जनजाति लोककला व संस्कृति की झलक दिखेगी ‘‘आदि महोत्सव’’में

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Published on : 14 Jun, 19 07:06

टीएडी राज्यमंत्री शुक्रवार को करेंगे शुभारंभ

जनजाति लोककला व संस्कृति की झलक दिखेगी ‘‘आदि महोत्सव’’में

उदयपुर/जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, टीआरआई और  भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के सयुंक्त तत्वावधान में आदि महोत्सव का शुभांरभ 14 जून को सायं 7.30 बजे होगा। इसममें जनजाति लोककला व संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलेगी।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त भवानी सिंह देथा ने बताया कि ‘कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान सरकार के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के मुख्य आतिथ्य में होगा। विशिष्ट अतिथि ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्णा (आईएएस) व ट्राईफेड चेयरमेन आर.सी. मीणा. होंगे।
उन्होने बताया कि तीन दिवसीय जनजाति उत्सव के तहत आयोजित हो रहे आदि महोत्सव के तहत गुरुवार को समारोह में भाग ले रहे राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के जनजाति कलाकरों ने अपना पंजीयन कराया, जो इस तीन दिवसीय समारोह में प्रतिदिन अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियॉ देगें। जिसमें बांसवाडा के भील जनजाति द्वारा गैर व डांगरी नृत्य, तथा घूमरा नृत्य, उपलागढ़ सिरोही के गरासिया जनजाति द्वारा वालर, रायण नृत्य, झाडोल, उदयपुर के कथोड़ी जनजाति के द्वारा मालविया नृत्य, शाहबाद, बांरा के सहरिया जनजाति के द्वारा स्वांग नृत्य, बाड़मेर के भील जनजाति के कलाकारों द्धारा पाबूजी की फढ़ बाचन, पीपलखूंट, प्रतापगढ़ के भील जनजाति द्वारा कच्ची घोड़ी नृत्य, थूर उदयपुर के भील जनजाति द्वारा गवरी नृत्य, ऋृषभदेव, उदयपुर के मीणा जनजाति के कलाकरों द्वारा लाखा बंजारा नृत्य, डूगंरपुर के भील जनजाति द्वारा भजन तथा करौली के मीणा जनजाति द्वारा लोक गीत प्रमुख होगें।
शिल्पकार व गुणीजन भी करेंगे शिरकत
उन्होने यह भी बताया कि राजस्थान की जनजाति कला के कलाकारों को प्रोत्साहित करने, उन्हे उचित प्रकार से मंच प्रदान करने तथा उनकी कला, शिल्प को प्रचारित करने तथा जन- जन तक पहुचॉने के उद्धेश्य से आयोजित इस समारोह में राजस्थान के लगभग 40 शिल्पकार, गुणीजन जो अपने जड़ी- बूटी के ज्ञान से लोगों को परिचित कराएगें तथा राजस्थान कि वन सम्पदा में उपलब्ध जड़ी- बूटियों से किस प्रकार, किस -किस बीमारियों का इलाज हो सकता है, बताएगें। साथ ही शिल्पकार अपने शिल्प का प्रदर्शन एवं विक्रय करेगें। ट्राईफेड के ट्राईबस इण्डिया द्वारा भी लगभग 10 स्टॉलस लगाए जाएगे। जिनमें राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रोंं के नायाब शिल्प नमूनों को प्रदर्शन एवं विक्रय किया जाएगा। टीआरआई और लोक कला मण्डल भी अपने प्रकाशनों की प्रदर्शनी लगायेंगें। 
कार्यक्रम के तहत 15 जून को अपरान्ह 3 बजे एक संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा जिसका विषय  ‘‘आधुनिक समय में आदिम संस्कृति का महत्व तथा इसे कैसे जीविका से जोड़ा जा सकता है’’।  सेमिनार का बीज भाषण पद्मश्री चन्द्र प्रकाश देवल करेगें। अन्य वक्ताओं में जयपुर से हरिराम मीणा, बांसवाड़ा से डॉ. मालीन काले,  व उदयपुर से विलास जानवे एवं भगवान कच्छावा होगें । 
जनजाति प्रतिभा खोज प्रतियोगिता का आयोजन 16 जून को प्रातः 10 बजे से होगा जिसका पंजीयन दिनांक 14 व 15 जून को दोपहर 12 बजे तक भारतीय लोक कला मण्डल में किया जाएगा। 
अतिरिक्त आयुक्त ने देखी तैयारियां
महोत्सव से पूर्व गुरुवार को विभाग की अतिरिक्त आयुक्त अजंली राजौरिया ने भारतीय लोक कला मण्डल में महोत्वस को लेकर की जा रही तैयारियों का जायजा लिया। समारोह में भाग ले रहे कलाकारों ने बड़े ही उत्साह से रिहर्सल की। उन्होने बताया कि इस तीन दिवसीय समारोह में लगभग 400 कलाकार, शिल्पी, गुणीजन और विद्वान भाग लेंगे। कार्यक्रम के दौरान आमजन का प्रवेश निःशुल्क रहेगा। 
 


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