’’८४ वर्षीय रोगी के पेट में कैंसर की सफल सर्जरी‘‘

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Published on : 25 Jul, 19 11:07

गीतांजली हॉस्पिटल के जीआई सर्जन ने किया सफल इलाज

’’८४ वर्षीय रोगी के पेट में कैंसर की सफल सर्जरी‘‘

कुछ रोगी वाकई एक मिसाल होते है। उनके जीने का जज्बा एवं जिंदगी की लडाई को जीतने की जिद्द कई लोगों को जिंदादिली का हौसला दे जाती है। ऐसे रोगियों के लिए उम्र मात्र एक संख्या होती है। ऐसे ही रोगियों में से औरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने आबू रोड निवासी एवं ८४ वर्शीय भूर सिंह जी चौहान। पेट में दूसरी स्टेज के कैंसर का सफल ऑपरेषन करा स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर रहे का यह वाकया गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंटरोलोजी विभाग के जीआई सर्जन डॉ कमल किशोर ने बयां किया। भूख न लगने, उल्टियां होने एवं कुछ भी न खा पाने की स्थिति के कारण रोगी गीतांजली हॉस्पिटल परामर्श के लिए आए थे। हीमोग्लोबिन की कमी के कारण रोगी एनेमिक भी थे। सीटी स्केन की जांच में पेट में दूसरी स्टेज के कैंसर की पुश्टि हुई। पेट में कैंसर के उपचार हेतु केवल सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था। ऑपरेषन से पूर्व उन्हें चार यूनिट ब्लड चढाया गया और फिर सर्जरी की गई। तत्पष्चात् उन्हें आईसीयू में भर्ती किया जहां से उन्हें आठवें दिन हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई और अब वे बिल्कुल स्वस्थ है। साथ ही आराम से खाना खा पा रहे है। इस सफल सर्जरी में डॉ कमल किशोर के साथ एनेस्थेटिस्ट डॉ वीएस राठौड एवं ओटी इंचार्ज हेमन्त गर्ग का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

डॉ कमल ने बताया कि इस रोगी की गेस्टो्रएंटरोलोजिस्ट डॉ पंकज गुप्ता ने एंडोस्कोपी की जांच की थी परंतु उसमें कुछ नहीं आया। वहीं तीन बायोप्सी भी की गई परंतु कैंसर का निदान न हुआ। चूंकि यह लक्षण कैंसर के थे इसलिए यह जांचें करनी आवष्यक थी। और यह भी सुनिश्चित करना था कि कैंसर फैला हुआ तो नहीं है। क्योंकि यदि कैंसर फैल गया होता तो सर्जरी द्वारा भी इलाज संभव नहीं था। परंतु कैंसर पेट तक ही सीमित था जिसका सफल ऑपरेषन किया गया। ऑपरेषन के दौरान लिवर में दो गांठ भी पाई गई परंतु वह लिवर की ही गांठ थी।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने रोगी की बेहतर स्वस्थ की कामना करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि, ’यदि कोई रोगी इस उम्र में भी कैंसर जैसी जटिल बीमारी से लडकर ठीक हो सकता है तो किसी भी रोगी को हार नहीं माननी चाहिए। अनुभवी व कुशल जीआई सर्जन, गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट एवं मेडिकल ऑन्कोलोजिस्ट के संयुक्त प्रयासों से इस रोगी को नया जीवन मिला। साथ ही यह सफल इलाज गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे संपूर्ण एवं समर्पित देखभाल को दर्शाता है।‘


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