अंधेरों में भी रोशनी बांटने की जिम्मेदारी साहित्यकार की पुरवा के कविता संग्रह "अर्पण " का विमोचन

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Published on : 13 Oct, 19 07:10

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा

अंधेरों में भी रोशनी बांटने की जिम्मेदारी साहित्यकार की  पुरवा के कविता संग्रह "अर्पण " का विमोचन

           साहित्य समाज का दर्पण है और जो कुछ भी समाज में होता है उसकी झलक साहित्य में दिखती है। ऐसे में साहित्यकार का यह कर्तव्य है कि वह विषम परिस्थितियों में भी समाज को आइना दिखाते रहे। साहित्यकार की कलम सत्ता या किसी अन्य तरह के प्रभाव के बंधन से मुक्त होती है। इसलिए अंधेरों में भी रोशनी बांटने की जिम्मेदारी साहित्यकार की है। यह बात विधायक संदीप शर्मा ने कही। वे शनिवार को लेखिका डॉ. पुरवा अग्रवाल के कविता संग्रह 'अर्पण' के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे। उन्होंने कहा, साहित्यकार सृजन के ऐसे दीए जलाएं कि नहीं रहे अंधेरा।

        राजस्थान लेखा सेवा की अधिकारी डॉ. पुरवा की यह पहली पुस्तक है। पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा, जीवन की यथार्थ की घटनाओं ने कविताएं लिखने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार अम्बिकादत्त चतुर्वेदी ने कहा, समाज में समरसता में कमी आई है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के देखकर लोग इस तरह का व्यवहार करते हैं जैसे वे दूसरी दुनिया के लोग हैं और सारी जिम्मेदारी उन्हीं की है। यह सोचकर जवाब तलबी करते हैं। इसी तरह साहित्यकारों लेकर भी होता है। जबकि सभी वर्गों को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। ऐसे  हालातों में साहित्यकारों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। 

           साहित्यकार महेन्द्र नेह ने कहा, अर्पण काव्य संग्रह में शामिल कविताओं में वर्तमान समाज के बदलते जीवन मूल्य और मानवीय संवेदनाओं की झलक है। इनमें संवेदनाओं की स्वभाविक लय है। साहित्यकार डॉ. हितेश व्यास ने कार्यक्रम का संचालन किया और लेखिका के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में नगर निगम उपायुक्त कीर्ति राठौड़, राजपाल सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिलीप सैनी, ओटीएस की उप निदेशक अलका राव, इंजीनियर दीपक चतुर्वेदी, उपासना चतुर्वेदी, सागर, डॉ. हरिओम सिंघल, डॉ. नीतू अग्रवाल सहित कई प्रतिनिधि मौजूद रहे।

 


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