बांसवाड़ा | जिले में 22 जुलाई से खसरा-रुबेला टीकाकरण अभियान शुरू होगा। इसके लिए चिकित्सा विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है। चिकित्सा विभाग के साथ दूसरे विभागों से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है। ताकी शत प्रतिशत बच्चों को इस अभियान में कवर किया जा सके। विभाग का पहला लक्ष्य यही है कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित नहीं रहे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हीरालाल ताबियार ने बताया कि आई.सी.डी.एस., शिक्षा विभाग, डब्लयू.एच.ओ. प्रतिनिधि इस अभियान में सहयोगे करेंगे। अभियान मुख्यतः स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रो में आयोजित होगा। वही मोबाइल टीमों के जरिए भी टीकाकरण होगा। इस दौरान नौ माह से 15 वर्ष की आयु वर्ग तक के बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए खसरा-रूबेला के टीके लगाए जाएंगे।
यह टीका खसरा-रूबेला रोगों से बचाव का सशक्त तरीका है। खसरा एवं रूबेला रोग के टीका लगाने से इसके प्रसार एवं खतरों को रोका जा सकता है। इसी उद्देश्य से प्रदेश के नौ माह से 15 वर्ष तक की आयु के करीब 6 लाख बच्चों को टीके लगाने के लिए खसरा-रूबेला अभियान प्रारम्भ किया जा रहा है। खसरा एक जानलेवा एवं तीव्र गति से फैलने वाला खतरनाक संक्रामक रोग है। यह रोग प्रभावित रोगी के खांसने व छींकने से फैलता है। इसके प्रभाव से बच्चों में निमोनिया, दस्त एवं मस्तिष्क में संक्रमण जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है। यह रोग नवजात शिशुओं एवं बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण भी है।
आर.सी.एच.ओ. डॉ. नरेंद्र कोहली ने बताया कि विभाग की ओर से वर्तमान में खसरा के निःशुल्क टीके नियमित टीकाकरण अभियान के तहत लगाए जा रहे हैं, लेकिन यह अतिरिक्त डोज के रूप में टीका लगाया जाएगा। इसी प्रकार गर्भावस्था के आरम्भ से ही महिला को रूबेला का संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। इससे शिशु में जन्मजात रूबेला सिन्ड्रोम हो सकता है। इसके कारण शिशु में अंधापन, बहरापन, मानसिक विमंदता एवं दिल की बीमारी हो सकती है। रूबेला संक्रमण से गर्भवती महिला में गर्भपात एवं मृत शिशु जन्म की संभावना भी बढ़ जाती है। यही वजह है कि इन बीमारियों पर पूर्णतः काबू पाने के लिए टीकाकरण अभियान प्रारंभ किया जा रहा है।