वर्तमान दिशाहीन समय मे साहित्यकार ज्यादा जवाबदेह – पारस जैन 

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Published on : 23 May, 19 05:05

वर्तमान दिशाहीन समय मे साहित्यकार ज्यादा जवाबदेह – पारस जैन 

कोटा | वर्तमान दिशाहीन समय मे साहित्यकार ज्यादा जवाबदेह- यह वक्तव्य आज राजा राममोहन राय जयंती एवं सार्वजनिक पुस्तकालय दिवस पर दीनदयाल उपाध्याय मंडल पुस्तकालय के केन्द्रीय परिसर मे वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही की सद्य प्रकाशित कृति"मैं भी गीत सूना दूं"के विमोचन कार्यक्रम के अवसर मुख्य अतिथि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पारस जैन द्वारा दिये गये । उन्होने कहा इस समय शब्द की मर्यादा केवल कतिपय साहित्यकार ही निर्वाह कर रहे हैं , समाज को इस और ध्यान देने की आवश्यक्ता है ।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि – जितेन्द्र निर्मोही का साहित्य उनका अक्श है दरकार है उनको समझने की, जो उनके साहित्य को पढे बगैर नही जाना जा सकता यही वजह है विभिन विश्वविधाययो मे इन पर शोध हो रहे है ।

            कार्यक्रम सह संयोजक सागर ने बताया की विमोचित की जाने वाली कृति में 64 गीत नवगीत हैं जिसमें 21नवगीत व23 गीत हैं। साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही राजस्थान साहित्य अकादमी सहित अनेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त है। उनकी यह 18वीं कृति है।

विशिष्ट अतिथि अरविंद सोरल ने कहा कि – जितेन्द्र निर्मोही इस समय के साहित्य वृहद हस्ताक्षर है । विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राधेश्याम मेहर ने कहा कि – जितेन्द्र निर्मोही ने समय की नब्ज को पहचानते हुये जीवन के हर पहलू पर लिखा है वह आध्यात्म व दर्शन के बडे विचारक है इस अवसर पर उन्होने कृतिकार के सम्पुर्ण साहित्य पर प्रकाश डाला ।

मुख्य वक्ता विजय जोशी ने कहा – कि यह कृति मुलतः इस अंचल का नवगीत का साहित्य सामने लाती है । मंच पर एक और जहां जीतेन्द्र निर्मोही , बच्चान , नीरज ,बाल कवि बैरागी , विराट की परम्परा का निर्वाह करते है वहीं दुसरी और यश मालवीय , कुमार रविन्द्र , मधूसुदन शाह  आदि नवगीतकारों की विशिष्ठ श्रंखला मे अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करते है ।

रचनाकार जीतेन्द्र निर्मोही ने कहा कि – इस कृति के 64 गीत मेरी जींदगी एवं समय –समय की घतनाओं को रुपायित करते है , कवि की जेसी द्रष्टि होती है वेसी ही श्रष्टि का निर्माण करता है मेने कैसी श्रष्टि निर्मित की यह पाठको पर छोडता हुं । इस अवसर पर उन्होने तीन गीत एवं नवगीत पढे ।  

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी साहित्य के क्षेत्र मे विशिष्ठ शोध कार्य कराने के लिये डा . गीता सक्सेना प्राचार्य स्वामी विवेकानन्द महाविधालय कोटा को कार्यक्रम संयोजक शशि जैन एवं मंच द्वारा “ राजा राममोहन रॉय सम्मान – 2019” से नवाजा गया उन्हें शॉल , श्रीफल , सम्मान पत्र एवं मेडल प्रदत्त किया गया ।

विमोचन समारोह मे विशिष्ठ अतिथी गुरु दत्त कक्कड़ निदेशक अकादमी केरियर पांइट विश्व विद्यालय कोटा द्वारा इस तरह के आयोजन के बारे मे बताया कि – यह समसामयिक साहित्य से सीधे जुडने का माध्यम है ।

कार्यक्रम का प्रारम्भ डा फरीद खां “ फरीद” की सरस्वती वंदना से हुआ । उन्होने कृतिकार जीतेन्द्र निर्मोही पर संदर्भ गीत पढा । समारोह का संचालन प्रख्यात गीतकार गौरस प्रचण्ड द्वारा किया गया ।

इस अवसर साहित्यकार डा. आदित्य कुमार गुप्ता प्रोफेसर हिंदी (राजकीय महाविधालय ), डा. रामावतार मेघवाल, डा. ओम प्रकाश गर्ग , के.बी .भारती ,डा. गोपाल धाकड ,  डा. रघुनाथ नाथ मिश्र “ सहज” , नहुष व्यास , प्रोफेसर के.बी. भारती  प्रेम शास्त्री , सुरेश पंडीत , हरीश कुमार “ हरीष” महेश पंचोली, राम शर्मा “ कापरेन” सीमा घोष, श्यामा शर्मा , ज्योतिका माहेश्वरी , शकुर अनवर , सलीम अफरीदी , आनंद हजारी , किशन वर्मा आदि के साथ शहर के गणमान्य नागरिक , पत्रकार वर्ग एवं पुस्तकालय का पाठक वर्ग उपस्थित रहै ।  


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