सम्यक दर्शन यानी आफ भीतर की श्रद्धा ः साध्वी अभ्युदया

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Published on : 13 Aug, 19 15:08

सम्यक दर्शन यानी आफ भीतर की श्रद्धा ः साध्वी अभ्युदया

उदयपुर। वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाडी में नियमित प्रवचन में साध्वी अभ्युदया ने कहा कि सम्यक दर्शन आपकी श्रद्धा, विश्वास है। भीतर की आत्मा है। यह बाहरी वस्तु नहीं है जिसे खरीदा जा सकता है। श्रद्धा गलत मार्ग की ओर जाती है तो आप मिथ्या बन जाते हो। वकील, सीए, इंजीनियर, नाई, ड्राइवर सब पर आपको विश्वास होता है। श्रद्धा रखते हो।

उन्होंने कहा कि जगत से पार पाने, परमात्मा को पाने के लिए श्रद्धा रखनी पडती है। भरोसा रखें परमात्मा पर। नींव कमजोर है तो मकान धराशायी हो जाएगा। सम्यक दर्शन रूपी नींव मजबूत रखें तो मोक्ष रूपी महल स्वतः तैयार हो जाएगा। आफ पास कितना भी ज्ञान हो लेकिन मोक्ष के रास्ते में प्रवेश करने का द्वार सम्यक दर्शन है। परमात्मा के समक्ष आप मिठाई रखकर कहते हो कि मेरा काम कर दो। आपकी इसमें श्रद्धा कम रहती है और मिथ्यात्व ज्यादा दिखता है। देव, गुरु के ऊपर रखी हुई श्रद्धा ही सम्यक दर्शन है। परमात्मा ने सुश्राविका को धर्म लाभ भेजा क्योंकि उसकी सच्ची श्रद्धा थी। मकान को श्रावक मालिक नहीं मानता बल्कि एक ठहराव का स्थान मानता है। देव, गुरु, जिनवाणी अच्छे लगते हैं, फिर परिवार, भौतिक आदि अच्छे नही लगते वो सम्यक दृष्टि वाले कहलाते हैं। जिसको दोनों अच्छे लगते हैं वो मिश्रित दृष्टि और तीसरे को सिर्फ सांसारिक ही अच्छा लगता है जिसे मिथ्या दृष्टि कहते हैं।


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