देशभर में जैविक खेती करने वाले ३००० से अधिक किसान पहचे उदयपुर

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Published on : 29 Nov, 19 14:11

ऑर्गेनिक महोत्सव ः जैविक खेती का दिखा नया रूप एजुकेशन सिस्टम में जैविक खेती के बारे में बताना जरूरी

देशभर में जैविक खेती करने वाले ३००० से अधिक किसान पहचे उदयपुर

उदयपुर। ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया एंव पेसिफिक यूनिवर्सिटी के साझे से शिल्पग्राम में शुक्रवार से तीन दिवसीय ऑर्गेनिक महोत्सव की शुरूआत हुई। इस महोत्सव में २५ राज्यों के ३००० से अधिक जैविक खेती करने वाले किसान, विशेशज्ञों ने हिस्सा लिया और जैविक खेती के लिए किया जा रहे अपने प्रयोगों को साझा किया।

महोत्सव में विशिष्ठ अतिथि जैविक खेती के साधक कहे जाने वाले पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित झालावाड निवासी हुकम चंद पाटीदार ने कहा कि देश में फूड सिक्योरिटी खाद्यान सुरक्षा पर बडी-बडी सरकारी एजेंसी और संगठन काम कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नहीं हो पा रहे हैं, इसका कारण यह है कि हम इसमें सप्लाई पर तो ध्यान दे रहें, लेकिन उत्पादन पर नहीं। स्वस्थ जीवन के लिए एक सुरक्षित आहार जरूरी है। ऐसे में फूड सिक्योरिटी तभी सफल होगा जब अनाज उत्पादन पर ध्यान दिया जाए, कि अनाज का उत्पादन कैमिकलयुक्त है या ऑर्गेनिक। ऑर्गेनिक खेती से फूड, हेल्थ, एनवायमेंट की परिकल्पनाएं पूरी होंगी।

विशिष्ठ अतिथि पेसिफिक यूनिवर्सिटी के चैयरमेन राहुल अग्रवाल ने बताया कि हमने जब चार साल पहले एग्रीकल्चर कॉलेज शुरू किया था, तभी हमने यह सोच लिया था कि ऑर्गेनिक खेती को बढावा देने के लिए आने वाले युवाओं को इससे जोडना और उनके रोजगार का साधन इसे बनाना जरूरी है। हम प्रयास कर रहे हैं कि हमारे यहां पढने वाला बच्चा ऑर्गेनिक फार्मिंग के महत्व को समझे और इसमें अपना कॅरियर बनाए।

महोत्सव में विशिष्ठ अतिथि मोटीवेशनल स्पीकर और वरिष्ठ पत्रकार एन रघुरमन, स्वराज यूनिवर्सिटी से जुडकर उदयपुर में ऑर्गेनिक खेती के बढावा पर काम कर रहे मनीष जैन, विशिष्ठ अतिथि स्टेट इंटीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉ शरद गोधा, नीदरलैंड में ऑर्गेनिक खेती पर काम कर रही इंटरनेशन एसोसिएशन ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग एंड मैनेजमेंट की मेंबर एडिथ वान वॉल्सम, कोस्टारिका से आए फ्रांसिस्को, ४० साल से ऑर्गेनिक खेती पर काम कर रहे क्लाउड अलवर्स और किसानों ने अपने अनुभव, प्रयोग साझा किए।

