भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी में बैंकों की भागीदारी पर हुआ गहन विचार-विमर्श

( 9733 बार पढ़ी गयी)
Published on : 19 Aug, 19 07:08

पहले चरण में एसबीआई की पहल पर बांसवाड़ा में हुई मंथन बैठक

भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी में बैंकों की भागीदारी पर हुआ गहन विचार-विमर्श

बांसवाड़ा / सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के काम-काज को देश की प्राथमिकताओं के अनुरूप ढालने तथा भारतवर्ष में 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में बैंकों के अहम् योगदान पर भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए विचार-विमर्श अभियान के अन्तर्गत प्रथम चरण में एसबीआई की पहल पर बांसवाड़ा के होटल राराविस में दो दिवसीय मंथन बैठक रविवार को सम्पन्न हो गई।

इसमें भारतीय स्टेट बैंक  के उदयपुर प्रशासनिक कार्यालय अन्तर्गत क्षेत्र पंचम के अन्तर्गत आने वाले  बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ जिलों के भारतीय स्टेट बैंक शाखाओं के मुख्य प्रबन्धकों व शाखा प्रबन्धकों ने हिस्सा लिया। इसमें बैकिंग जगत की भागीदारी पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। इसमें काफी संख्या में व्यवहारिक सुझाव प्राप्त हुए।

राज्यस्तर पर प्रस्तुत किए जाएंगे सभी सुझाव

एसबीआई क्षेत्र पंचम के क्षेत्रीय प्रबन्धक श्री मुकेश ि़द्ववेदी ने मंथन बैठक में आए सभी सुझावों को सकारात्मक बताते हुए कहा कि इन सभी को राज्यस्तरीय मंथन बैठक में विचारार्थ रखा जाएगा।

इसमें उदयपुर अंचल कार्यालय के मुख्य प्रबन्धक (साख) विजयकुमार जैन, भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य प्रबन्धकों सुशील कुमार त्रिवेदी(मोहन कॉलोनी शाखा), दिनेश डामोर (कुशलबाग शाखा), बाबूलाल डामोर (घाटोल शाखा), राजकुमार सामरिया (कुशलगढ़ शाखा) आदि ने विचार रखे।

आत्म मूल्यांकन पर जोर

अपनी तरह के इस पहले कार्यक्रम में बैंक शाखाओं ने अपने कार्य संपादन की समीक्षा स्वयं के स्तर पर ही और मौजूदा परिप्रेक्ष्य में बैंकिंग क्षेत्र के सम्मुख आ रही चुनौतियों के साथ ही भविष्य की रणनीति पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

आर्थिक विकास के कई मुद्दों पर सटीक चर्चा

इस दौरान अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऋण बढ़ाने के तरीकों, भारी आंकड़ों के विश्लेषण व मूल्यांकन की क्षमता हासिल करने, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग बढ़ाने, बैंकिंग सेवाओं को जनोन्मुखी बनाने, वरिष्ठ नागरिकों, किसानों, छोटे उद्यमियों, व्यवसायियों, युवाओं, छात्र-छात्राओं औरमहिलाओं की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप बैंकिंग क्षेत्र को सहूलियतों व सहजता भरा बनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

बैंकिंग कार्य को सम्बल, बैंककर्मियों को मिलेगी नई दिशा

वक्ताओं ने कहा कि विचार-विमर्श प्रधान मंथन की इस पहल से शाखा स्तर तक लक्ष्य और उनकी प्राप्ति को सहज व सरल तथा प्रभावी बनाने की दिशा में अधिक से अधिक एवं आत्मीय भागीदारी के भाव पुनर्जीवित हुए हैं और इससे बैंक के भविष्य के लिए रणनीति, कार्य निष्पादन में व्यापक सुधार को सम्बल प्राप्त होगा तथा  बैंककर्मी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अपने आप को ढाल कर भारत के तीव्रतर विकास के प्रयासों में अपनी सशक्त भूमिका का निर्वाह कर सकेंगे।

खूब सारे व्यवहारिक सुझाव सामने आए

मंथन बैठक में राष्ट्रीय विकास और अर्थ व्यवस्था की मजबूती में बैंकों की भूमिका पर व्यापक विचार-विमर्श कर निष्कर्ष तलाशे गए और महत्वपूर्ण सुझावोें को सूचीबद्ध किया गया। इनमें आर्थिक वृद्धि के लिए ऋण में बढ़ोतरी, कृषि क्षेत्र, जल शक्ति, एमएसएमई क्षेत्र व मुूद्रा ऋण, शिक्षा जगत, स्वच्छ भारत मिशन, कम नकदी/डिजिटल अर्थ व्यवस्था जैसे प्रमुख विषय शामिल रहे।

अब राज्य स्तर पर होगी इन पर चर्चा

मंथन बैठक में इन विषयोें पर गहन चर्चा में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, खासकर भारतीय स्टेट बैंक की सेवाओं और सुविधाओं को और अधिक बेहतर बनाने तथा भविष्य की महत्वांकाक्षी दिशा तय करने के लिए लागू करने योग्य कई व्यवहारिक और नवीन सुझाव प्राप्त हुए। इस सभी सुझावों को संकलित कर राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) को विचार के लिए आंचलिक कार्यालय में भिजवाया गया है। इसमें प्रत्येक क्षेत्र की बैंक शाखाओं का तुलनात्मक कार्य निष्पादन मूल्यांकन भी शामिल है।

अंतिम चर्चा के बाद राष्ट्रीय स्तर पर होंगे निर्णय

राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) स्तर पर विचार के उपरान्त अंतिम चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होगी जिसमें इन्ट्रा बैंक( बैंक के आन्तरिक) और इन्टर बैंक( बैंकों में परस्पर) कार्य निष्पादनों की तुलना की जाएगी और सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ये युझाव लागू करने के बारे में आगे का रास्ता तय किया जाएगा। संचालन मोहन यादव ने किया।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.