काश मुझे भी इस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं मिली होतीं : सुनील छेत्री

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Published on : 27 Jul, 19 15:07

भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने किया जिंक फुटबाल का दौरा

काश मुझे भी इस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं मिली होतीं : सुनील छेत्री

उदयपुर। भारत की राष्ट्रीय फुटबाल टीम के कप्तान और भारतीय फुटबाल के सबसे चर्चित चेहरों में से एक सुनील छेत्री ने शनिवार को उदयपुर के जावर स्थित जिंक फुटबाल अकादमी का दौरा किया। एशियाई आइकॉन ने हिंदुस्तान जिंक द्वारा संचालित जिंक फुटबाल से जुड़े युवा फुटबालरों के साथ इंटरेक्टिव सेशन में हिस्सा लिया। छेत्री जावर में मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को देखकर हैरान थे। छेत्री ने कहा कि इस तरह की पहल से न केवल राजस्थान फुटबाल बल्कि भारतीय फुटबाल को भविष्य में नई ऊंचाई मिलेगी।
वेदांता समूह की कंपनी- हिंदुस्तान जिंक ने इस विश्वास के साथ कि तकनीक और डेटा-संचालित विश्लेषण के समय पर हस्तक्षेप से देश में फुटबाल को बढ़ावा मिल सकता है,भारतीय फुटबाल को अगले स्तर पर ले जाने के लिए अपने सामाजिक विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में जिंक फुटबाल कार्यक्रम की शुरूआत की। कार्यक्रम के मूल में एक पूर्णकालिक आवासीय अकादमी है, जिसमें 40 श्रेष्ठ अंडर-15 फुटबालरों में को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन बच्चों का चयन राज्यभर में आयोजित ट्रायल्स के माध्यम से 5000 से अधिक बच्चों के बीच से चुना गया है।
सुनील छेत्री ने कहा कि मैंने राजस्थान में पहली बार कोई फुटबाल अकादमी देखी है और मैं यह देखकर वाकई खुश हूं कि यहां विश्वस्तरीय सुविधाएं मौजूद हंै। जिंक फुटबाल जैसी पहल में जिस तरह की विश्वस्तरीय सुविधा तैयार की गई है, उससे आने वाले समय में भारतीय फुटबाल को ऊपर ले जाने में मदद मिलेगी। मैं तो यही सोच रहा हूं कि जब मैं बड़ा हो रहा था, तब मुझे इस तरह की सुविधा और इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मिली। मुझे यकीन है कि यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चे न सिर्फ राजस्थान में बल्कि राष्ट्र स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
छेत्री को अपनी अकादमी में पाकर जिंक फुटबाल के युवा फुटबालरों की उत्सुकता देखते बन रही थी। ये सभी अपने आइकॉन के पास जाना और उनसे गुफ्तगू करने के लिए बेताब दिखे। सुनील ने इन बच्चों के साथ अपने अनुभव साझा किए और यह बताया कि एक टॉप पेशेवर खिलाड़ी बनने के लिए क्या-क्या करना जरूरी होता है। रोमांच उस समय चरम पर पहुंच गया, जब सुनील ने बच्चों के साथ मैदान साझा किया और उनके साथ एक छोटा सा मैच खेला।
वेदांता फुटबाल के अध्यक्ष अन्नय अग्रवाल ने कहा कि हम भारतीय फुटबाल के सबसे बड़े सुपरस्टार सुनील छेत्री की मेजबानी करके हर्षित हैं। उनकी उपलब्धियां और मैदान पर उन्होंने जो कुछ किया है, उससे सब वाकिफ हैं और अब उन्हें नई ऊंचाइयों को छूने के लिए बेताब युवा फुटबालरों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए देखना वाकई शानदार पल है। एक ग्रुप के तौर पर वेदांता देश में ग्रासरूट फुटबाल के विकास को लेकर एक नया मॉडल बनाने के लिए कृतसंकल्प है और नई प्रतिभाओं को तलाशने और तराशने का अपना प्रयास अनवरत जारी रखेगा और इस क्रम में सुनील छेत्री और उनके जैसे कई दिग्गजों को अपने साथ जोड़े रखना चाहेगा।
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी स्वयम सौरव ने कहा कि हम जिंक फुटबाल को नई ऊंचाई पर ले जाने और राजस्थान में फुटबाल की दिशा में एक क्रांति लाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। सुनील छेत्री को अपने बीच पाना और जिंक फुटबाल के युवा खिलाडिय़ों के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए देख कर अच्छा लगा। सरकार अपने स्तर पर खेल के लिए बेहतर प्रयास कर रही है लेकिन कार्पोरेट को आगे आना चाहिये जिसके लिए हिन्दुस्तान जिंक ने पहल की है। अकादमी में 25 करोड़ रूपये से अधिक खर्च कर ग्रामीण क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं को आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है जो कि अपनेआप में एक उदाहरण है। हम सभी को सामूहिक जिम्मेदारी से इसे पूरा करना होगा।
छेत्री ने खानपान के संबंध में कहा कि अक्सर देखा जाता है कि व्यक्ति जब भी समय मिलता है, कहते हैं, अरे यार बोर हो रहे हैं, कुछ खा लेते हैं। उन लोगों को यह नहीं पता कि वह क्यों खा रहे हैं, किसलिए खा रहे हैं। इस खाने से शरीर को क्या फायदा होगा, क्या नुकसान होगा उन्हें नहीं पता। उन्हें तो सिर्फ इसलिए खाना है कि वे बोर हो रहे हैं और उन्हें टाइम पास करना है। ऐसा करने वाले अच्छे खासे स्मार्ट लोग कुछ ही समय में अपनी तोंद को बाहर निकाल लेते हैं और उनकी चुस्ती और फुर्ती खत्म हो जाती है। खिलाडिय़ों को सबसे ज्यादा ध्यान अपने खानपान के संबंध में रखना चाहिए। क्या खाना है, किस समय खाना है और क्यों खाना है, इसकी समझ उनमें होनी चाहिये। हमेशा व्यक्ति को जीवन में सीखते रहना चाहिए। तभी आदमी आगे जाकर बड़ा बनता है। उन्होंने कहा कि वे 12-13 साल की उम्र से ही फुटबाल खेलते आ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अनुशासन, खानपान और सीखने की ललक के कारण ही वे आज यह मुकाम हासिल कर पाये हैं।

 

 


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