ऑर्गेनिक उत्पाद से आए परिवर्तन की केस स्टडी से लोग जागरूक होंगें

विशिष्ठ अतिथि मोटीवेशनल स्पीकर और वरिष्ठ पत्रकार एन रघुरमन ने कहा कि ऑर्गेनिक खेती के महत्वपूर्ण को जन-जन तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है कि ऐसे केस स्टडी मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाए जाएं, जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थे, लेकिन फिर उन्होंने ऑर्गेनिक खेती के उत्पादों को सौ प्रतिशत अपनी जीवन शैली में शामिल किया और फिर वे धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगे और ठीक हो गए। स्वराज यूनिवर्सिटी से जुडकर उदयपुर में ऑर्गेनिक खेती के बढावा पर काम कर रहे मनीष जैन ने बताया कि आज एजुकेशन सिस्टम ऐसा हो गया है, जिसमें किसानों का मर्डर हो रहा है। बच्चे एजुकेशन लेकर नौकरी तो करते हैं, लेकिन घर में खेत होने के बावजूद खेती करना पसंद नहीं करते, उन्हें खेती करने में शर्म आती है। ऐसे में ऑर्गेनिक खेती के महत्व को समझने और जीवन में ढालने के लिए एजुकेशन सिस्टम में बदलाव की भी जरूरत है।

१११ स्टॉल्स पर किसानों ने जैविक खेती के उत्पाद, बीज प्रदर्शित किए

ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव रोहित जैन ने बताया इस तीन दिवसीय महोत्सव में देश के २५ राज्यों से आए किसानों ने १११ स्टॉल्स लगायी हैं। इन स्टॉल्स पर इन्होंने जैविक खेती के बीज, फसल, उत्पादों का प्रदर्शन किया है। ये सभी सफल प्रयोग हैं, जो संचालित हो रहे हैं। छह चौपाल बनायी गयी हैं, जहां अलग-अलग राज्यों के किसान अपने ऑर्गेनिक खेती को लेकर प्रयोग और अनुभव एक-दूसरे के साथ साझा कर रहे हैं।

विशिष्ठ अतिथि स्टेट इंटीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉ शरद गोधा ने बताया कि मेरी ३३ साल की नौकरी में हमने सरकारी तंत्र में रहकर सिर्फ इस बात की चिंता की कि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो, कैमिकलयुक्त खेती करते चले गए। स्थिति यह हुई कि आज पंजाब से राजस्थान कैंसर पीडत मरीजों के लिए ट्रेन चलानी पड रही है। आज छींक भी आती है तो हम डर जाते हैं किसी गंभी बीमारी के अंदेशे से। हम डरे हैं, क्योंकि हमने खुद अपने हाथों से अपने अंगों में जहर डाला है।

लेकिन अब सरकारें ऑर्गेनिक खेती के महत्व को समझ चुकी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस बार बजट में ऑर्गेनिक खेती के लिए एक बडा बजट अलॉट किया, जिसकी शुरूआत हमने तीन जिलों से कर दी है।

विदेशों में ऑर्गेनिक खेती के अनुभव बताए

नीदरलैंड में ऑर्गेनिक खेती पर काम कर रही इंटरनेशन एसोसिएशन ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग एंड मैनेजमेंट की मेंबर एडिथ वान वॉल्सम ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि वे नीदरलैंड के एक गांव में जन्मी, ऐसे में किसानों के सामने की चुनौतियों को उन्होंने समझा। उन्होंने बताया खेती उपयोगी भूमि के लिए विश्व में इंडिया दसवें स्थान पर है, लेकिन ऑर्गेनिक खेती कुछ प्रतिशत हिस्से में ही हो रही है। अधिकांश हिस्से में कैमिकल युक्त फर्टीलाइजर से खेती हो रही है, जिससे मृदा काफी खराब हो चुकी है। कार्यक्रम में कोस्टारिका से आए फ्रांसिस्को ने भी अपने अनुभव साझा किए।

इसके बाद ४० साल से ऑर्गेनिक खेती पर काम कर रहे क्लाउड अलवर्स और किसानों ने पेप्सीको केस में अपनी जीत के अनुभव साझा किए।

१११ स्टॉल्स पर किसानों ने जैविक खेती के उत्पाद, बीज प्रदर्शित किए

ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव रोहित जैन ने बताया इस तीन दिवसीय महोत्सव में देश के २५ राज्यों से आए किसानों ने १११ स्टॉल्स लगायी हैं। इन स्टॉल्स पर इन्होंने जैविक खेती के बीज, फसल, उत्पादों का प्रदर्शन किया है। ये सभी सफल प्रयोग हैं, जो संचालित हो रहे हैं।


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