अंत समय अध्यात्म भावना से महोत्सव बन जाती है मृत्यु : संजय मुनि

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Published on : 24 Oct, 19 05:10

suryaprakash mehta

अंत समय अध्यात्म भावना से महोत्सव बन जाती है मृत्यु : संजय मुनि

उदयपुर। मुनि श्री संजय कुमार ने कहा कि पारसदेवी एक श्रद्धानिष्ठ श्राविका थीं। उनकी रग रग में धर्म भावना थी। अंतिम समय में वे कुछ अस्वस्थ हो गई थीं। अगर अंतिम समय में भी आपमें अध्यात्म भावना का जागरण हो जाता है तो मृत्यु महोत्सव बन जाती है। उल्लेखनीय है कि पारसदेवी का संथारे से देवलोकगमन हो गया था। पारसदेवी तेरापंथी सभा उदयपुर के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी की धर्मपत्नी थीं।

वे बुधवार को महाप्रज्ञ विहार में आयोजित स्मृति सभा को संबोधित कर रही थी। परिजनों की जागरूकता से मुनि प्रसन्न कुमार एवं मुनि प्रकाश का निरंतर दर्शन देना एवं अंतिम समय प्रेरणा, सम्बल से संल्लेखना व संथारा स्वीकार करने की प्रेरणा मिली। अंतिम समय में साधु संतों का निरंतर मिलने का योग एवं धर्म में जो संसार से विदा होता है वह अपने जीवन को सफल बना देता है। ऐसे व्यक्ति का अगला रिजर्वेशन यानी वह सद्गति का मेहमान बनता है। आचार्य श्री महाश्रमण का संदेश मुनि प्रसन्न कुमार एवं मुनि संजय कुमार के नाम आया। उसके बाद स्थिति देखकर उसी आधार पर संथारा करवाया गया। जागरूकता से थोडे समय में भावों की श्रेणी एवं उसके संथारा के साथ स्वर्गस्थ हो गई।

मुनि प्रसन्न कुमार एवं मुनि प्रकाश ने दिवंगत आत्मा के आध्यात्मिक जीवन की मंगल कामना की। मुनिश्री के चातुर्मास में यह दूसरा संथारा है। सद्प्रेरणा जीवन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होती है। एक मोहाकुल होकर तडपकर मरता है तो एक प्रसन्न और उच्च आध्यात्मिक भावों से प्रभु का स्मरण करते मरता है।

सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि स्मृति सभा को ओंकारलाल सिरोया, कांतिलाल जैन, गणेश डागलिया, लक्ष्मणसिंह कर्णावट, डॉ. विमल कावडया, राजकुमार फत्तावत, विजयलक्ष्मी नैनावटी, मनोज लोढा ने भी संबोधित किया। संचालन उपाध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने किया। आचार्य श्री महाश्रमण एवं साध्वीप्रमुखा के संदेश का वाचन सभा मंत्री प्रकाश सुराणा ने किया। पौत्री अमिता सिंघवी ने भी विचार व्यक्त किए। धन्यवाद सुपुत्री महिला मंडल अध्यक्ष सुमन डागलिया ने किया।

 


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