नेत्रदान-अंगदान संकल्प के साथ मनाया डाक्टर्स डे

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Published on : 02 Jul, 19 10:07

शहर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक का निधन व नेत्रदान

नेत्रदान-अंगदान संकल्प के साथ मनाया डाक्टर्स डे

ईश्वर के बाद यदि जिंदगी को कोई बचाने वाला है,तो वह है एक चिकित्सक । एक अच्छा चिकित्सक, मरीज़ का  जीवन बचाने के लिये अपने परिवार ,दोस्तों,रिश्तेदारों व जिंदगी के साथ कितने सारे समझौते करता है,इसका कोई हिसाब नहीं है । परंतु यह बात चिकित्सक भी जानते है कि किसी का जीवन बचाने के आगे,बाकी किसी चीज़ का कोइ मोल नहीं है । 

डाक्टर्स डे पर आज शहर व आस पास के कई चिकित्सकों ने शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर नेत्रदान-अंगदान का संकल्प लिया ।

न्यूरो सर्जन कपिल जैन ने कहा कि,मृत्यु एक शास्वत सत्य है, इस दुनिया से जाते समय भी आप नेत्रदान-अंगदान जैसा नेक कार्य कर,कई लोगों का जीवन बचा सकते है । जीवन जीते रक्तदान,मृत्यु उपरांत नेत्रदान,अंगदान,व देहदान ।

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ साकेत गोयल जी ने कहा की परिजनों के मृत्यु के बाद भी यदि उनको किसी अज़नबी के जीवन बचा कर याद रखा जा सकें,उससे बड़ी बात किसी के लिये हो ही नहीं सकती । ज्यादा से ज्यादा जागरूकता शिविर यदि लगाये जाएं, तो कोटा के नागरिक इस तरह का जुनून रखते है कि,वह अपना जीवन दाव पर खेल कर लोगों का जीवन बचा सकते है ।

डॉ विजय कटारिया जी ने भी अंगदान का संकल्प करते हुए कहा कि,अंगदान आने वाले समय की जरूरत है, भारत वर्ष में करीब 5 लाख से अधिक लोग अंग के अभाव में मौत के करीब है । यदि समय रहते ब्रेन डेथ व्यक्ति का अंगदान हो जाये तो ऐसे लोगों का जीवन बचाया जा सकता है ।

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुरषोत्तम मित्तल जी ने भी नेत्रदान के प्रति अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नेत्रदान किसी भी उम्र के,व्यक्ति का संभव है,इसमें पूरी आँख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है,और नहीं किसी तरह की कोई विकृति चेहरे पर आती है । इसलिये इस नेक कार्य में अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिए ।

इसी क्रम में कोटा जंक्शन निवासी रेल्वे विभाग से सेवानिवृत्त जगतार सिंह जी का निधन हो गया,सेवानिवृत्त के बाद से उन्होंने होम्योपैथी किताबों से अपना नाता जोड़ लिया,उसके बाद से उन्होंने स्टेशन क्षेत्र पर कई असाध्य रोगों को अपनी चिकित्सा पद्धति से दूर किया।  उनके निधन के उपरांत उनके परिजनों ने उनके नेत्रदान करवाने के लिये शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया । संस्था सदस्यों ने आई बैंक के तकनीशियन के साथ उनके निवास पर नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया। 


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