छात्रों ने बनाया ऑल-टेरेन व्हीकल (एटीवी)

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Published on : 04 Nov, 19 14:11

शालू बब्बर ने इस परियोजना के लिए शिक्षकों, विशेष रूप से सुश्री प्रियंका (प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर), छात्रों तथा पूरी गोयनका टीम को बधाई दी और छात्रों को 21 वीं सदी के लिए सफल नागरिक बनने के लिए भविष्य में इस प्रकार के प्रयास करने

छात्रों ने बनाया ऑल-टेरेन व्हीकल (एटीवी)

उदयपुर। जी. डी. गोयनका इंटरनेशनल स्कूल उदयपुर के विद्यार्थियों ने अपने शानदार इंजीनियरिंग कौशल का कमाल दिखाते हुए मेधावी शिक्षकों के निर्देशन में ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी) बनाया है।
सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में जी. डी. गोयनका इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल शालू बब्बर ने बताया कि जी. डी. गोयनका स्कूल के बच्चों को प्रायमरी कक्षा के स्तर से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए उन्हें स्कूल में ही प्रोयोगिक तौर पर अपनी पसंद के उपकरणों को देखने-समझने और अपनी मानसिक क्षमताओं के अनुसार नए मॉडल विकसित करने में मदद की जाती है। इसी के तहत बच्चों ने मिलकर ऑल टेरेने व्हीकल-एटीवी बनाया है जो दिखने में भी अद्भुत है और इसकी उपयोगिता भी लाजवाब है।
शालू बब्बर ने बताया कि इस प्रकार के व्हीकल के निर्माण की योजना को मूर्त रूप लेने में पांच महीने का वक्त लगा। इस वाहन के कई पाट्र्स विदेशों से मंगवाए गए। पूरा प्रोजेक्ट छात्रों ने खुद असेंम्बल करते हुए अपनी इंजीनियरिंग का कमाल दिखाते हुए तैयार किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से हुनर दिखा कर बच्चे देश के विकास में योगदान तो दे ही सकते हैं, सफल विद्यार्थियों के रूप में अपनी मौलिक पहचान भी बना सकते हैं। इस प्रयास में सीनियर छात्रों के मार्गदर्शन में जूनियर छात्रों ने भी अपने अनुभवों को साझा किया और डिजाइन से लेकर व्हीकल तैयार करने तक में अपनी भूमिका बखूबी निभाई। छात्रों ने ही प्रबंधन को परियोजना का प्रस्ताव दिया और कुशल शिक्षकों के मार्गदर्शन में उसे पूरा भी कर दिखाया।
शालू बब्बर ने इस परियोजना के लिए शिक्षकों, विशेष रूप से सुश्री प्रियंका (प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर), छात्रों तथा पूरी गोयनका टीम को बधाई दी और छात्रों को 21 वीं सदी के लिए सफल नागरिक बनने के लिए भविष्य में इस प्रकार के प्रयास करने के लिए इस तरह के मंच प्रदान करने का वादा किया। उन्होंने बताया कि ऑल टेरेन व्हीकल एक ऐसा चार पहिया वाहन है जो उबड़-खाबड़ जमीन पर भी आसानी से दौड़ सकता है। इसमें चार पहिये हैं इसलिए इसे क्वाड साइकिल भी कहते हैं। बाइक जैसी दिखने वाली इस क्वाड साइकिल को बनाने से पहले शिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्रों ने इसका गहन अध्ययन किया। उसके बाद पाट्र्स के बारे में चर्चा की। उसके बाद विदेशों से पाट्र्स मंगवाए गए। सबसे खास बात यह रही कि सभी पाट्र्स यूरोपियन काउंसिल के मानकों के अनुसार हैंं। इनसे कोई भी नुकसानदायक उत्सर्जन नहीं होता है। उसके बाद स्कूल में ही पाट्र्स की असेम्बलिंग की गई। प्राजेक्ट की हॉलिस्टिक अप्रोच की खूबसूरती यह है कि प्राइमरी के बच्चों ने भी अपनी इमेजिनेशन के अनुसार इस प्राजेक्ट की स्कैच बना कर उत्साह बढ़ाया। इस मल्टीपरपज व्हीकल का उपयोग स्कूल के विशाल कैम्पस में मॉनिटरिंग, विजलेंस सहित अन्य कई कार्यों के लिए हो सकेगा। बच्चें भी साइट सीन कर सकेंगे। इसमें 250 सीसी का फोर स्ट्रोक इंजन है व 7.5 लीटर की टंकी है।


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