‘हृदय की दीवार फटी, वाॅल्व खराब व नस में बना गुब्बारा, जटिल ऑपरेशन सफल’

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Published on : 22 May, 19 04:05

राजस्थान में प्रथम गीतांजली हाॅस्पिटल की कार्डियक टीम द्वारा सफल इलाज

‘हृदय की दीवार फटी, वाॅल्व खराब व नस में बना गुब्बारा, जटिल ऑपरेशन सफल’
गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर की कार्डियक टीम ने 50 वर्षीय रोगी के हृदय के तीन बड़े जटिल आॅपरेशन जिसमें हार्टअटैक के बाद हुए हृदय में छेद को बंद, हृदय के एन्यूरिज़्म को रिपेयर एवं वाॅल्व में लीकेज ( Post Heart Attack Ventricular Septal Rupture + LV Aneurysm + Mitral Valve Regurgitation ) के कारण वाॅल्व को बदल कर राजस्थान में अपनी तरह का प्रथम सफल आॅपरेशन दर्ज कराया। इस सफलता को संभव बनाया कार्डियक थोरेसिक वेसक्यूलर सर्जन डाॅ संजय गांधी व डाॅ अजय वर्मा, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डाॅ अंकुर गांधी, डाॅ कल्पेश मिस्त्री, डाॅ मनमोहन जिंदल व डाॅ आशीष पटियाल, कार्डियोलोजिस्ट डाॅ डैनी कुमार, डाॅ कपिल भार्गव, डाॅ रमेश पटेल व डाॅ शलभ अग्रवाल की टीम ने। 
 
 
डाॅ संजय गांधी ने बताया कि चित्तौड़गढ़ निवासी उदय लाल रेगर (उम्र 50 वर्ष) हार्टअटैक, छाती में दर्द, चक्कर आना एवं सांस फूलने जैसी गंभीर शिकायतों के साथ आपातकालीन स्थिति में गीतांजली हाॅस्पिटल में भर्ती हुआ। कार्डियोलोजिस्ट डाॅ डैनी कुमार द्वारा परामर्श एवं ईको की जांच में हृदय की दीवार में छेद, वाॅल्व में लीकेज एवं हृदय की दीवार में एन्यूरिज़्म का पता चला। चूंकि हार्टअटैक के कारण रोगी की किडनी पर भी असर पड़ा था जिससे वे कमजोर हो गई थी इसलिए उस वक्त रोगी की एंजियोग्राफी संभव नहीं थी। हृदय की पंम्पिग को सुधारने के लिए एक बैलून पंप डाला गया। दो दिन तक आईसीयू में रख दवाइयों द्वारा किडनी की कार्यप्रणाली में सुधार लाकर एंजियोग्राफी की जांच की गई। जांच में हृदय की एक नस में 100 प्रतिशत तक ब्लाॅकेज और बाकी नाड़ियों को सही पाया गया तथा आॅपरेशन का निर्णय लेकर हृदय की दीवार में 1.5X2 सेेंटीमीटर के आकार वाले छेद को बंद किया, हार्टअटैक के कारण बने 6X5 सेंटीमीटर आकार के एन्यूरिज़्म को रिपेयर किया एवं लीकेज वाॅल्व को बदलकर तीनों दुर्लभ बीमारियों को एक साथ सफलतापूर्वक ठीक किया। 
 
 
क्यों जटिल था यह मामला?
डाॅ गांधी ने बताया कि हार्टअटैक आने पर हृदय की दीवार का फट जाना (फेफड़ों में रक्त प्रवाह अधिक हो जाना जिससे रोगी की सांस फूलने लगती है) बहुत असामान्य है अर्थात 100 में से केवल 3ः मामलों में ही ऐसा देखा जाता है और इसके साथ वाॅल्व में लीकेज (रक्त वापिस फेफड़ों में चला जाता है) तथा एन्यूरिज़्म (हृदय की दीवार कमजोर होकर गुब्बारे की तरह फूल जाती है) होने का एक लाख रोगियों में केवल एक मामला सामने आता है। इन तीनों बीमारियों का एक साथ इलाज करना तकनीकी रुप से काफी चुनौतीपूर्ण होता है एवं रोगी के लिए भी अत्यंत जोखिमपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि हृदय की दीवार फट जाने के अधिकतर मामलों में रोगी अस्पताल तक भी नहीं पहुँच पाता। ऐसे मामलों में 40 से 50 प्रतिशत रोगी आॅपरेशन के बाद भी नहीं बच पाते केवल 50 प्रतिशत रोगी ही सफल हो पाते है। अत्यंत दुर्लभ एवं अत्यधिक जटिलताओं के कारण यह केस राजस्थान में अब तक दर्ज नहीं हुआ, सर्वप्रथम गीतांजली हाॅस्पिटल में संभव हुआ है।
 
 
गीतांजली हाॅस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने पूरी कार्डियक टीम को इतने दुर्लभ व जटिल सफल आॅपरेशन करने पर बधाई दी एवं कहा कि, ‘जैसा कि विदित है कि गीतांजली हाॅस्पिटल एक ऐसा अस्पताल है जहां एक ही छत के नीचे सभी व्यापक एवं सुपर स्पेशियालिटी सुविधाएं उपलब्ध है। इस सर्जरी के लिए भी एक मल्टी डिसिप्लिनरी एप्रोच और विशेषज्ञों की टीम की आवश्यकता थी जो गीतांजली में मौजूद है। गीतांजली हाॅस्पिटल चिकित्सा के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं गुणात्मक चिकित्सा सेवा के साथ जटिल व दुर्लभ बीमारियों का उपचार करने में सक्षम है। हमारे लिए हर रोगी महत्वपूर्ण है जिसका सही एवं सर्वश्रेष्ठ उपचार उपलब्ध कराने में हम तत्पर है। इस रोगी में भी चुनौतीपूर्ण विकल्प होने के बावजूद सफल  इलाज कर हमारे अनुभवी व प्रशिक्षित चिकित्सकों ने उदाहरण पेश किया है।’ 

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