आईजी बिनीता ठाकुर से मिले अनाथ बच्चे

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Published on : 23 Nov, 19 13:11

आईजी बिनीता ठाकुर से मिले अनाथ बच्चे, एयरपोर्ट पर वीआईपी की तरह खाया खाना और प्लेन देख कर खुशी के मारे नाच उठे

आईजी बिनीता ठाकुर से मिले अनाथ बच्चे

उदयपुर। कोई थानेदार बनना चाहता है तो कोई प्रशासनिक अधिकारी कोई कलेक्टर बनना चाहता है तो कोई डॉक्टर तो कोई कुछ और... ये सपने उन बच्चों के जो बदकिस्मती से अनाथ है। ना उनके आगे कोई है ना कोई पीछे ऐसे अनाथ बच्चों ने आज उदयपुर में आईजी बिनीता ठाकुर से मुलाकात की इसके साथ ही शहर भ्रमण भी किया। गोगुंदा के ओगणा में संचालित लवीना सेवा संस्थान के 25 बच्चे आज निम फाउंडेशन उदयपुर के सहयोग ओर संस्थान संचालकों के साथ उदयपुर पहुंचे।

निम फाउंडेशन की फाउंडर रोशनी बारोट ने बताया कि इन बच्चो की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए इन्हें आईजी बिनीता ठाकुर से मिलवाया गया। आईजी भी सभी बच्चो से स्नेहपूर्वक मिली और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। बिनीता ठाकुर से मिलकर सभी बच्चो का हौसला काफी बढ़ा क्योंकि ये बच्चे भी निकट भविष्य में प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं। आईजी से मुलाकात के बाद सभी बच्चों को फतेहसागर पर वोटिंग कराई गई जहां उन्होंने झील में हिलोरे खाती हुई नाव में फतेहसागर का खूब आनंद लिया। इन छोटे-छोटे बच्चों का कहना था कि वह पहली बार इतनी बड़ी झील में इतनी बड़ी नाव में बैठे हैं उन बच्चों के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी। यहां से सभी बच्चे लवीना सेवा संस्थान और नीम फाउंडेशन के सदस्यों के साथ शहर की चकाचौंध से रूबरू होते हुए महाराणा प्रताप हवाई अड्डा पहुचे। एयरपोर्ट पर नीम फाउंडेशन की रोशनी बारोट द्वारा एयरपोर्ट प्रबंधन से अनुमति लेकर सभी बच्चो को एवन केटरिंग सर्विसेज क्लब वन एयर के लॉन्ज में वीआईपी गेस्ट की तरह खाना खिलाया गया, बाद में टर्मिनल से सभी बच्चो को रन-वे पर उतरते हुए और उड़ते हुए प्लेन दिखाया। एयरपोर्ट की सुविधाओं और प्लेन को इतना करीब से देखकर सभी बच्चे गदगद हो उठे ओर खुशी के मारे नाच उठे। इससे पूर्व रोशनी ने कुछ बच्चों के नंगे पैर देख कर उन्हें शूज दिलवाए।

लवीना सेवा संस्थान के संस्थापक भरत कुमार पूर्बिया ने बताया कि संस्था में वर्तमान में 30 अनाथ बच्चे है और 2 साल से बड़ी मुश्किल से इन बच्चो का पालन किया जा रहा है। सरकार से कई बार इन बच्चो के लिए बजट मांगा गया पर अभी तक कोई भी बजट नही मिला ना ही स्थानीय जन प्रतिनिधियों द्वारा इन बच्चो के पालन - पोषण के लिए कोई सहायता दी गयी है। संस्थान को अगर आर्थिक सहायता मिलती है, तो इन बच्चो के रखरखाव को ओर अधिक बेहतर किया जा सकता है।


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