शिल्पग्राम में तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य समारोह

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Published on : 30 Aug, 19 04:08

शिल्पग्राम में तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य समारोह

उदयपुर । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से कला परिसर शिल्पग्राम में आगामी ३० अगस्त से १ सितम्बर तक अयोजित शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य उत्सव ’’मल्हार‘‘ का का आगाज शुक्रवार को होगा। तीन दिवसीय उत्सव में के पहले दिन पुणे के पं. संजीव अभ्यंकर गायन प्रस्तुत करेंगे।

केन्द्र के प्रभारी निदेशक ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्र द्वारा ३० अगस्त से १ सितम्बर तक तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य समारोह का आयोजन शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रोजाना शाम ७.०० बजे किया जा रहा है। ३० अगस्त को आयोजन का आगाज पुणे के कलाकार व प्रसिद्ध गायक पं. सजीव अभ्यंकर के गायन से होगा। ३१ अगस्त की शाम अभिनया नागज्योति द्वारा कुचिपुडी शैली का प्रदर्शन किया जायेगा। समारोह के आखिरी दिन १ सितम्बर को दिल्ली की अनु सिन्हा द्वारा कथक की प्रस्तुति दी जावेगी। तीन दिवसीय इस आयोजन में दर्शकों के लिये प्रवेश निःशुल्क होगा।

 

पं. सजीव अभ्यंकर (गायन) ः मेवाती घराने के सिद्ध कंठ कलाकार हैं जिनकी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन और भक्ति संगीत गायन में दुनिया भर में एक अलग पहचान है। इनका जादुई गायन नई पीढी के लिये प्रेरणा स्रोत है तथा ये इनमें शास्त्रीय संगीत की ओर आकर्षित करने का खासा गुण विद्यमान है। तकरीबन २५ वर्ष के अपने गायन कैरियर में पं. संजीव अभ्यंकर त्याग, कडी मेहनत, धैर्य तथा अनुरक्षण के प्रतीक बने हैं। देश विदेशों में अपने गायन की स्वर सरिता बहाने वाले पं. संजीव अभ्यंकर को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा २००८ में पं. कुमार गंधर्व सम्मान, पं. जसराज गौरव पुरस्कार तथा १९९० में आकाशवाणी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अनु सिन्हा, नोएडा (कथक) ःकला के प्रति त्याग, दृढता और प्रतिबद्धता ने अनु सिन्हा को अपनी पीढी की नृत्यांगनाओं में श्रेष्ठ रूप से प्रस्तुत किया है। प्रसिद्ध गुरू महाराज हरीशचन्द्र रावत और पं. राजेन्द्र गंगानी के सानिध्य में पोषित इनकी कला व एनके कुशल मार्ग दर्शन से जयपुर घराने की तकनीक के प्रयोग से अनु ने एक अलग शैली विकसित की है।

अनु विशेषकर कथक के अभिनय पक्ष की माहिर अदाकारा है। फुर्तीली आंगिक विन्यासों, भावों की शुद्धता व मुस्कुराते भावों के साथ करिश्माई नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध सा कर देती है। अपनी नृत्य शैली को उन्होंने समर्पण, अनुभव और दक्षता से समृद्ध बनाया है। अनु की प्रतिभा को देश विदेश में भरपूर सराहा गया है। भारत में आयोजित विभिन्न महत्वपूर्ण उत्सवों गंगा महोत्सव, अखिल भारतीय कालिदास समारोह, खजुराहो नृत्य उत्सव, ताज उत्सव, रण उत्सव महाबलीपुरम नृत्य उत्सव आदि में अनु सिन्हा का नर्तन विस्मरणीय रहा है तथा इन्हें मथुरा में मंजुश्री सम्मान, जेपी अवार्ड आदि से नवाजा गया है। अनु सिन्हा एक कुशल कोरियोग्राफर भी हैं जिन्होंने कामायनी, ध्रुवस्वामिनी, उर्वशी, मीरा, द्रौपदी जैसे कथक आधारित बैले की कोरियोग्राफी की है। वर्तमान में अनु अपनी संस्था कृष्णा फाउंडेशन के माध्यम से कथक की शिक्षा दे रही हैं।

अभिनया नागज्योथी, नई दिल्ली (कुचिपुडी)ः गुरू सीता नागज्योथी और गुरू पी. नागज्योथी की पुत्री व शिष्या अभिनया नागज्योथी ने काफी छोटी उम्र में नृत्य करना प्रारम्भ किया जिनकी रंगमच पर स्वच्छंद उपस्थिति ने मात्र पांच वर्ष की अवस्था में ब्रिटिश एम्बेसी में लोगों का दिल जीत लिया। इनके भावपूर्ण नेत्र व कृश काया इनकी प्रस्तुति को बेहतरीन बनाने में सहयोग प्रदान करती है। भारत सरकार द्वारा अभिनया को सीसीआरटी की स्कॉलरशिप प्रदान करने के साथ-साथ आप दूरदर्शन की ए श्रेणी की कलाकार हैं। वर्ष २०१० में इंटरनेशनल कुचिपुडी कॉन्वोकेशन में भाग लेकर स्वयं का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाया। दिल्ली तमिल संगम द्वारा कुचिपुडी शैली के प्रसार में आफ योदान के लिये ’’नाट्य युवा मणि‘‘ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा अभिनया ने स्पेन, बर्मिंघम इत्यादि अनेक देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा अभिनया ने तेलुगु फीचर फिल्म ’’उसूरू‘‘ के माध्यम से अभिनय के क्षेत्र में प्रवेश किया है।

 

 


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