’प्रोस्टेट कैंसर की सफल रेडिकल प्रोस्टेक्टोमी‘

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Published on : 20 Jul, 19 05:07

’प्रोस्टेट कैंसर की सफल रेडिकल प्रोस्टेक्टोमी‘

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के यूरोलोजिस्ट डॉ विश्वास बाहेती ने प्रोस्टेट कैंसर से पीडत ६२ वर्षीय रोगी की सफल रेडिकल प्रोस्टेक्टोमी कर स्वस्थ किया। यह सफल इलाज करने वाली टीम में यूरोलोजिस्ट डॉ पंकज त्रिवेदी, एनेस्थेटिस्ट डॉ अनिल भिवाल तथा ओटी स्टाफ अविनाश, पुष्कर एवं जयप्रकाश भी शामिल थे।

पाली निवासी भूंडा राम (६२ वर्ष) मूत्र संबंधी समस्याओं और बढे हुए पीएसए के साथ गीतांजली हॉस्पिटल आया था। ट्रस गाइडेड नीडल बायोप्सी एवं एमआरआई की जांच में प्रोस्टेट कैंसर का पता चला। चूंकि रोगी की उम्र ७५ वर्ष से कम थी और प्रोस्टेट कैंसर केवल प्रोस्टेट तक ही सीमित था और फैला हुआ नहीं था इसलिए रेडिकल प्रोस्टेक्टोमी द्वारा इलाज करने का निर्णय लिया गया। करीब ४.५ घंटें की जटिल सर्जरी के पश्चात (प्रोस्टेट ग्रंथि जिसमें कैंसर का ट्यूमर था) एवं आस-पास ऊतकों को हटाया गया।

रेडिकल प्रोस्टेक्टोमी के जोखिम ः

डॉ विश्वास बाहेती ने बताया कि रेडिकल प्रोस्टेक्टोमी में गंभीर जटिलताओं का खतरा होता है। क्योंकि प्रोस्टेट के नजदीक से महत्वपूर्ण नसें जिनमें मुख्यतः मूत्र की गति व लीक (मूत्र को नियंत्रित करने का कार्य) एवं स्तंभन कार्य को नियंत्रित करने वाली नसें होती है इसलिए इन नसों की रक्षा के लिए कुशल सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा और भी कई जोखिम है जिनमें मुख्य रुप से ऑपरेशन के बाद अत्यधिक रक्तस्त्राव, मूत्र रिसाव, खून के थक्के, मूत्रमार्ग में संक्रमण एवं संकुचन के कारण मूत्र प्रवाह का अवरुद्ध होना शामिल है। परंतु इस मरीज की दुबारा कराई गई सोनोग्राफी की जांच में वह इनमें से किसी भी जोखिम से पीडत नहीं पाया गया। रोगी का इलाज राजस्थान सरकार की भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत निःशुल्क हुआ।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि, ’गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के यूरोलोजी विभाग में दक्षिणी राजस्थान की सबसे अनुभवी कुशल टीम २४ घंटें उपलब्ध है। यह विभाग किसी भी प्रकार की मूत्र संबंधी समस्याओं से संबंधित छोटी-बडी सर्जरी द्वारा इलाज करने में सक्षम है। चूंकि कई प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढते है इसलिए ५० वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट की जांच अवष्य करा लेनी चाहिए।


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