदाबाद भेजा जाता है तथा पोलियो पर पूरी निगरानी रखी जाती है जिनमें उनकी हिस्ट्री का पूरा इन्वेस्टिगेशन किया जाता है। साथ ही ममता कार्ड बनाए जाते हैं जिससे कि महिलाओं व बच्चों की ट्रैकिंग करना आसान हो जाता है। सिस्टम ऑनलाइन होने से इनकी मॉनिटरिंग करना आसान होता है। 
  सोमवार को सघन मिशन इंद्रधनुष प्रोग्राम के तहत मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मीडिया को आर सी एच ओ श्री हरीश उपाध्याय द्वारा टीकाकरण कार्यक्रम की महत्ता तथा इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यशाला में समस्त मीडिया जन व डॉ देवीलाल भी उपस्थित थे।


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