दो घंटे की कड़ी समझाईश के बाद आखिर हो गया नेत्रदान

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Published on : 28 Aug, 19 11:08

बेटा आंशिक दृष्टिबाधित,इसलिये दान की पत्नि की आँखे

दो घंटे की कड़ी समझाईश के बाद आखिर हो गया नेत्रदान

25 अगस्त से 8 सितंबर तक पूरे भारत में नेत्रदान जागरूकता को लेकर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है,इस दौरान शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्य भी एमबीएस अस्पताल परिसर में वहाँ आये मरीज़ों और उनके परिजनों को जागरूकता पेम्पलेट के माध्यम से समझाते रहते है । इसी बीच संस्था सदस्यों को सूचना मिली कि मोर्चरी पर किसी 45 वर्षीया महिला का शव लाया गया है,टीम के सदस्य तुरन्त मोर्चरी पर पहुँचे । जानकारी लेने पर पता चला कि झालावाड़ जिले के पिपलाज गाँव की बसन्ती बाई जी का दो दिन पहले दुर्घटना के बाद इलाज़ के उपरांत निधन हो गया था । परिजन पोस्टमार्टम के तुरंत बाद शव को गाँव के जाने कि तैयारी में थे । टीम के सदस्यों ने हालात का जायज़ा लेकर बसन्ती जी के दोनो बेटे सुरेंद्र और चंचल से बात की तो उन्होंने नेत्रदान के बारे में सुनते ही नाराज़गी के साथ सदस्यों को मना कर दिया।  थोड़ा समय निकलने के बाद जानकी जी के पति प्रभुलाल जी भी वहाँ आ गए,प्रभुलाल जी गाँव के आस पास के क्षेत्र में बोरवेल का काम करते है,सभी को आशा थी कि,शायद इलाज़ के बाद जानकी जी ठीक हो जायेंगी,पर वह नहीं बचेगी,इसका पता नहीं था । संस्था सदस्यों ने प्रभु लाल जी से उनकी पत्नि के  नेत्रदान के लिये बात की तो उन्होंने भी सुनते ही पहले तो मना कर दिया,पर थोडी देर बाद उनको ध्यान आया कि, उनके छोटे बेटे के भी आँख में चोट लग जाने के कारण वह एक आँख से दृष्टिबाधित है,संस्था सदस्यों के बार बार आग्रह करने के बाद उन्होंने नेत्रदान के लिये रजामंदी दे दी । उसके बाद शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों व आई बैंक सोसायटी,कोटा के तकनीशियन की मदद से मोर्चरी में ही सभी परिजनों के बीच नेत्रदान की प्रक्रिया सम्पन्न हुई ।  

नेत्रदान के उपरांत परिवार के सदस्यों का एमबीएस अस्पताल परिसर स्थित मोर्चरी पर ही शाइन इंडिया फाउंडेशन की ओर से चिकित्सक व पुलिस विभाग द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया । 


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