महाराणा प्रताप भी थे पर्यावरण प्रेमी,उनके इतिहास से मिलती है जानकारी

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Published on : 07 Jun, 19 06:06

महाराणा प्रताप भी थे पर्यावरण प्रेमी,उनके इतिहास से मिलती है जानकारी

उदयपुर। इतिहासकार डॉ. देव कोठारी ने कहा कि प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के इतिहास को देखकर पता चलता है कि उन्होंने अपने जीवन में पर्यावरण से जुडे अनेक कार्य किये जिस कारण उनके राज्य में जनता काफी खुशहाल थी। प्रदुषण फैलाने वाले को वे दण्ड देने तक से भी नहीं चूकते थे।

    वे विज्ञान समिति,महाराणा प्रताप सममान कोष,सजीव सेवा समिति एवं इन्टेक के संयुक्त तत्वावधान में विज्ञान समिति परिसर में महाराणा प्रताप जयन्ती एवं विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित महाराणा प्रताप काल का सम्पूर्ण पर्यावरण विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान के बाहर के इतिहासकार द्वारा महाराणा प्रताप के जीवन से जुडी घटनाओं के सन्दर्भ में भ्रान्तियंा फलायी जा रही है कि हल्दीघाटी युद्ध में प्रताप की हार हुई थी।

डॅा. कोठारी ने कहा कि प्रताप द्वारा पर्यावरण क्षेत्र में किये गये कार्यो का विवरण विश्व वल्लभ ग्रन्थ में मिलता है। इस ग्रन्थ का लेखाकंन चक्रपाणी ने किया था। जिसमें ९ अध्याय है। प्रथम अध्याय में प्रताप द्वारा पानी की खोज, दूसरे में उसका संचयन तीसरे में फसल की उपज की जानकारी दी गई है। प्रताप ने फसलों के उत्पादन पर परा ध्यान दिया। उसे नुकसान पंहुचानें वालों को दण्ड देने तक से भी नहीं चूकें।

मुख्य अतिथि उद्योगपति बी.एच.बाफना ने कहा कि पानी की एक-एक बूंद का उपयोग होना चाहिये लेकिन वर्तमान में आमजन द्वारा जिस प्रकार से इसका दुरूपयोग किया जा रहा है वह काफी दुखद है। हमें यह सोच कर चलना चाहिये कि हमनें तो अपनी जिंदगी जी ली लेकिन यदि पानी को लेकर हम अभी भी सावचेत नहीं हुए तो हमारी भावी पीढी को इसके काफी गभ्ंाीर परिणाम भुगतने होंगे।

कवि माधव दरक ने प्रताप पर प्रस्तुत की कविता- कुंभलगढ के ८५ वर्षीय कवि माधव दरक ने कार्यक्रम में ’मायड थ्हारो पूत कठै...’ और ’ऐडो म्हारो राजस्थान...’ नामक गीत का वाचन किया तो कार्यक्रम में उपस्थित  हर श्रोता ने उनके गीत की हर पंक्ति पर तालियों की दाद दे कर उनका अभिवादन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बी.पी.भटनागर ने करते हुए कहा कि जीवन में प्रति व्यक्ति २ पौधे लगाकर उनका संरक्षण का जिम्मा लें तो यह पर्यावरण संरक्षण का सबसे बडा उदाहरण होगा  

प्रारम्भ में विज्ञान समिति संस्थापक डॉ. के.एल.कोठारी ने कहा कि हम पर्यावरण को बहुत छोटे दायरे में लेते है जबकि यह कण-कण में मौजूद हर वस्तु में होता ह, इस बात का ध्यान रखना चाहिये। समारोह में समिति के सदस्य तातेड ने के.एल.कोठारी द्वारा रचित एवं संगीतकार डॉ. प्रेम भण्डारी संगीतबद्ध संस्था गीत का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन के.पी.तलेसरा ने किया। इस अवसर पर विज्ञान समिति अध्यक्ष डॉ. एल.एल.धाकड ने प्रारम्भ में स्वागत उद्बोघन दिया। अंत में आभार फतहलाल नागौरी ने ज्ञापित किया।


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