उदयपुर । पेसिफिक मेडीकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल में वीवीएफ की समस्या से परेशान सुखीदेवी का सफल ऑपरेशन कर १२ बर्षो से लगातार पेशाब आने की समस्या छुटकारा दिलाया।
दरअसल पाली जिले के सियाणा गॉव की रहने वाली ५२ बर्षीय सुखीदेवी को पिछले १२ बर्षो से लगातार बच्चा होने के रास्ते से पेशाब आने की शिकायत के चलतें परेशान थी। सुखीदेवी के पेशाब की थैली एवं बच्चे के रास्त के बीच कई छेद हो गए थे जिसके परिणाम स्वरूप उसके सामान्य रास्तें से पेशाब न आकर लगातार बच्चें के रास्ते सें पेशाब बहता था। पेशाब की बदवू और सदैव उसके गीलें होने से स्वयं सुखीदेवी ही नहीं बल्कि उसके परिजन भी परेशान थें। मेडीकल की भाषा में इस समस्या को वीवीएफ कहतें है। जिसके कारण घर के कामों के साथ साथ कोई भी दूसरा काम करने में असमर्थ थी घर वालो ने भी कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। समस्या ज्यादा होने के कारण उसके इलाज के लिए पालनपुर ले गए लेकिन महॅगा इलाज और गरीब होने के कारण परिजन इलाज कराने में असमर्थ थे। परिजन उसे पेसिफिक मेडीकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल लेके आए जहॉ उन्होने यूरोलॉजिस्ट एवं रिकन्स्ट्रक्शनल सर्जन डॉ.हनुवन्त सिंह राठौड को दिखाया। डॉ.राठौड ने सुखीदेवी की सिस्टोस्कॉपी की तो पाया कि पेशाब की थैली एवं बच्चें के रास्ता आपस में आठ से दस जगह से जुडा हुआ है जिसका कि आपरेशन द्वारा ही इलाज सम्भव था। लगभग तीन घण्टे तक चले इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया यूरोलॉजिस्ट एवं रिकन्स्ट्रक्शनल सर्जन डॉ.हनुवन्त सिंह राठौड,डॉ.क्षितिज रॉका,डॉ.प्रकाश औदित्य,डॉ.अनिल रत्नावत,चन्द्रमोहन शर्मा,रवि कसारा एवं अनिल भट्ट की टीम ने। इस तरह के ऑपरेशन में लगभग तीन से साढे तीन लाख तक का खर्चा आता है लेकिन पीएमसीएच में सुखीदेवी का सरकार की भामाशाह योजना और मैनेजमेन्ट के सहयोग से निशुल्क ऑपरेशन हो गया।
डॉ.हनुवन्त सिंह राठौड ने बताया कि इस ऑपरेशन में पेशाब की थैली और बच्चें के रास्ते को कम्बांइड ऐप्रोच से अलग-अलग किया गया और पेशाब की थैली में बने रास्तों को पेट के अन्दर ऑतों को कवर करने वाली ओमेन्टम झिल्ली के द्वारा बन्द कर दिया। डॉ.राठौड ने बताया कि मरीज की पेशाब की थैली सिकुड कर बहुत ही छोटी,मात्र २० से ३० एमएल की रह गई थी अतः ऑपरेशन द्वारा पेशाब की थैली की क्षमता बढाने के साथ साथ वीवीएफ रिपेयर करना आवश्यक था। इस ऑपरेशन में पेशाब की थैली की क्षमता बढाने के लिए छोटी ऑत से करीब डेढ मीटर का टुकडा लेकर नई पेशाब की नई थैली बनाई गई जिसे मेडीकल की भाषा में नियोब्लेडर रिकन्स्ट्रक्शन कहते है। सुखीदेवी अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।