मुंशी प्रेमचन्द कहानियां सुनाने ही धरती पर आए

( 3411 बार पढ़ी गयी)
Published on : 01 Aug, 19 09:08

मुंशी प्रेमचन्द कहानियां सुनाने ही धरती पर आए

संसार में विरले ही ऐसे हुए जिन्होंने सृजन को इतनी उत्कट बेचैनी लेकर जीवन जिया। उनके शब्दों में जादू था और जीवन इतना विराट कि देश-काल की सीमाएं समेट नहीं पाईं उनके वैराट्य को। उन्होंने हिन्दी कथा-साहित्य के क्षेत्र में कथ्य और शिल्प दोनों में आमूलचूल बदलाव किया। लेखन की एक सर्वथा मौलिक किन्तु सशक्त धारा जिनसे जन्मी, वे हैं मुंशी प्रेमचन्द। इतिहास और साहित्य में ऐसी प्रतिभाएं कभी-कभी ही जन्म लेती हैं। वाल्मीकि, वेदव्यास, कालिदास, तुलसीदास, कबीर और इसी परम्परा में आते हैं प्रेमचन्द। 31 जुलाई 2019 को उनका 140वां जन्मदिन है, जिनसे भारतीय साहित्य का एक नया और अविस्मरणीय दौर शुरू हुआ था। जिनके सृजन एवं साहित्य की गूंज भविष्य में लम्बे समय तक देश और दुनिया में सुनाई देती रहेगी। आज जब हम बहुत ठहर कर बहुत संजीदगी के साथ उनका लेखन देखते हैं तो अनायास ही हमें महसूस होता है कि वे अपने आप में कितना विराट संसार समेटे हुए हैं। ऐसा भी प्रतीत होता है कि शायद वे कहानियां सुनाने ही धरती पर आए थे। 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.