एच सी एम रीपा में आपदा प्रबंधन

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Published on : 23 Jul, 19 05:07

जलस्त्रोत संरक्षण व व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर अधिकारियों, कर्मचारियों का विशेष सत्र

एच सी एम रीपा में आपदा प्रबंधन

उदयपुर |  कचरे व गंदगी से जल  का प्रदूषण , घटते जल संसाधन व जल से उपजने वाली बीमारियां आज की सबसे बड़ी आपदा है। नब्बे प्रतिशत संक्रामक रोग जल से फैल रहे हैं। हेपेटाइटिस, टाइफाइड, आंत्रशोथ सहित पोलियो , कैंसर , थाइरोइड व प्रजनन प्रणाली के रोगों के पीछे प्रदूषित, संदूषित ( कोंटामिनेटेड)  जल है। जल से जुड़ी आपदाओं पर यह विचार जल विशेषज्ञ   डॉ अनिल मेहता ने  हरिश्चन्द्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान  में आयोजित " आपदा  प्रबंधन , जल प्रबंधन, जलस्त्रोत संरक्षण व व्यक्तिगत जिम्मेदारी " विषयक सत्र में व्यक्त किये। कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन  विषयक प्रशिक्षण में सम्मिलित राजकीय विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों , संस्थागत प्रशिक्षण में आये कनिष्ठ लेखाकारों ने भाग लिया । 

 

अतिरिक्त निदेशक   वेंकटेश शर्मा ने   आपदाओं के विविध आयामों को परिभाषित करते हुए कहा कि एक  नागरिक के रूप में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी निभा कर ही मानवीय असवेंदनशीलता  से  पनपने वाली आपदाओं को रोका जा सकता है। निदेशक  शर्मा ने कहा कि अन्न की बर्बादी को  रोक , पॉलीथिन प्रयोग पर नियंत्रण कर  , अधितकतम् वृक्षारोपण व वृक्ष पोषण से जुड़  एक नागरिक के रूप में हम जल संकट दूर कर   सकते है  व  ग्लोबल वार्मिंग व क्लाइमेट चेंज विभीषिकाओं को कम कर सकते है। 

 

सामाजिक चिंतक नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि जल संसाधनों अतिक्रमण और प्रदूषित होने से बचाने की जरूरत है। एक नागरिक के रूप में हमे पेड़, पहाड़, मिट्टी को बचाने में अहम व सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

युवा पर्यावरण कार्यकर्ता दिगम्बर सिंह ने उत्तराखंड में जंगल बचाने में  देव वन व्यवस्था का उदाहरण देते हुए पेड़ो के संरक्षण व संवर्धन की जरूरत बताई । दिगम्बर ने उदयपुर की झीलों की दुर्दशा एवम उसे  सुधारने के विभिन्न  नागरिक प्रयासों की जानकारी दी।

सभी अधिकारियों कर्मचारियों को व्यक्तिगत स्तर पर नियमित रूप से स्वच्छता श्रमदानो से जुड़ने का आग्रह किया।


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