उदयपुर / जीवोत्थान प्रकाशनालय संस्थान धाम प्रासाद में स्वतंत्रता दिवस, संस्कृत दिवस तथा रक्षाबंधन के आधुनिक समयोचित स्वदायित्व तथा कर्तव्य पालन के क्रम में विचाराभिव्यक्ति की गई। इस दौरान राष्ट्रहित व जनहित सर्वस्व पर मंथन हुआ। इस अवसर पर विधिक साक्षरता कार्यक्रम के दौरान आवश्यक विधिक साक्षरता के महत्व के बारे में बताया गया।
संस्थान के संरक्षक, संस्थापक और अध्यक्ष महर्षि यादवेन्द्र के निर्देशन में हिंदी अंग्रेजी, संस्कृत, राजस्थानी भाषा के ब्रह्माण्डोत्थान-भावार्थं व राष्ट्रजनहित में आशु साहित्यकार, कंप्यूटर तथा वेद और वेदांग में निःस्वार्थ निःशुल्क सेवाओं क्रम में प्रसिद्ध द्वारा विरचित विभिन्न ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई। संस्कृतोत्थान के अन्तर्गत मात्र एक दिन में तैयार की गई संस्कृत सछंदालंकारबद्ध ‘श्रीसंस्कृतसाधना-शिखर शतकम्‘ आशुरचना का विमोचन भी किया गया।
प्रशासनिक अधिकारियों से सम्पर्क
महर्षि यादवेन्द्र जीवोत्थान ने पुलिस महानिरीक्षक वृत्त उदयपुर श्रीमती बिनीता ठाकुर, जिला कलक्टर उदयपुर श्रीमती आनंदी, एडीएम प्रशासन नरेश कुमार, एडीएम सिटी संजय कुमार, सिटी पैलेस उदयपुर के लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ आदि को श्री संस्कृतसाधना शिखर “शतकम् की प्रति हस्तार्पित किया तथा संस्थान की ओर से स्वागताभिनंदन किया।