परिवार का हौंसला देख,देर रात 125 किलोमीटर दूर से नेत्रदान ले आये 

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Published on : 20 Nov, 19 06:11

दो दृष्टिहीन लोगों में रौशन रहेंगी,निरंजन जी की आँखे

परिवार का हौंसला देख,देर रात 125 किलोमीटर दूर से नेत्रदान ले आये 

संभाग भर में नेत्रदान अंगदान देहदान नेत्रदान के लिये कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के कार्य करने के बाद से शहर के साथ साथ अब गाँव, कस्बों और छोटे छोटे शहरों में,नेत्रदान के प्रति जागरूकता का स्तर काफ़ी बढ़ा है । 

नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता दिखाई देने लगी समाजसेवी द्वारा मृतकों के परिजनों को इस कार्य के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

सोमवार शाम झालावाड़ जिले के अकलेरा के निवासी घासी लाल जी गौतम की 70 वर्षीया पत्नी निरंजन शर्मा जी का हृदयगति रुकने से शाम 4 बज़े निधन हो गया ।

माँ के निधन के उपरांत उनके दोनों बेटे प्रदीप व मनोज शोक में आ गए,उनके देहांत की ख़बर पूरे शहर में बहुत तेज़ी से फैल गयी ,यह सूचना उनके क़रीबी रिश्तेदार अरुण गौतम को व मित्र रामकुमार विजयवर्गीय को भी लगी ।

अकलेरा के रामकुमार जी ने 2 वर्ष पूर्व अपनी माता जी मोहन देवी का नेत्रदान कोटा में करवाया था,उसके बाद अकलेरा में भी लोकेश जी के पिता जी का भी नेत्रदान टीम ने आकर लिया हुआ है । दोनों को इस बात की खुशी थी कि,वह जानते थे,उनके परिजन भले ही इस दुनिया में नहीं रहे,पर उनकी आँखों से दो दृष्टिहीन व्यक्ति इस सुंदर दुनिया को देख रहे है ।

इसी कारण से अरुण, रामकुमार और लोकेश जी ने प्रदीप जी को भी अपनी माँ निरंजन जी के नेत्रदान करवाने के लिये कहा । थोड़ा समझाने के बाद परिवार वालों ने नेत्रदान की इच्छा प्रकट की। 

रामकुमार जी के सूचना देने के बाद,उन्होंने कोटा में शाइन इंडिया फाउंडेशन की टीम को सम्पर्क किया । कोटा से 125 किलोमीटर दूर जाकर नेत्रदान लेने में संस्था के लोगों को कभी परेशानी नहीं हुई,पर प्रदीप जी को संशय था कि, कहीं ऐसा न हो कि यहाँ आने तक आँखो का कॉर्निया खराब हो जाये,तब आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के बीबीजे चैप्टर के कोर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने कहा कि कॉर्निया मृत्यु के बाद गर्मियों में 6 से 8 घण्टो में,व सर्दियों में 10 से 12 घंटे में ले लिया जाता है,जिसमें किसी भी तरह का कोई रक्त बाहर नहीं आता है,और न चेहरे पर किसी तरह की कोई विकृति आती है । साथ ही यह भी बताया गया कि इस प्रक्रिया में  पूरी आँख नहीं ली जाती है,सिर्फ आँख का सबसे बाहरी पारदर्शी हिस्सा लिया जाता है । साथ ही, यदि कहीं भी शोक का पल किसी परिवार में आता है,और परिजन पार्थिव शरीर के नेत्रदान करवाने को तैयार है,तो उनकी टीम 24 घंटे, सातों दिन किसी भी समय,कोटा से नेत्रदान लेने आने को तैयार है । नेत्रदान की प्रक्रिया होने तक यह भी ध्यान रहे कि, पार्थिव शरीर की आँखे पूरी तरह बंद रहे,उन पर गीली पट्टी रहे,और पंखा नेत्रदान की प्रक्रिया होने तक बंद ही रखें ।

देर रात कोटा से टैक्सी से अकलेरा आकर ,टीम ने घर पर ही नेत्रदान प्राप्त किया तथा प्रक्रिया के दौरान, साथ में रक्तदाता समूह टीम देवली के सदस्य रोहित किराड़,ईश्वर किराड़,भगवान सिंह किराड़,दिनेश किराड़,मुकेश भाट आदि उपस्थित रहे। अकलेरा नगर का यह तीसरा नेत्र दान है।

शाइन इंडिया फाउंडेशन विगत 9 वर्षों से पूरे कोटा संभाग में नेत्रदान-अंगदान-देहदान जागरूकता,मृत्यु उपरांत नेत्र-संग्रहण, कॉर्निया अंधता निवारण, दृष्टिबाधित लोगों के अधिकार के लिये 150 किलोमीटर के दायरे में काम कर रही है।  संस्था के प्रयास से 444 जोड़ी नेत्रदान अभी तक प्राप्त हुए है,जिनसे न्यूनतम 600 से अधिक कॉर्निया की अंधता से पीड़ित लोगों की आँखों में रौशनी मिली है ।


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