वेद ज्ञान सप्ताह समापन समारोह

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Published on : 15 Aug, 19 06:08

वर्तमान ई मेल व्यवस्था वेदों में निहित यज्ञ व्यवस्था का ही रूप है प्रो. सारंगदेवोत

वेद ज्ञान सप्ताह समापन समारोह

उदयपुर/  जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी-विश्वविद्यालय), उदयपुर साहित्य संस्थान,  एवं महर्षि सान्दिपनी राष्ट्रिय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेद ज्ञान सप्ताह कार्यक्रम का समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति, प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने संस्कृत एवं संस्कृति के महत्व को बताया और उन्होंने वेदों के बिना सब शून्य है उन्होंने बताया कि वर्तमान ई मेल व्यवस्था वेदों में निहित यज्ञ व्यवस्था का ही रूप है क्योंकि यज्ञ के समय दी जाने वाली आहुतियांे को अग्नि सम्बंधित देवताओं तक पहुंचाता है। और उन्होंने  कहा कि वेद को व्यवहार में सम्मिलित करने की आवश्यकता संस्थान में प्रति तीन माह में वेद से संबंधित संगोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा और उसमें जो जानकारी प्राप्त होगी उनको सरल शब्दों में प्रकाशित करने की घोषणा की।  सारस्वत अतिथि श्री कैलाश मुदड़ा, संस्थापक कल्याण वैदिक विश्वविद्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि वेदों के अध्ययन के लिए योग्य होना आवश्यक है और त्रिकाल संध्या पर विशेष संदर्भ प्रस्तुत करते हुये कहा कि वर्तमान में कुछ ब्राह्मण ही त्रिकाल संध्या निर्वहन कर रहे है।मुख्य अतिथि डॉ. भगवतीशंकर व्यास, ने वेदों में औषधि विज्ञान, तंत्र मंत्र, स्वर का विस्तार पूर्वक वर्णन उपलब्ध है। जिन्हें अपने जीवन में उतारना आवश्यक है। जिससे जीवन सार्थक होगा।
विशिष्ठ अतिथि वैद्य डॉ. शोभालाल औदिच्य, ने अथर्ववेद में चिकित्सा का विस्तृत वर्णन करते हुए विभिन्न रोगों का उपचार के बारे जानकारी दी साथ ही उन्होंने अथर्ववेद जो औषधियों के नाम दिये गये है उनको भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि संस्थान में इस प्रकार का आयोजन किय गया है इसमें आर्यवेद विभाग का सहयोग आवश्यक है आगे भविष्य में आर्यवेद विभाग से सहयोग दिलाने की बात कही।
विशिष्ठ अतिथि भंवरलाल व्यास ने वेदों को श्रुति बताते हुये वेदों में गायत्री से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी को विस्तृत रूप से विवेचन किया और कहा कि गायत्री ही साधना का महत्वपूर्ण साधन है। इस सिद्धान्त को प्रतिपादित किया।स्वागत उद्बोधन करते हुए साहित्य संस्थान, निदेशक प्रो. जीवनसिंह खरकवाल ने संस्थान की गतिविधियों के बारे में बताया साथ ही उन्होेंने कहा कि वेदों में गायत्री पर पूर्व में भी संगोष्ठि का आयोजन किया गया है। और यह क्रम आगे भी चलता रहेगा।प्रभारी डॉ. महेष आमेटा ने कहा कि वेद ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में है जिनके पवित्र मंत्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते है। सभी का आभार व्यक्त किया। संयोजक डॉ. कुलषेखर व्यास ने संचालन करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा संस्कृत दिवस वर प्रतिवर्ष आयोजन किये जाते है उसी कड़ी में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उक्त कार्यक्रम में शहर के विद्ववजनों पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। संस्थान द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन निरन्तर होता रहेगा।वेद ज्ञान सप्ताह समापन सत्र में में रमेश प्रजापत, रीना मेनारिया, उग्रसेन राव, डॉ. राजशेखर व्यास, डॉ. सुरेन्द्र द्विवेदी, घनश्यामसिंह, के. के., नाहर, ,चन्दनसिंह, शौयेब कुरेशी, हितेष बुनकर, के.पी. सिंह, नारायण पालीवाल, केलाश मेघवाल, छात्र और छात्राओं ने भाग लिया।


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