मानसिक रोगी को किया बेडि़यों से आजाद

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Published on : 15 Aug, 19 07:08

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा खबर पर लिया प्रसंज्ञान

मानसिक रोगी को किया बेडि़यों से आजाद

बांसवाड़ा । दैनिक समाचार पत्र में तीन मानसिक रोगियों को उनके परिजनों द्वारा कई वर्षो से बेडि़यों में बांध कर रखे जाने के सम्बन्ध में छपे समाचार ‘‘ये मजबूरी की बेडि़या’’ पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रसंज्ञान लिया गया। प्राधिकरण द्वारा समाचार पत्र मे छपी खबर पर तत्काल कार्यवाहीं करते हुए तीनों मानसिक रोगियों को बेडि़यों से आजाद करवाकर उनका समुचित इलाज कराये जाने हेतु सम्बन्धित तालुका विधिक सेवा समितियों को निर्देश प्रदान किये। 
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांसवाडा के सचिव देवेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि अरथुना क्षेत्र के ओड़वाडा गांव के पवन पुत्र शंकर के घर जाकर तालुका विधिक सेवा समिति, गढ़ी के सचिव यश ताबियार, पैनल अधिवक्ता धर्मेन्द्र सिंह एवं पुलिसकर्मियों द्वारा बेडि़यों से आजाद करवाया गया तथा परिजनों को विश्वास में लेकर तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाते हुए उसे महात्मा गांधी चिकित्सालय, बांसवाड़ा हेतु रैफर करवाया गया, जहां से उसे आर.एन.टी. मेडिकल कॉलेज, उदयपुर को रैफर किया गया। इसी प्रकार खमेरा थाना अन्तर्गत नरोतों की गोज गांव के विजयपाल के परिवारजनों से तालुका विधिक सेवा समिति, घाटोल के सचिव भाविक, पैनल अधिवक्ता गणेशलाल अहारी एवं पुलिसकर्मियों द्वारा सम्पर्क किया गया, तो परिजनों ने कल रक्षा बन्धन के पश्चात् मानसिक रोगी को इलाज हेतु बांसवाड़ा चिकित्सालय लाने हेतु सहमति व्यक्त की, जिसका भी शीघ्र इलाज प्रारम्भ करवाया जायेगा।   
उन्होंने बताया कि बडोदिया के रिजवान पटेल को छुडवाने हेतु भी तालुका विधिक सेवा समिति, बागीदौरा के सचिव अशोक मीणा, पैनल अधिवक्ता महेन्द्र पुरी एवं पुलिसकर्मियों की टीम गई परन्तु उसका घर बन्द पाया गया एवं पता चला कि रिजवान के परिवारजन हज हेतु गये हुए है एवं रिजवान इस समय अपनी बहन के घर झालोद (गुजरात) में है, जहां उसे बेडि़यों में रखा गया है। प्राधिकरण के सचिव देवेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि उक्त मानसिक रोगी रिजवान का झालोद (गुजरात) के पते की जानकारी प्राप्त कर झालोद जिले के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अग्रिम कार्यवाहीं हेतु सूचित किया जायेगा। 
 प्राधिकरण के सचिव श्री भाटी ने बताया कि मानसिक रोगियों को भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने का मौलिक अधिकार है तथा उन्हे इस तरह बेडि़यों में बांधकर रखा जाना मानवीय गरिमा के खिलाफ है। मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम में मानसिक रोगियों को अनेक कानूनी अधिकार भी दिये गये है। प्राधिकरण द्वारा उक्त तीनों मानसिक रोगियों के अच्छे से अच्छे इलाज हेतु यथासम्भव प्रयास किये जायेंगे तथा आवश्यकता होने पर उन्हे उदयपुर, जयपुर या अन्य उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों पर इलाज हेतु भेजे जाने की कार्यवाहीं की जायेगी। 


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