बाल नाट्य शिवि का समापन, दो बाल नाटकों का मंचन

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Published on : 08 Jun, 19 04:06

श्याम की संगत से छोडा आलस्य ’’चैतन्य श्याम‘‘

बाल नाट्य शिवि का समापन, दो बाल नाटकों का मंचन

उदयपुर । बालकों में निहित कला प्रतिभा को मुखरित करने तथा ग्रीष्मावकाश के रचनात्मक सदुपयोग के उद्देश्य से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित ’’बाल नाट्य कार्यशाला‘‘ का समापन शुक्रवार को हुआ। इस अवसर पर दो बाल नाटक ’’बॉबी की कहानी‘‘ तथा ’’चैतन्य श्याम‘‘ का मंचन बाल कलाकारों ने किया।

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में आयोजित समापन कार्यक्रम में पहले नन्हे बच्चों ने प्रसिद्ध नाटककार विजय तेन्दुलकर द्वारा रचित तथा पूजा जोशी द्वारा निर्देशित नाटक ’’बॉबी की कहानी‘‘ का मंचन किया जिसमें आज के समय के उन बच्चों की मनोदशाओ को दर्शाया जिनके परिजन अपनी नौकरी, बिजेनस में व्यस्त होने के कारण बच्चों के साथ समय व्यतीत नही कर पाते है तथा लिंगानुपात में भेदभाव करते है । एकल परिवार में भी जब बच्चें स्कूल में रहते है तो पैरेंट्स घर और पैरेन्ट्स जब ऑफिस में होते है बच्चे घर और देर रात जब घर आते है और बच्चे सोये हुये मिलते है । इसके अलावा मोबाइल व सोशल एप्स, मोबाइल गेम्स आदि लगातार खेलने से बच्चों में चिडचिडापन आ जाता है । जिस कारण उनका जीवन अस्त व्यस्त रहता है और आत्म हत्या जैसे कदम उठा देते है । इसलिये बॉबी की कहानी उन्ही बच्चों की है जिन्हें मजबूरी वश अपना जीवन एकाकीपन में व्यतीत करना पडता है। प्रस्तुति में बाल रंग साधकों ने अपने बेहतरीन तालमेल और संवादों से दर्शकों की दाद बटोरी।

बाल नाट्य शिविर की दूसरी प्रस्तुति थी गोवा के विजय नाईक द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक ’’चैतन्य श्याम‘‘ जिसमें गांव के आलसी बच्चों को दर्शाया गया जो सिर्फ खाने-पीने, मौज मस्ती और आराम के सिवाय कुछ नहीं करते यहां तक कि गांव की समस्याओं व घटनाओं से उनका कोई सारोकार नहीं। ऐसे में श्याम का आगमन होता है जो उन बच्चों में एक नये जोश का संचरण करता है और यही बच्चो एकजुट हो कर गांव पर आये संकट को टालते हैं। प्रस्तुति में बालकों का अभिनय लाजवाब था वहीं नाईक ने दृश्य संरचनाओं से प्रस्तुति को दर्शनीय बनाया।

इस अवसर पर केन्द्र के प्रभारी निदेशक सुधांशु सिंह ने विशेषज्ञों को स्मृति चिह्न प्रदान किये तथा कार्यक्रम अधिकारी तनेराज सिंह सोढा ने बालकों को प्रमाण पत्र प्रदान किये।

 

 


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