तुलसी निकेतन समिति का हाईप्रोफाइल धोखाधडी का मामला

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Published on : 13 Jul, 19 11:07

फर्जी दस्तावेजों से हडपा करोडों का भूखण्ड २९ साल बाद पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुई रिपोर्ट

तुलसी निकेतन समिति का हाईप्रोफाइल धोखाधडी का मामला

उदयपुर, । तुलसी निकेतन समिति के पदाधिकारियों द्वारा की गई हाईप्रोफाईल धोखाधडी का आखिरकार २९ साल बाद हिरण मगरी थाने में मामला दर्ज हो गया है। श्री मेवाड जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉन्फ्रेंस को युआईटी द्वारा वर्ष १९७२ में छात्रावास के लिए आंवटित भूमि को योजनाबद्ध तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार कर समिति के नाम करा दी थी। इस सम्बन्ध में नगर निगम ने भी धोखाधडी का खुलासा होने पर समिति के पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया था।

श्री मेवाड जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने तुलसी निकेतन समिति के पदाधिकारी तत्कालीन अध्यक्ष भेरूलाल धाकड, यशवंत कोठारी, जवेर चंद जैन एवं गणेश डागलिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई कि नगर विकास प्रन्यास द्वारा कॉन्फ्रेंस को १५ जनवरी १९७२ को मेवाड क्षेत्र के जैन समाज के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास निर्माण हेतु भूखण्ड आवंटन किया था। न्यास की ओर से आवंटन भूखण्ड में यह शर्त भी रखी गई थी कि भूमि केवल हॉस्टल के उपयोग में ही काम आएगी और न ही भूखण्ड किसी को हस्तान्तरित किया जा सकेगा। इस दौरान कॉन्फ्रेंस के तत्कालीन अध्यक्ष भेरूलाल धाकड ने अपने कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही नियत में खोट आने पर आनन-फानन में बिना कोरम के बैठक कर अपने ही परिवार की छात्रावास निर्माण के लिए कमेटी का गठन कर लिया और जैसे ही पद से मुक्त हुए तो योजनाबद्ध तरीके से तुलसी निकेतन समिति का गठन कर उसका सोसायटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन करा दिया और फर्जी दस्तावेज एवं कॉन्फ्रेंस का फर्जी हलफनामा न्यास में देकर जमीन समिति के नाम करने की कवायत की। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रसुखदार आरोपियों ने अपने प्रभाव का इस्तमाल करते हुए वर्ष १९९० में कॉन्फ्रेंस की छात्रावास के लिए आवंटित जमीन को नगर विकास प्रन्यास से तुलसी निकेतन समिति के नाम करा दी। हिरण मगरी थाना पुलिस ने भादस की धारा ४२०, ४०६, ४६७, ४६८ व १२०-बी में मामला दर्ज कर जांच एएसआई हमेरलाल को सौंप दी।


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