कोटा में नेत्रदान के सूत्रधारों में से एक थे राठी, मृत्यु उपरांत परिजनों ने कराया उनका नेत्रदान

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Published on : 04 Nov, 19 04:11

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल,कोटा

कोटा में नेत्रदान के सूत्रधारों में से एक थे राठी, मृत्यु उपरांत परिजनों ने कराया उनका नेत्रदान

कोटा में 30 वर्ष पहले नेत्रदान के कार्य को प्रारंभ करने वालो की टीम में से एक सूत्रधार, वल्लभ-बाड़ी निवासी गिरिराज राठी का शनिवार को देर रात एक बज़े निधन हो गया । गिरिराज जी का जैसा नाम वैसा ही उनका काम । मीठी वाणी,मधुर संवाद,कर्तव्यनिष्ठ, सेवा-भावी व दृढ़ इच्छाशक्ति वाले गिरिराज  सिद्धांत के इतने पक्के की,यदि कोई भी बात इनको गलत लग गयी है,तो बहुत ही सरलता से अपनी बात को समझा देते थे । लायन्स क्लब में राठी जी का योगदान भी कुछ कम नहीं रहा है,वह लायंस क्लब कोटा में कई शीर्ष पदों पर रह चुके है। वर्तमान में वह कोटा ब्लड बैंक के कोषाध्यक्ष के पद पर थे । रक्तदान के क्षेत्र में भी इनका योगदान अत्यंत  सराहनीय है 

         शाइन इंडिया के सदस्यों का कहना है कि उनकी सफलताओं में राठी जी का भी योगदान काफ़ी रहा है , हम सभी ने एक अच्छे समाज सेवक को खो दिया है । रात एक बज़े इनके निधन के उपरांत परिजनों ने नेत्रदान के लिये शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया ,उसके बाद उनके निवास पर ही संस्था सदस्यों व आई बैंक सोसायटी के साथ गिरिराज राठी जी का नेत्रदान सम्पन्न हुआ । गुमानपुरा व्यापार संघ,व लायंस क्लब के सभी शाखाओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। 

        नेत्रदान के क्षेत्र में उनके सबसे क़रीबी मित्र राजीव भार्गव के साथ उन्होंने उस समय शहर में अलख जगाई,जिस समय नेत्रदान तो दूर,उस समय रक्तदान तक के लिये लोग बहुत घबराते थे । वर्ष 1986 में उन्होंने पहला नेत्रदान हर्लिसन फर्नीचर वालों के 2 वर्ष के बच्चे का लिया था । उसके बाद से यह कारंवा चलता रहा,करीब 135 पूरी आँखो का दान लिया गया। अब जाकर इन 8 वर्षो में पूरी आँख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जा रहा है।


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