एसपी भार्गव, तत्कालीन डिप्टी मेश्राम व थानाधिकारी सिकरवार ने मुझे झूठे मामले में फंसाया बेवजह: रविंद्र मलिक

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Published on : 12 Aug, 19 10:08

बर्खास्त पुलिसकर्मी मलिक ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। के डी अब्बासी

एसपी भार्गव, तत्कालीन डिप्टी मेश्राम व थानाधिकारी सिकरवार ने मुझे झूठे मामले में फंसाया बेवजह: रविंद्र मलिक

कोटा,    पुलिस बेड़े के एक बर्खास्त पीडि़त पुलिसकर्मी रविंद्र मलिक व निलंबित हैड कांस्टेबल योगेश बाबू ने कोटा पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक राजेश मेश्राम व गुमानपुरा थानाधिकारी मनोज सिकरवार पर उन्हें बेवजह फंसाने के साथ मलिक ने दोषी पुलिस अधिकारियों समेत मामले की सीबीआई व एसओजी से जांच करवाने की मांग की है। 

बर्खास्त पीडि़त पुलिसकर्मी रविंद्र मलिक ने पत्रकारों को बताया कि 10 जनवरी को दुष्कर्म पीडि़ता ने दादाबाड़ी स्थित नशामुक्ति केंद्र के संचालक तेजवीर मलिक के विरुद्ध विज्ञान नगर थाने में धारा 376की रिपोर्ट दी थी, जिस पर 13 जनवरी को विज्ञान नगर थानाधिकारी नीरज गुप्ता व कांस्टेबल योगेश बाबू नशामुक्ति केंद्र गए। वहां कांस्टेबल योगेश ने तेजवीर मलिक का फोटो पहचाना और बोला कि यह रविंद्र मलिक का मिलने वाला है। इस पर कांस्टेबल योगेश ने रविंद्र के मोबाइल नंबर नहीं होने के कारण उसने अन्य पुलिसकर्मी रोहिताश को बुलाया और कहा कि रविंद्र मलिक से उसकी बात करा दें। इस पर रोहिताश ने रविंद्र मलिक को फोन लगाया और कांस्टेबल योगेश ने रविंद्र मलिक से बात की और आरोपी तेजवीर मलिक के बारे में पूछा और बताया कि तेजवीर मेरा परिचित है। इस पर कांस्टेबल योगेश ने बताया कि तेजवीर के विरुद्ध विज्ञान नगर थाने में 376 में मामला दर्ज हुआ है। इस पर रविंद्र मलिक ने कांस्टेबल मोहन के मोबाइल से आरोपी तेजवीर मलिक को फोन लगाया और पूछा कि तेरा क्या मामला हो गया है। इस पर तेजवीर ने रविंद्र मलिक को बताया कि वह किसी महिला को नहीं जानता है और उसने कहा कि पिछले दो-तीन माह से किसी अन्य महिला का फोन आता था और वह नशामुक्ति केंद्र के बारे में जानकारी ले रही थी। मौके पर ही रविंद्र मलिक ने मोबाइल पर कॉन्फ्रेंस में लेकर योगेश व तेजवीर की आपस में बात करवाई। इसके बाद आरोपी तेजवीर मलिक 14 जनवरी को रविंद्र मलिक के घर पर आया और मामले के निस्तारण की बात कही। इस पर रविंद्र मलिक ने कॉस्टेबल योगेश बाबू को पुलिस लाइन बुलाया। इसके बाद योगेश, तेजवीर व रोहिताश तीनों विज्ञान नगर थाने में सीआई नीरज गुप्ता से मिलने चले गए। इस पर योगेश ने बोला कि पीडि़ता राजीनामे के लिए 10 लाख रुपए की डिमांड कर रही है। इस पर तेजवीर ने बताया कि उसके पास पांच लाख रुपए का जुगाड़ है तथा पांच लाख रुपए रविंद्र मलिक से देने के लिए बोला। रविंद्र मलिक ने तेजवीर मलिक से मामले की सही प्रकार से जानकारी देने की बात कही, जिस पर उसने कहा कि मुझे झूठा फंसाया जा रहा है। इस पर रविंद्र मलिक ने कांस्टेबल योगेश से उचित कार्रवाई करने की बात कही। इस दौरान हनी ट्रेप का मामला दर्ज हुआ और उसमें रविंद्र मलिक को भी आरोपी बना दिया, जबकि रविंद्र मलिक का कहना है कि वह इस दौरान शहर से बाहर था। रविंद्र मलिक का कहना है कि तेजवीर मलिक ने पुलिस दबाव में आकर उसके विरुद्ध विज्ञान नगर थाने में हनी ट्रेप का मामला दर्ज करवाया है। इस पर पुलिस ने अन्य तीन आरोपियों को थाने ले आई। इस मामले में कांस्टेबल योगेश व रविंद्र मलिक का भी नाम शामिल था। 

