जिला आबकारी अधिकारी ने सपत्निक लिया नेत्रदान संकल्प

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Published on : 30 May, 19 04:05

पहले समझा नेत्रदान,अब आज है,विशाल जागरूकता शिविर

जिला आबकारी अधिकारी ने सपत्निक लिया नेत्रदान संकल्प

नेत्रदान के विषय में यूँ तो अब पूरे कोटा संभाग में पहले से जागरूकता का प्रतिशत कई गुना बढ़ा है । परंतु फिर भी इससे जुड़ी कई जरूरी बातें,इसकी उपयोगिता व नेत्रदान से लेकर इसको प्रत्यारोपित करने तक कि सारी जानकारी के बारे में काफ़ी लोग अभी भी अंजान है ।

आम-जन को नेत्रदान-अंगदान-देहदान के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से तपेश जी जैन,जो बाराँ में,जिला आबकारी अधिकारी के पद पर है,ने अपने आबकारी विभाग व बाराँ जिले की कई हाड़ौती ब्लड डोनर सोसायटी के सहयोग से,एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया है । बीते कई वर्षों से तपेश जी,कोटा संभाग में शाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा चलाये जा रहे,नेत्रदान-अंगदान से जुड़ी सभी खबरों को पढ़ते रहते थे,साथ ही संस्था के जागरूकता कार्यक्रमों से भी वह काफ़ी प्रभावित थे । वह चाहते थे कि ,इन सामाजिक कार्यो के बारे में पहले वह स्वयं और अधिक जानकारी ले लें,उसके बाद अपने ही कार्यस्थल आबकारी परिसर,बाराँ  में गुरुवार को आयोजित विशाल रक्तदान शिविर में नेत्रदान-अंगदान- की जागरूकता का शिविर भी लगाने का प्रयास करेंगे । इसी क्रम में गुरुवार को आबकारी विभाग,बाराँ व शाइन इंडिया फाउंडेशन की ओर से नेत्रदान-अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से शिविर का आयोजन किया गया है । 
इससे पहले तपेश जैन जी ने संस्था सदस्यों के साथ मिलकर नेत्रदान-अंगदान के बारे में सभी जानकारी प्राप्त की,उनको भी यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नेत्रदान प्रक्रिया में सम्पूर्ण आँख नहीं निकाली जाती है,बल्कि आँख के ठीक सामने से दिखाई देने वाला,पारदर्शी भाग कॉर्निया (पुतली) कहलाता है,वह लिया जाता है । इस प्रक्रिया में सिर्फ 15-20 मिनट का समय लगता है,इस दौरान किसी तरह का कोई ब्लड नहीं निकलता,और न चेहरे पर किसी तरह का कोई गड्ढा होता है ।
शाइन इंडिया के सदस्यों ने बताया कि,बाराँ में नेत्रदान लेने के लिये आने के लिये उनकी टीम 24 घन्टे तैयार है,शोक के समय पर,यदि धैर्य रखकर यदि हमको 8386900101,8386900102 पर संपर्क करें,तो अधिकतम एक घंटे में टीम नेत्रदान लेने के लिये पहुँच जायेगी । 2 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के स्वस्थ व्यक्ति का नेत्रदान,मृत्यु के बाद,गर्मियों के दिनों में 6 घण्टे में,सर्दियों में 10 से 12 घंटे में व यदि पार्थिव शव को डीप फ्रीज़र में या बर्फ पर रखा हुआ है,तो ऐसी स्तिथि में 24 घंटे में लिया जा सकता है । टीम के पहुँचने तक कुछ जरूरी सावधानी रखी जाये तो,कॉर्निया प्रत्यारोपण के दृष्टि से सुरक्षित रहता है । इसके लिये नेत्रदाता की आँखों को पूरी तरह बंद कर आँखों पर गीली पट्टी रख देना चाहिए, साथ ही पंखे को नेत्रदान की प्रक्रिया होने तक बन्द कर देना चाहिए । 
पूरी जानकारी लेने के बाद तपेश जैन जी ने अपनी पत्नी प्रतिभा जैन के साथ नेत्रदान का संकल्प लिया । प्रतिभा जैन जी भी कई सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई है,वह  आर्य कन्या विधापीठ, वनस्थली से प्रवक्ता के स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले चुकी है । दोनो पति-पत्नी को वर्तमान परिवेश व सामाजिक कुरीतियों के विषय पर कविता कहानी लिखने का भी शोक है ।


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