उदयपुर | आसोजी नवरात्र की नवमीं पर सूर्यवंशी परम्परा के अनुरूप सम्पन्न हुई ’अश्व पूजन‘ की अनवरत परम्परा। नक्कारे एवं शहनाई की धुनों के संग श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड ने पुरोहितजी व पण्डितों के मंत्र उच्चारण के साथ शम्भु निवास प्रांगण में किया अश्व पूजन।
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि इस उत्सव पर अश्वों को पारम्परिक तौर-तरीकों से नखशिख आभूषण, कंठी, सुनहरे छोगें, मुखभूषण, लगाम, चवर आदि से श्ाृंगारित कर पूजन में लाया जाता है।
मंत्रों के उच्चारण के साथ श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड ने पूजन में अश्व पर अक्षत, कुंकुम, पुष्पादि चढाकर आरती की। पूजन के साथ अश्वों को भेंट में आहार एवं वस्त्रादि के साथ ज्वारें धारण करवाई गई। मेवाड के रीति-रिवाज की पालना करते हुए लक्ष्यराज सिंह मेवाड भी पूजन स्थल पर उपस्थित रहे।