हनी ट्रेप मामले में झूठा फंसाया 

रविंद्र मलिक ने बताया कि हनी ट्रेप मामले में उन्हें झूठा फंसाया गया है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव, पुलिस उपाधीक्षक राजेश मेश्राम व गुमानपुरा थानाधिकारी मनोज सिकरवार पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। तेजवीर ने धारा 376 के मामले से बचने के लिए तथा पुलिस के दबाव में आकर उसके विरुद्ध झूठा मामला दर्ज करवाया है। मलिक ने बताया कि इस मामले में तत्कालीन जवाहर नगर थानाधिकारी मनोज सिकरवार द्वारा सभी जांचें फर्जी तरीके से की गई है। 

सारी जांचें हुई फर्जी तरीके से 

मलिक ने बताया कि 19 जनवरी को दोपहर 1.20 बजे विज्ञान नगर थाने से उनके मामले की फाइल रवाना हुई और दोपहर 1.32 बजे जवाहर थाने में फाइल आमद हो गई। इसके बाद दोपहर 3.30 बजे सीआई मनोज सिकरवार थाने आता है और दोपहर3.37 बजे सीआई सिकरवार जवाहर नगर थाने से विज्ञान नगर थाने के लिए रवाना हो जाता है। वहीं दोपहर 3.43बजे पर वह वापस आता है और दोपहर 3.45 बजे वापस रवाना होता है विज्ञान नगर थाने के लिए। इसके बाद सीआई सिकरवार जाब्ते के साथ80 फीट रोड स्थित गपशप रेस्टोरेंट पहुंचे और कार्रवाई शुरू कर दी,जबकि प्राथमिक रिपोर्ट में गपशप रेस्टोरेंट का कोई बयान नहीं है, जबकि फरियादी तेजवीर मलिक कोटा में मौजूद ही नहीं था। ऐसे में पुलिस पर सवालिया निशान उठता है कि सिकरवार फरियादी तेजवीर मलिक एवं बिना जानकारी के गपशप रेस्टोरेंट कैसे पहुंची। मलिक ने बताया कि यहां तक पुलिस ने मामले की फाइल में एक रिपोर्ट में तो तारीख 31 फरवरी दर्शा रखा है, जबकि फरवरी में 31तारीख कभी आती ही नहीं है। सभी जांचें फर्जी तरीके से की गई है।

हैड कांस्टेबल की ड्यूटी को बताया गलत

मनोज सिकरवार ने जांच के दौरान बताया कि प्राथमिक रिपोर्ट में तेजवीर मलिक ने लिखा कि वह 14 जनवरी को रविंद्र मलिक के घर गया और वहां रविंद्र मलिक के साथ वह 80 फीट रोड स्थित गपशप रेस्टोरेंट गये। मामले की सत्यता की जांचने के लिए सिगमा ड््यूटी में तैनात हेड कांस्टेबल रणजीत व कांस्टेबल मोहम्मद हुसैन को हिदायत दी कि रेस्टोरेंट के सीसीटीवी की जांच की, जबकि इस दिन हेड कांस्टेबल रणजीत की ड्यूटी रोजनामचे में थी तो वह उसकी ड्यूटी सिगमा में कैसे थी। दिलचस्प बात यह है कि जिस कांस्टेबल के सामने जब्ती की कार्रवाई बनी है, वह कांस्टेबल वहां मौजूद ही नहीं था और वह कांस्टेबल उस समय तलवंडी चौराहे पर नौकरी कर रहा था, जो समय सीआई मनोज सिकरवार ने कार्रवाई करने का दर्शाया गया है, वहां कोई पुलिसकर्मी मौजूद ही नहीं था। मलिक ने बताया कि ये सभी जांचें फर्जी तरीके से हुई है और उन्हें बेवजह मामले में आरोपी बनाया गया। पुलिस ने 20 जनवरी को आरोपियों की गिरफ्तारी दिखाई है,जबकि पुलिस ने आरोपियों को चार दिन तक पुलिस थाने में कैसे हिरासत में रखा। 

तबादला होने के बावजूद फाइल भी ले गए साथ 

मलिक ने बताया कि मनोज सिकरवार का जवाहर नगर से गुमानपुरा थाने में तबादला हो गया जब भी सिकरवार उक्त मामले की फाइल अपने साथ ले गए, जबकि पुलिस विभाग का नियम है कि किसी भी मामले की फाइल की जांच को किसी अन्य थाने में एक बार ही ट्रांसफर किया जा सकता है फिर इसके बावजूद सिकरवार किस नियम से फाइल को अपने साथ ले गए। 

पुलिस अधिकारियों के नार्को टेस्ट की मांग 

मलिक ने बताया कि वह निर्दोष है और मलिक ने पुलिस विभाग एवं न्यायालय से स्वयं समेत पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक राजेश मेश्राम व गुमानपुरा थानाधिकारी मनोज सिकरवार का नार्को टेस्ट करवाने की मांग की है। रविंद्र मलिक व निलंबित कांस्टेबल योगेश बाबू ने उक्त मामले की एसओजी व सीबीआई से मामले की जांच करवाने के साथ-साथ दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है। मलिक ने बताया कि वह निर्दोष है और उन्हें माननीय न्यायालय पर पूरा भरोसा है। 


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