मिलीभगत कर रचा विद्यालय की जमीन हथियाने का षड्यंत्र नाकाम

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Published on : 12 Jun, 19 05:06

भूमि दान की नहीं खरीदी गई. रश्मि चतर्वेदी

मिलीभगत कर रचा विद्यालय की जमीन हथियाने का षड्यंत्र नाकाम

बाल हितकारी समिति कोटा द्वारा संचालित बाल विद्यालय की जमीन का मामला सचिव स्व. भुवनेश चतुर्वेदी की मृत्यु के बाद विवादों में आ गया है। इस बारे में मीडिया को स्पस्ट करते हुए सचिव रश्मि चतुर्वेदी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि विद्यालय की भूमि पूर्व महाराव द्वारा दान नहीं की गई है वरन नियमानुसार सरकार से क्रय की गई है जिसके दस्तावेज उन्होंने मीडिया के सामने प्रस्तुत किये। इस संबंध में यह भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि भूमि दान में दी गई थी।
स्व.चतुर्वेदी की मृत्यु के पश्चात आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार रश्मि चतुर्वेदी को सचिव नियुक्त किया गया। समिति द्वरा बाल विद्यालय में स्व.भुवनेश की प्रतिमा लगाई गई जिस का लोकार्पण पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। समिति के निर्णय से ही दोनों विद्यालयों का नाम बदल कर भुवनेश बाल मंदिर एवं भुवनेश बाल विद्यालय किया गया। इस प्रकार समिति अपना कार्य कर रही है।
रश्मि ने बताया कि बारां रोड़ स्थित विद्यालय की भूमि क्रय करने के सम्बंध में स्पष्ठ किया कि विद्यालय के लिए 27 मार्च 1969 को महाराव से निवेदन किया गया था कि स्कूल के लिए उम्मेद विलास बाग में 40.50 बीघा भूमि उपलब्ध कराई जावे। महाराव ने 1000/- रुपये प्रति बीघा भूमि नज़राने पर देने की स्वीकृति 12 अप्रैल 1969 के प्रत्र द्वार प्रदान की गई जिस का उल्लेख महाराव द्वारा 15 अगस्त 1969 द्वारा दिये गए मुख्तार आम में उल्लेखित किया गया। इसके उपरांत इस जमीन को नगर भूमि अधिकतम सीमा एवं विनियम अधिनियम 1976 की चेप्टर 3 के उपबंधों के अनुसार शिक्षा के प्रयोजनार्थ भी छूट दी गई और एक लीज डीड बाल हितकारी समिति के पक्ष में निष्पादित की गई। इस प्रकार विद्यालय की भूमि पूर्णतः बाल हितकारी समिति के द्वारा ख़रीदशुदा भूमि है। समिति के संस्थापक स्व. भुवनेश चतुर्वेदी संविधान के अनुसार आजीवन सचिव रहे हैं।
   उन्होंने बताया कि समिति के कुछ सदस्यों मोहसिन हुसेन एवं रवि भूषण द्वारा समिति के कार्यो को बाधित करने के लिए तत्कालीन अध्यक्ष बृजराज सिंहके साथ मिलीभगत कर न्यायालय में मुकदमेबाजी कर विद्यालय भूमि एवं प्रशासन पर कब्जा जमाने का प्रयास किया। न्यायलय के आदेश पर अपील करने पर अपीलीय न्यायालय द्वारा तुरंत प्रभाव से अधिनसथ न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगादी और कालांतर में 27 मार्च 2019 के आदेश से  अधीनस्थ न्यायालय के 27 मार्च 2018 के आदेश को पूर्णतः निरस्त कर दिया। अपीलीय न्यायालय ने  अपने निर्णय में यह भी कहा कि जो कार्यकारिणी कार्य कर रही है उसे किसी न्यायालय में चुनोती नहीं दी गई है निर्विवाद है और उसे कार्य करने से रोका भी नहीं गया है।
  रश्मि ने बताया कि इस के बाद भी बृजराज सिंह एवं उनके साथी विद्यालय पर कब्जा जमा कर न्यूसेंस करते रहे जिसे रोकने के लिये उन्हें दखल देना पड़ा। वर्तमान में पूर्व वाली समिति ही कार्य कर रही है।


साभार : डॉ.प्रभात कुमार सिंघल,कोटा


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