निर्माण श्रमिकों के नौ लाख सहायता आवेदन श्रम विभाग ने अटका कर रखे

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Published on : 24 Aug, 19 05:08

निर्माण श्रमिकों के नौ लाख सहायता आवेदन श्रम विभाग ने अटका कर रखे

निर्माण श्रमिकों के नौ लाख सहायता आवेदन श्रम विभाग ने अटका कर रखे हैं ये बात कमठा मजदूर यूनियन बाड़मेर के अध्यक्ष लक्ष्मण बडेरा ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा की मजदूर नेता ने कहा 1996 में बने इस कानून का लाभ 14  साल बाद 2010 से राज्य में शुरू हुआ 2011 में योजनाओं का निर्माण हुआ उसके बाद में धीरे-धीरे मजदूरों को लाभ देने के लिए मजदूरों का पंजीयन करने की प्रक्रिया शुरू की गई जब मजदूरों ने अपना पंजीयन कराया और सरकार ने मजदूरों को योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया इसके लिए सरकार ने करोड़ों रुपए मंडल के खर्च किए और मजदूरों को योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया लेकिन मजदूरों ने सहायता योजनाओं के अपने सहायता आवेदन प्रस्तुत किए गए तो सरकार में बैठे हुए श्रम विभाग के बड़े अधिकारियों ने सबसे पहले श्रमिकों का हित नहीं देखा और मजदूरों को सहायता राशि से वंचित करने के लिए झूठे मूठे कागजी कार्रवाई में अनपढ़ और अशिक्षित निर्माण श्रमिक को फंसाने का काम किया गया निर्माण श्रमिकों के लिए छात्रवृत्ति योजना बनी हुई है निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना कहा जाता है राज्य में साढ़े छः लाख सहायता आवेदन इस योजना के तहत पेंडिंग पड़े इस योजना की अधिसूचना की धारा 6 में निर्माण श्रमिक को निर्माण श्रमिक होने का प्रमाण पत्र आधार कार्ड भामाशाह कार्ड बैंक डायरी और छात्र जिसकी छात्रवृत्ति गई है उसकी अंकतालिका पेश करनी होती है लेकिन विभाग के इंस्पेक्टर द्वारा हर मजदूर से नियोजन का प्रमाण पत्र मांगा जाता है जो दस्तावेज धारा 6  में मान्य नहीं उसके बावजूद भी इस को आधार मानकर मजदूरों के सहित आवेदनों को बार-बार सिटीजन आईडी पर भेजा जाता है और इस कारण साढ़े छः लाख आवेदन छात्रवृत्ति के आज मजदूरों के लेबर डिपार्टमेंट मैनेजमेंट सिस्टम के पास पेंडिंग पड़े हैं जो अफसरों की मर्जी के वजह से मजदूरों तक सहायता अटका कर रखी गई है इसी तरह शुभ शक्ति योजना जो मजदूरों की आठवीं पास पुत्री  और 18  वर्ष की होने पर 55000  सहायता देने का योजना 2016 में बनाई थी इस योजना में ढाई लाख से ज्यादा सहायता आवेदन श्रम विभाग के पास में विभाग के PENDING  पढ़े इसी तरह मजदूरों के परिवार में प्रसव होने पर मंडल ने पुत्र होने पर 20000 व पुत्री होने पर 21000  की सहायता देने की योजना बनाएं हैं लेकिन इस योजना में भी 29 हजार 954  से ज्यादा सहायता आवेदन विभाग के पास अटका कर रखे गए हैं और मजदूरों को प्रसूति सहायता नहीं दी जा रही मजदूरों की मृत्यु पर उसके आश्रित को दो लाख या दुर्घटना पर मृत्यु पर पांच लाख की सहायता राशि देने की योजना है लेकिन विभाग इस मामले में भी असंवेदनशील रवैया अपना कर रखा गया है राज्य में दस हजार  से ज्यादा मजदूरों की मृत्यु की सहायता आवेदन अटका कर रखे गए हैं इसी तरह सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी मैं भी 500 से ज्यादा सिलिकोसिस पीड़ितों को सहायता राशि अटका कर रखी गई है और प्रधानमंत्री की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में निर्माण श्रमिक जीवन व भविष्य सुरक्षा योजना 1000 सहायता आवेदनों को PENDING रखा गया है निर्माण श्रमिकों के पंजीयन के 2 वर्ष पूरे होने पर निर्माण श्रमिक औजार टूलकिट सहायता योजना मैं भी 4007  आवेदन राज्य में अब 8  योजनाएं निर्माण श्रमिकों के लिए केंद्र व राज्य सरकार जनप्रतिनिधि शिक्षा को महत्व देते हैं और मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए श्रमिक कल्याण मंडल ने निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना बनाई विभाग के अधिकारियों ने अधिक से अधिक मजदूरों का शिक्षा सहायता छात्रवृति रोकने का मन बना करके राजस्थान का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया इस योजना की धारा 6 में जो दस्तावेज मांगे गए वह दस्तावेज मौजूद होने के बावजूद भी मजदूर को सहायता राशि नही दी जा रही है अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है मजदूरों से नियोजन के नाम पर मजदूरों को नियोजक को डराने के लिए उनको 420 IPC  के मुकदमे दर्ज करने की फॉर्मेट में धमकी दी गई इस कारण मजदूरों के नियोजक के प्रमाण पत्र पर कोई भी व्यक्ति साइन करने से घबराता है मजदूरों के साथ में इस प्रकार का व्यवहार अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है श्रम मंत्री को लिखे पत्र में कहा मजदूरों के सहायता से वंचित करने का षडयंत्र श्रमिक कल्याण के अधिकारी जिस प्रकार के रोज नित्य नए षड्यंत्र रच रहे हैं उसे राजस्थान के लाखों श्रमिकों में रोष है और आने वाले दिनों में लाखों श्रमिक असंगठित संगठित होकर के और सरकार के खिलाफ में आंदोलन करेंगे  तत्काल मजदूरों की सहायता राशी दी जाए अन्यथा मजदूर सरकार के खिलाफ में सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे जिसका खामियाजा सरकार को भरना ही पड़ेगा 


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