हिन्दू होने का मतलब मुस्लिमविरोधी होना नहीं होता, ठीक ऐसे ही मुस्लिम होने का मतलब हिन्दू विरोधी होना नहीं होता।

( 8258 बार पढ़ी गयी)
Published on : 12 Aug, 19 10:08

हिन्दू होने का मतलब मुस्लिमविरोधी होना नहीं होता, ठीक ऐसे ही मुस्लिम होने का मतलब हिन्दू विरोधी होना नहीं होता।

अजमेर सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा 

हिन्दू होने का मतलब मुस्लिमविरोधी होना नहीं होता, ठीक ऐसे ही मुस्लिम होने का मतलब हिन्दू विरोधी होना नहीं होता। धर्म तो जीवन की पद्धति है इसमें भिन्नता हो सकती है सबके अपने इष्ट और आराध्य हैं। सबके इबादतका भिन्न तरीका है न तो कोई एकमात्र सत्य है और न दूसरे असत्य इसलिए इसलिए हिंदू और मुस्लिम धर्मावलंबियों में परस्पर विश्वास की भावना जागृत करने की आवश्यकता है।

यह बात सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख एवं धर्म गुरु दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान रविवार को ईद उल अजहा के मौके पर दरगाह स्थितखानकाह शरीफ से जारी उपदेश में कही उन्होंने कहा की कहीं ऐसा तो नहीं कि पहनावे, खानपान और आंकड़ों के जाल में उलझकर हम भारत भूमि पर सदियों से पलती-बढ़ती आ रही संस्कृति को भूलरहे हैं इस देश में हमारे पूर्वज सदियों से परस्पर विश्वास के दम पर जीते रहे एक दूसरे की खुशी गमी त्यौहारों में पूरी गर्मजोशी के साथ शामिल होते रहे यकायक उस गंगा जमुनी तहजीब को मानो ऐसाग्रहण लगा कि अब महसूस होता है कि दोनों धर्मों के धार्मिक धर्मावलंबियों के मध्य अब विश्वास की कमी हो चुकी है।

दरगाह दीवान ने कहा कि वर्तमान परिवेश में  दो संप्रदायों के बीच अविश्वास की भावना इस तरह उत्पन्न हो रही है कि दाढ़ी रखने वाला, नमाज़ पढ़ने वाला, टोपी पहनने वाला मुसलमान अपने-आपअयोग्य घोषित हो जाता है जो अपने धर्म के कोई लक्षण ज़ाहिर न होने दे, दूसरी ओर, भजन, कीर्तन, तीर्थयात्रा, धार्मिक जयकारे और तिलक आदि लगाने को देशभक्ति का लक्षण बनाया जा रहा हैयानी जो ऐसा नहीं करेगा वो देशभक्त नहीं होगा, ज़ाहिर है मुसलमान अपने-आप किनारे रह जाएँगे उन्होंने कहा कि इस अविश्वास की बुनियादी वजह प्रायोजित राष्ट्रवाद और उसको हवा देने लगता हैदुश्मन के ख़िलाफ़ लोगों को लामबंद करना बहुत आसान होता है इस तरह का राष्ट्रवाद हर उस व्यक्ति या संगठन को शत्रु के रूप में पेश कर देता है जिसके बारे में शक हो जाए कि वह स्थापित सत्ताको किसी रूप में चुनौती दे सकता है। यह ऐसा वक़्त है जब सरकार का सारा ध्यान सिर्फ़ मुसलमानों में सामाजिक सुधार लाने पर है, तीन तलाक़, हज की सब्सिडी और हलाला वग़ैरह पर जिस जोश केसाथ चर्चा हो रही है, उससे मुसलमानों पर एक दबाव बना है कि वे इस देश में कैसे रहेंगे इसका फ़ैसला बहुसंख्यक हिंदू करेंगे ऐसा कथित विश्वास अल्पसंख्यकों में घर कर गया है जिसे बहुसंख्यक वर्गको रचनात्मक रूप से दूर करने के लिए आगे आना होगा और इसी से परस्पर विश्वास की भावना कायम होगी।
दरगाह दीवान ने कहा दरअसल हिंदू मुसलमान का भेद अंग्रेजों ने पैदा किया 'फूट डालो' ही  राज करने का उनके पास एक रास्ता बचा था ये सिलसिला बढ़ता रहा उन्होंने ही कई हिंदूवादी और कट्टरइस्लामी शक्तियों को भारत में पैदा किया और बढ़ावा दिया आज भारत में मुसलमानों को असहिष्णु बताया जा रहा है, वहीं क्या यह सच नहीं है कि मध्यकाल में, हिंदुओं और मुसलमानों के मेलजोलसे देश में गंगा-जमुनी तहजीब विकसित हुई। उन्होंने कहा स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान  बड़ी संख्या में मुसलमान शामिल थे। देश का विभाजन, ब्रिटिश साम्राज्य की एक कुटिल चाल थी क्योंकिब्रिटेन, पाकिस्तान के रूप में दक्षिण एशिया में अपना एक पिट्ठू देश चाहता थाउन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान दोनों संप्रदायों के बीच सदियों तक कायम रहे परस्पर विश्वास को कायम करने के लिए दोनों धर्मों के धर्म गुरुओं को एक साथ आना होगा तभी दोनों संप्रदायों मेंपरस्पर विश्वास कायम किया जा सकेगा और जब विश्वास कायम होगा तभी दोनों धर्मों के बीच  कई विवादित बिंदुओं पर आम सहमति बन सकेगी।

 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.