विश्व पर्यटन दिवस 27 सितम्बर पर विशेष सेल्यूलाइड पर बिखरते राजस्थानी रंग

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Published on : 26 Sep, 19 09:09

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

विश्व पर्यटन दिवस 27 सितम्बर पर विशेष सेल्यूलाइड पर बिखरते राजस्थानी रंग
कोटा |  फिल्मों की शूटिंग के लिए राजस्थान अपनी अनूठी-अलबेली- ऐतिहासिक ,रेगिस्तानी एवं प्राकृतिक साइट्स के कारण फिल्म निर्माताओं की पसन्दीदा जगह बन गया है और सैकड़ों फिल्मों में राजस्थान सेल्यूलाइड पर चमक रहा है। राजस्थान का रेगिस्तान, पहाड़, झीलें, जयपुर, उदयपुर ,जोधपुर,जेसलमेर के क्षेत्र  फ़िल्म निर्माताओं के आकर्षण का विशेष केंद्र है। नए आकर्षण भी सामने आ रहे हैं। बांसवाड़ा, डूंगरपुर, पाली, चित्तौड़गढ़, बीकानेर, अलवर, कोटा, जैसलमेर, बूंदी, पुष्कर जैसे अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां शुटिंग करने पर फिल्म की लागत घटाई जा सकती है ।अब बढ़ते साधन-सुविधाओं ने छोटे शहरों की ओर भी फिल्म निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया है।

    गाइड, मेरा साया, यादगार, राजा जानी, पत्थर के सनम, जैसी अनेक पुरानी फिल्में हैं, जिनकी शूटिंग राजस्थान में हुई। राजस्थान में बाजीराव् मस्तानी, बजरंगी भाईजान, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, आज का अर्जुन, हम साथ साथ हैं, ये जवानी है दीवानी, कन्नड़ फिल्म मंगरू माले, दिल्ली 6, रंग दे बसंती, दी बेस्ट एक्सॉटिक मैरीगोल्ड होटल, दी दार्जलिंग लिमिटेड, द डार्क नाईट राईज, आक्टोपसी, द फाल, हौली स्मोक!, वन नाईट विद द किंग, द सेकंड बेस्ट एक्सोटिक मैरीगोल्ड होटल, सेंटर फ्रेश, क्लोर्मिंट आईस, मारुति सर्विस स्टेशन, सियाराम, फेविकोल जैसी अनेक फिल्मों का फिल्मांकन हुआ है।फिल्मों के माध्यम से राजस्थान का जादू देश और दुनिया के सामने आता है। यह राजस्थान का ही सम्मोहन है कि फिल्मकार और पर्यटक यहां आते हैं।

       रणबांकुरों एवं वीरांगनाओं की रणभूमि, संतों एवं मनीषियों की तपो भूमि, बलिदानकर्ताओं की कर्म भूमि एवं पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में विख्यात राजस्थान आज अपनी अनेक खूबियों के लिए न केवल भारत में वरन् विश्व में अपनी पहचान बनाता है। 

