स्वयं को प्राप्त करना ही जिंदगीःसाध्वी अभ्युदया

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Published on : 20 Aug, 19 04:08

स्वयं को प्राप्त करना ही जिंदगीःसाध्वी अभ्युदया

उदयपुर। वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाडी में नियमित प्रवचन में साध्वी अभ्युदया ने कहा कि जिंदगी का अर्थ क्या है। व्यक्ति सब तरफ भटकता है लेकिन उसे कहीं से कोई जवाब नही मिलता। जिंदगी की शैली क्या है, मुरझाए फूलों से पूछो तो जवाब मिलता है कि बेजान है। जुआरी से पूछो तो जिंदगी एक जुआ है। शराबी से पूछो तो जिंदगी एक नशा है। वैज्ञानिक ने कहा कि शोध ही जिंदगी है। डॉक्टर कहता है कि मरीज की सेवा ही जिंदगी है। साधु ने कहा कि प्रभु की आराधना ही जिंदगी है। महावीर ने कहा कि स्वयं को प्राप्त करना ही जिंदगी है।

उन्होंने कहा कि जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। जिसने जैसा देखा, वैसा बताया। जिनके पास सुख सुविधा है उनके लिए जिंदगी छोटी है। जिसके पास दो रोटी नही, मकान नहीं उसके लोए जिंदगी बडी हो जाती है। जो सोता है उसके लिए रात छोटी और जो जागता हैं उस्के लिए रात बडी हो जाती है। जिस पर मुसीबत हो उसके लिए रात बडी हो जाती है। जीवन तो सूखा पत्ता है जो कभी भी पेड से गिर सकता है। कभी भी जिंदगी का फूल मुरझा सकता है। कोई गारंटी नहीं। जिंदगी की कीमत रुपयों में नहीं आंकी जा सकती। जीवन में अगर खुशी नही है तो वैसे ही बेकार है। इसे ढो रहे हो। आफ पास आंखें,  कान, किडनी, फेंफडे, हाथ, पांव पांचों इंद्रियां सब कुछ अच्छे हाल में हैं तो आपसे बडा करोडपति कोई नहीं। सभी की कुछ न कुछ इच्छा है लेकिन मोक्ष प्राप्ति की इच्छा किसी की नहीं रहती।


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