मत्स्य विकास के लिए प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत-प्रो. दुर्वे

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Published on : 11 Jul, 19 05:07

जयसमन्द मे मनाया गया मत्स्य कृषक दिवस 

मत्स्य विकास के लिए प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत-प्रो. दुर्वे

उदयपुर । अंलकारिक मत्स्यकी प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान एवं मात्स्यकी महाविद्यालय (एम.पी.यू.ए.टी.) उदयपुर द्वारा राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस के उपलक्ष में मत्स्य किसान संगोष्ठी, ग्राम वीरपुरा, जयसमन्द में आयोजित की गई। यह संगोष्ठी राष्ट्रीय मात्स्यकी विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित की गई। इस अवसर पर उदयपुर, जयसमन्द, बंासवाडा, डूंगरपुर के मत्स्य कृषकों एवं मात्स्यकी महाविद्यालय के स्नातक, स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने संगोष्ठी मे भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात मत्स्य एवं सरोवर विज्ञानी प्रो. वी.एस. दुर्वे ने बताया की पिछले ५० वर्षो मे प्रदेश का मत्स्यकी परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है उन्होने कहा की राजस्थान में जल संसाधनों की कोई कमी नही है तथा जल गुणवत्ता व मौसम भी मछली पालन के अनुकूल है। उन्होने प्रदेश के मत्स्य कृषकों, मात्स्यकी विद्यार्थियों एवं मात्स्यकी संस्थानो को प्रबल इच्छा शक्ति के साथ मत्स्यकी विकास में जुटने का आह्ववान किया।

अंलकारिक मत्स्यकी प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. अतुल जैन ने मत्स्य कृषक दिवस के आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डालते बताया की इस अवसर पर प्रो. वी.वी. डुर्वे एवं अग्रणी मत्स्य व्यवसायी श्री पुरूषोतम सिंह खींची को मछली पालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पूर्व अधिष्ठाता मात्स्यकी महाविद्यालय प्रो. एल.एल. शर्मा ने मत्स्य कृषक दिवस की शुभकामनाऐं देते हुए इस दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की बात कही। उन्होने कहा कि यद्यपि प्रदेश का मछली उत्पादन पिछले पांच दशकों में ११ गुना बढा है फिर भी हम पंजाब, हरियाणा जैसे अनेक छोटे राज्यों से पीछे है अतः इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। मात्स्यकी व्यवसायी श्री पुरूषोतम सिंह खींची ने मत्स्य पालकों को वैज्ञानिक विधि से मछली पालन व पकडने के तरीकों को अपनाने एवं बडे आकार की मछलियों को पकडने की सलाह दी। कार्यक्रम मे उपस्थित पूर्व उपनिदेशक मत्स्य विभाग श्री अरूण पुरोहित ने मछली पालन में सहकारिता को बढावा देने की बात कही। सह निदेशक मत्स्य विभाग राजस्थान सरकार डा. अकील अहमद ने कम पानी में मछली पालन करने की रिसकुलेटरी पद्धति व खेती तथा पशुपालन के साथ समन्वित मछली पालन करने तथा राजस्थान सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को अपना कर उद्यमिता बढाने की बात कही। प्रो. सुबोध शर्मा, अधिष्ठाता मात्स्यकी महाविद्यालय ने मत्स्य उत्पादन व निर्माण के आकडों पर प्रकाश डालते हुऐ बताया कि वर्ष २०२२ तक कृषकों की आय दोगुना करने के माननीय प्रधानमंत्री के आव्हान को पूरा करने मे मछली पालकों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय बजट मे जल संरक्षण व प्रथक मत्स्य मंत्रालय की घोषणा की गई है। संगोष्ठी के दौरान मात्स्यकी महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. एम.एल. ओझा एवं जनजाती निगम के हेचरी प्रबंधक श्री हंसराज के सहयोग से मत्स्य कृषकों की समस्या समाधान, वाद विवाद, प्रश्नोत्तरी व खेलकूद का आयोजन भी किया गया। जयसमन्द व बांसवाडा के प्रगतिशील मत्स्य कृषकों एव मत्स्य पालन सहकारी समीतियों के श्री सूरजमल, सुरेश कुमार कोतीलाल, ताराचन्द, केसा जी, कालुराम, शम्भू सिंह इत्यादि को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर जन जाति सहकारी निगम के वरिष्ठ मत्स्य विपणन अधिकारी श्री वी.के. दशोरा, मात्स्यकी महाविद्यालय की फैकल्टी डॉ. एस.एम. जैन, अंलकारी मात्स्यकी संस्थान की सह निदेशक श्रीमती जैन, डॉ. अभिनिका, डॉ. विवेक राणे, श्री प्रभुलाल, प्रवीण तथा राजकुमार का सहयोग सराहनीय रहा।


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