      यहाँ का मनोहारी एवं विशाल रेगिस्तान, पहाड़ों, नदियों एवं झीलों का सुन्दर परिवेश, भव्य एवं सुदृढ़ किले, आकर्षक महल, जैविक विविधता, समृद्ध कला- संस्कृति तथा जनजातीय संस्कृति एवं लज्जतदार खान-पान का जादू भारत आने वाले विदेशी पयर्टकों को अपने सम्मोहन में राजस्थान खींच लाता है।
      विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में सिन्धुघाटी सभ्यता का पालन स्थल रहा है। कालीबंगा, पीलीबंगा आदि स्थानों पर पाँच हजार वर्ष पुरानी सिन्धुघाटी सभ्यता के प्रमाणिक अवशेष मिलते हैं। वैदिक युग की प्रमुख नदी सरस्वती राजस्थान में बहती थी जो अब लुप्त हो गई है और इसका कुछ भाग घग्घर नदी के नाम से हनुमानगढ़ एवं गंगानगर जिलों में प्रवाहित होता है। राजसमन्द झील के किनारे स्थित ”राजसिंह प्रशस्ति“ जो संगमरमर की है और 25 शिलालेखों पर उत्कीर्ण है, विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति मानी जाती है।
       राजपूत वीरांगनाओं द्वारा आक्रांताओं से अपनी अस्मत की रक्षा हेतु किये गये जौहर इतिहास में एक मात्र उदाहरण हैं।  इनमें रानी पद्मिनी और कर्मावती के जौहर विख्यात हैं। जयपुर के जयगढ़ किले पर स्थित दो पहियों पर रखी हुई जयबाण तोप विश्व की सबसे बड़ी तोप है। जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा जयपुर में निर्मित जंतरमंतर में स्थित ”सम्राट यंत्र“ विश्व की सबसे बड़ी सूर्य घड़ी (सन डायल) है
        भौगोलिक दृष्टि से 342239 वर्ग क्षेत्रफल में फैले राजस्थान की कुल जनसंख्या 68548437 एवं साक्षरता 74 प्रतिशत है। मेडिकल, इंजीनियरिंग, सीए जैसी उच्च तकनीकी परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा आज भारत में कोचिंग शिक्षा का नामचीन केन्द्र बन गया है। यहां का थार मरूस्थल विश्व का सबसे युवा और सर्वाधिक आबाद रेगिस्तान है। जैसलमेर के समीप सम के रेतीले धोरे विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं। राज्य के मध्य में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक फैली अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं विश्व की प्राचीनतम श्रृंखालाएं मानी जाती हैं। इन पर्वतों और हाड़ौती के पठार का निर्माण विश्व के प्राचीनतम भू-खण्ड गोंडवाना लैण्ड से हुआ है। उदयपुर जिले की जयसमन्द झील विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में मानी जाती है। राजस्थान, मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़ से अलग होने के बाद भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य बन गया है। उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में नीलगिरी पर्वत माला के बीच के क्षेत्र में प्रदेश की अरावली पर्वत श्रृंखला का गुरूशिखर राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी माउन्ट आबू में है। दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली भारत की नदियों में चम्बल नदी सबसे लम्बी है जो राजस्थान से होकर गुजरती है।  जयपुर जिले में स्थित सांभर झील देश की सबसे बड़ी नमक उत्पादक झील है।रत्नगर्भा भूमि राजस्थान खनिजों के अजायब घर के नाम से विख्यात है। झारखण्ड के बाद खनिज उत्पादन में राजस्थान अग्रणीय राज्य है। यहाँ का संगमरमर पत्थर पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाता है। जयपुर के हीरे - जवाहरात और बहुमूल्य पत्थर अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रसिद्ध हैं। जयपुर एवं बगरू का प्रिन्ट वर्क, कोटा की मसूरिया साड़ी, भीलवाड़ा की फड़ पेन्टिंग, राजस्थान की कठपुतलियां, किशनगढ़ का बनी-ठनी चित्र, बून्दी की चित्रशैली तथा सूती वस्त्रों के लिए टेक्सटाइल सिटी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा विश्व में अपनी पहचान बनाते हैं। प्रदेश के उद्यमियों ने न केवल भारत में वरन् विश्व में अपना व्यापार कर राज्य का नाम रोशन किया है। ऊर्जा उत्पादन में भी राजस्थान ने अपना अग्रणीय स्थान बनाया है।
        सांस्कृतिक दृष्टि से जयपुर का हाथी उत्सव, बीकानेर का ऊँट उत्सव व जैसलमेर का मरू उत्सव पर्यटकों में विशेष लोकप्रिय है। यहां का घूमर, चकरी, अग्नि, चरी एवं गवरी नृत्य देशभर में विख्यात है तथा रंग-बिरंगी वेश-भूषा भी पर्यटकों को लुभाती है। जयपुर में संगमरमर की मूर्तियां, सोने पर मीनाकारी, ब्ल्यू पोट्री, पाव रजाई, बीकानेर की उस्तां कला, प्रतापगढ़ की थेवा कला (काँच पर सोने की मीनाकारी का कार्य), नाथद्वारा की पिछवाई चित्रकला, जयपुर-जोधपुर के लाख के उत्पाद तथा शेखावाटी का बंधेज पूरे भारत में लोक प्रिय है। राजस्थान में सभी धर्मों के लोग भाईचारे की भावना से निवास करते हैं। कोटा का दशहरा मेला राष्ट्रीय स्तर का ख्याति नाम मेला है।

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