शरीर, मन एवं चेतना की ऊर्जा को आज के कुत्सित माहौल में जगाना होगाः श्री परम आलय

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Published on : 04 Dec, 19 11:12

शरीर, मन एवं चेतना की ऊर्जा को आज के कुत्सित माहौल में जगाना होगाः श्री परम आलय

मुम्बई । मनुष्य के शरीर, मन एवं चेतना की ऊर्जा की आज के कुत्सित माहौल में मिलावट होती जा रही है जिससे मनुष्य अपने समाज को पतन की ओर ले जा रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि हमें इन तीनो को पृथक रखते हुए अपने जीवन में इन्हें जगाना होगा।

यह बात सन्त परम आलयजी ने बुधवार प्रातःकाल दक्षिण मुम्बई के आजाद मैदान में आयोजित नौ दिवसीय ’’मनुष्य मिलन साधना शिविर’’ में विभिन्न धर्म सम्प्रदाय के उपस्थित हजारो श्रृद्धालुओ की उपस्थिति में कही। उन्होंने बताया कि हमें ज्ञान, ज्ञाता एवं ज्ञेय तीनो को गहराई से समझना होगा। दृश्य के साथ अदृश्य को जोडना है तथा अरूप के साथ अपने को एक करते विचलित व भ्रमित मन को बदलना होगा। हम संस्कारो को परिस्थिति जन्य कर नकारात्मकता के साथ चौबीस घन्टे जीने लगे है। मनुष्य आज भूख, गति एवं नींद का गुलाम बन गया है। प्रकृति प्रदत जीवनचर्या में बदलाव कर हम ’’योगी’’ की जगह भोगी, निशाचर एवं रोगी बनते जा रहे है।

 

’’सन-टू-ह्मुमन’’ संस्था की ओर से आयोजित ’’कुण्डलिनी जाग्रत’’ इस अनूठे साधना शिविर प्रतिदिन प्रातः ६ से आठ तथा सांय साढे ६ से साढे ८ तक चलने वाले इस शिविर में मुम्बई के कोने-कोने से हजारो साधक उपस्थित हो कर अपने जीवन को निखारने का अद्भुद् प्रयास योग, व्यायाम, नृत्य एवं योगिक खान-पान के साथ कर रहे है। साधना शिविर के समन्वयक मुम्बई के जाने माने उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री प्रकाश कानूगो ने बताया कि ’’लार‘‘(सलिवा) आधारित ध्यान तथा उच्च ऊर्जावान प्राकृतिक भोजन एवं हल्के व्यायाम के सहज प्रयोगो के दर्शन पर आधारित यह साधना शिविर, मनुष्य के शरीर व मन को संगीत नृत्य, ज्योति एवं भाव प्रधान साधना है। इसमें जीवन को सुन्दर बनाने के लिए गहरे सूत्रो एवं प्रयोगों का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

साधना शिविर में सन्त परम आलयजी ने बताया कि हम अपने भौतिक शरीर की आवश्यकताओ की पूर्ति तेजी से करते जा रहे है। जीवन के साधनो का असन्तुलित उपयोग नासमझी से करने पर जीवन के अतिदुर्लभ मूल पंचतत्वो का पृथ्वी पर तेजी से हश्र्र हो रहा है। हमारा अर्न्तज्ञान कम ओर बाह्म ज्ञान अधिक बढता जा रहा है जो कि आज मनुष्य की मौलिक समस्याएं बढा रहा है। हम आज अपना जीवन जीना भूल रहे है एवं आदर्श जीवन को रोक दिया है। सम्मोहन की जगह घृणा पैदा कर रहे है। हमें दृश्य के साथ दृश्यता को एक करके ’’सार्वभौमिक नियमो‘‘ का पलन करते सकारात्मक जीवन मे अपने को नित ऊर्जावान बनाए रखना है। साधना शिविर आगामी ९ दिसम्बर तक प्रातः एवं सांय निःशुल्क आयोजित है। 

 


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